इसे मथे हुए दहीं में डाल कर, नमक और बारीक कटी हरी मिर्च मिला लेते हैं। तीखी सुगन्ध होने के कारण इसमें कुछ भी मिलाने की जरुरत नहीं होती। खाने में नये प्रयोग करने की शौकीन उत्कर्षिनी इस रायते में कभी सोया सॉस मिला देती तो इसका स्वाद अलग लगता।
सोया रायते के स्वाद ने मुझे इसे उगाने को प्रेरित किया। कारण इसमें कच्चा इस्तेमाल होने के कारण कैमिकल से साफ करो, फिर कैमिकल को साफ करो। उगाने से अब गमले से सीधा प्लेट में। इसे उगाने के लिए बीज मंगाए। खूबसूरत बड़ी सी पैकिंग में छोटी सी पैकिंग निकली उसमें गिनती के बीज थे। बीजों के हिसाब से मैंने गमला लिया। ड्रेनेज होल पर ठिकरा रखा। 70 मिट्टी, 30 वर्मी कम्पोस्ट मिलाकर गमले को भर दिया और इन जरा से बीजों को दूर दूर छिड़क कर मिट्टी से ढक दिया। पर उगे सभी हैं। थोड़े से पौधों को देख देख कर 6’’ का होने पर रायते के लिए कैंची से काटती हूं। फ्लॉवर शो में किसी और कम्पनी के ज्यादा बीज के पैकेट लूंगी।
मैं मुम्बई जाने के पहले तक आलू सोया, सोया मेथी आलू की भुजिया और परांठे ही बनाती थी। ये बहुत जल्दी बनता है। गुच्छी के आगे का हिस्सा रायते के लिए निकाल कर पीछे जहां तक डंठल मुलायम होता है।
उसे साफ करके, अच्छे से धोकर बारीक काट कर कई व्यंजन तो दालों से ही बन जाते हैं।
कोई भी एक धुली दाल मूंग, अरहर, मसूर, चना आदि को कूकर में पूरी तरह गलने से पहले तक पका लें। कड़ाहीं में जीरा हरी मिर्च और लहसून का तड़का लगा कर हल्दी मिर्च पाउडर और बारीक कटा सोहा और उबली दाल डाल कर पका लें।
पानी सूखते ही इसमें नमक भूनी मूंगफली का दरदरा पाउडर या कसा हुआ कोकोनट मिला कर भून लें। बस नमक का ध्यान रखे दाल उबालने पर भी पड़ता है। इसके बीज सौंफ से मिलते हैं। सोया के बीजों को बनसौंफ कहते हैं।
विटामिन ए, सी, कैल्शियम, कॉपर, मैग्नीशियम, खनिज और फाइबर अधिक होने के कारण, इसके बीजों का मुखवास बनाया जाता है। जो डिलीवरी के बाद महिला को भोजन के बाद एक चम्मच खिलाया जाता है।
94 साल की मेरी अम्मा सोहा देखते ही प्रयागराज को याद करके बोलती हैं कि वहां पर पंजाबने सब्जी वाले से धनिया मांगती थीं और भइयने सोहा मांगती थीं।