मेरी दादी जिनके प्रदेश का नाम भी नदियों पर है पंजाब। आपने नदियों पर गीत, चालीसा, कविताएं सुनी होंगी। पदमश्री विलक्षण लोक गायिका मल्लिका ए नौटंकी गुलाब बाई का एक बहुत मशहूर गाना "नदी नारे न जाओ श्याम पैया परूं" जिसे फिल्म में लिया पर उस पहली नौटंकी वाली महिला को क्रेडिट तक नहीं दिया। नदियों की आरती भी सुनी होगी। पर नदी से संबंधित गाली नहीं सुनी होगी। जो मेरी दादी पंजाबी में हम बहनों को नाम से नहीं बुलाती हमेशा आवाज लगती
नी रूड़ जानिए
रूड का मतलब होता है, बह जाना और बहाके तो नदिया ले जाती हैं। मतलब अरी मैंने सुना तुम बह गई हो। लेकिन उन्हें पूरे भारत की नदियों के नाम याद थे क्योंकि घर में पलने वाली गाय का नाम नदी के नाम पर होता । बछिया के जन्म लेते ही उसका नाम गोदावरी, कावेरी, गोमती, गंगा, यमुना आदि रखती। उनका मानना था कि जैसे इन नदियों में पानी सदा बहता है। इस तरह नदी नाम की गाय दूध से परिवार का पोषण करेंगी। पर हमारा नाम नी उड़ जानिए ही रहता। लेकिन आज बेटियां कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं और नदियां प्रदूषित और विलुप्त हो रहीं हैं।