दशहरा के दिन मैं ज़ी टीवी की डिबेट से अपनी सेक्टर की भाभियों के साथ बाहर आई। उनसे कहा ," मुझे सुदर्शन चैनल शस्त्र पूजन में जाना है वहां से रूबी का फोन आया है। फिर वहां से घर जाऊंगी।" सभी कोरस में बोलीं," हमने तो कभी शस्त्र पूजन नहीं देखा।" मैंने पूछा," देखना चाहती हैं?" सभी ने हां किया। हम लोग सुदर्शन चैनल पहुंचे और शस्त्र पूजन अभी शुरू ही हुआ था। महिलाएं हैरान होकर देख रहीं थीं।जब सबको पूजन के लिए एक-एक करके आने को कहा," मुझे इतना अच्छा लगा कि स्टूडियो में उपस्थित सभी महिलाएं, सबसे पहले जल्दी एक-एक शस्त्र को ऐसे उठा उठा कर देख रही थीं, जैसे अभी-अभी महिषासुर मर्दिनी के हाथ के शस्त्र, उनको छूने को मिलें हों। वे एक-एक शस्त्र के साथ में अपनी तस्वीर लेना चाहतीं थीं। पूरा स्टूडियो भरा हुआ था इसलिए ऐसा संभव नहीं था फिर भी उन्होंने काफ़ी तस्वीरें लीं। और अत्यंत प्रसन्नता से शस्त्र पूजन में भाग लेकर, दशहरा मनाने घर चल दीं।