Search This Blog

Showing posts with label Gur ke Chawal or Gur ka Zarda easy simple for toddlers & kids. Show all posts
Showing posts with label Gur ke Chawal or Gur ka Zarda easy simple for toddlers & kids. Show all posts

Wednesday 17 February 2021

झटपट बनाएं गुड़ के चावल 90 प्लस रसोई नीलम भागी Healthy Jaggery sweet rice in Pressure cooker Neelam Bhagi



 अम्मा का 93वां जन्मदिन था। मीठे नमकीन उनकी पसंद के व्यंजन बाजार से आए। रात को सोने से पहले अम्मा मुझसे बोलीं,’’तेरी बड़ी मामी गुड़ के चावल बहुत स्वादिष्ट बनाती थी।’’और मुझे  मेरी बड़ी मामी याद आने लगी। अम्मा का जन्म उनकी शादी के बाद हुआ था। वे उन्हें बेटी की तरह प्यार करतीं थीं। कुछ समय मैं कपूरथला में छोटे मामा श्री निरंजनदास जोशी के पास रही पर मौहल्लेदारी अपनी बड़ी मामी, जो वहां सबकी ताई जी थीं, उनके साथ की। वे दीवान सौदागरमल मौहल्ले की बड़ी बहू थीं। उनका बहुत सम्मान था। सुषमा भाभी ने गाय पाल रखी थी। दूध की बाल्टी रसोई में बाद में जाती थी पहले मामी जी के लिए लोटा भर के दूध जाता था। दोपहर में उनकी ड्योढ़ी में महिला गोष्ठी होती, जिसमें सभी के हाथों में क्रोशिया, ऊन सलाइयां होतीं। किसी ने कोई कपड़ा कटवाना, किसी ने पकवान की विधि उनसे जानना और बतरस चलता था। उनका पहला सिद्धान्त था कि पढ़ाई लिखाई अपनी जगह, लड़की की जात को खाली नहीं बैठना चाहिए। मैं भी उन दिनों एक दिन में 50 ग्राम ऊन तरह तरह की बुनाई डाल कर बुन लेती थी। मामी जब भी सिर ढक के घर से बाहर जातीं। जिसकी उन पर नज़र पड़ती वह "पैरी पैना ताई जी या परजाई जी", यानि पाय लागूं कहता था। उन्हीं दिनों पड़ोस में किसी लड़के की शादी थी। बड़े मामा जी को स्वर्ग गए एक साल नहीं हुआ था। इसलिए मामी जी शुभ काम में नहीं जाती थीं। पर लड़के की मां हर रस्म रिवाज़ मामी जी से पूछने आती थी। नई बहू के आते ही पूरी गली में हल्ला मच गया कि बहू बहुत सुघड़ आई है। कॉलिज में पढ़ी है। ग्रैजुएट है। अमृृतसर की है। खाना बहुत अच्छा बनाती है। इडली, डोसा, उपमा सांबर आदि भी बनाती है। ये सब सुन कर मामी जी गंभीर हो जातीं क्योंकि यहां की वे सबसे सुघड़ बहू थीं। दोपहर महिला गोष्ठी में मौहल्ले की सारी मेरी मामियां मुझसे पूछतीं,’’ ये इटली, दोस्सा क्या होता है? उन्होंने ये सब सुना ही नहीं था। मैं उन्हें विस्तार से बताती। जब शादी वाला घर नार्मल रुटीन में आ गया तो मामी बोलीं,’’चल नीलम बहू की मुंह दिखाई कर आएं।’’मैं तो उन दिनों उनकी परझाईं थी। हमारे जाते ही बहू ने पैर छुए। मामी जी ने बड़े प्यार से उसे पास बिठाया। सास बहू की तारीफें करने लगी। मामी उसका पहना जेवर देखकर इनक्वायरी करने लगी कौन सा मायके का है और कौन सा ससुराल का है फिर उसकी सास ने सारा दहेज का सामान दिखाया, जिसे देखकर मामी जी ने कहा," जिसने बेटी दे दी उसे सब कुछ दे दिया।" सीना परोना आता है, आचार वगैरहा बना लेती है। बहू के सारे उत्तर हां में थे। 
अब मामी ने अस्त्र छोड़ा,’’गुड़ वाले मीठे चावल बनाने हों तो एक सेर चावल में कितने सेर गुड़ पड़ेगा?’’
बहू निरुत्तर! 
अब मेरी मामी बड़े गर्व से उठ कर उसकी सास से बोलीं,’’इसको मां की तरह गुड़ के चावल बनाने सीखाना।’’और आर्शीवाद देकर चल दीं। 

 प्रेशर कुकर में ये चावल बनाने बहुत आसान हैं।

जो भी चावल खाते हैं एक कटोरी, उसी नाप की एक कटोरी कूटा हुआ गुड़, दो कटोरी पानी, सौंॅफ, कटा नारियल सूखा या ताजा, काली इलायची, दो टुकड़े चक्रफूल, बादाम, काजू  किशमिश और देसी घी।


चावल धोकर आधी कटोरी पानी में आधे घ्ंटे के लिए भिगो दें और डेढ़ कटोरी पानी में गुड़ भिगो दें।

गुड़ को घोल कर प्रेशर कूकर में डाल दें और साथ ही चावल उसी पानी के साथ, सौंफ, कुटी इलायची, चक्रफूली डाल कर कूकर बंद कर आंच तेज करदें। जैसे ही सीटी नाचने लगे और सीटी बजनेवाली हो तो फ्लेम बिल्कुल लो कर दें। एक मिनट बाद गैस बंद कर दें। जितना चावल में घी डालना हैं उसे पैन में डाल कर नारियल छोड़ कर, बादाम, काजू, किशमिश भूने, रंग बदलना शुरु होते ही गैस बंद कर दें और इसमें नारियल डाल दें। प्रेशर अपने आप खत्म होते ही

ये ड्राईफ्रूट तड़का चावलों पर डाल कर ढक्कन बंद कर,  कुकर अच्छी तरह हिलाा दे।




बच्चों को मैं कहती हूं कि चॉकलेट चावल हैैं। वे बहुत स्वाद से खाते हैं। बनाना बहुत आसान है और बहुत जल्दी बनते हैं। हम ज्यादा मीठा खाते है आप गुड़ कम कर सकते हैं।ं