उत्कर्षिनी ने मेरे लिए चाय बनाई। चाय में भीनी नींबू की खूशबू आ रही थी। अब तक मैंने लेमन टी बिना दूध के खट्टे स्वाद की पी थी। ये दूध और नींबू की महक वाली चाय! मुझे हैरान देखकर उसने खिड़की की ओर इशारा करके बताया कि ये लम्बी लम्बी घास लेमन ग्रास कहलाती हैं।
सोसायटी का माली कहता है कि जहां से मच्छर आते हैं, वहां इसका गमला रख दो तो मच्छर भाग जाते हैं। मैंने देखा कि मुम्बई में लेमन ग्रास का पौधा ज्यादातर घरों की खिड़की में रखा हुआ था। हर पौधा एकदम स्वस्थ क्योंकि ह्यूमिडिटी इसे पसंद है और वहां है। चाय और सूप में इसकी पत्ती कैंची से काट कर डालते, सर्व करते समय निकाल लेते। देखने में यह हरा भरा पौधा बहुत अच्छा लगता है। लौटने पर मैं यहां नर्सरी से इसका गमला खरीद कर लाई। पर कुछ दिनों में इसके पत्ते दुखी से लगने लगे क्योंकि वहां धूप कम आती थी। मैंने फर्श से गमला उठा कर दीवार पर रख दिया वहां धूप अच्छी आती है।
अब उसमें से नीचे से और पौधे आने लगे। मार्च अप्रैल में मैंने दो गमलों में 60मिट्टी, वर्मी कम्पोस्ट और रेत मिला कर उनके डेªनेज़ होल पर ठिकरे रख कर इस मिट्टी से उन्हें भर दिया। शाम को दो पौधे जड़ सहित निकाल कर इन गमलों के बीच में गढ्डा करके पौधों की जड़ों को उसमें इस तरह दबा दिया कि वे सीधे खड़े रहें और पानी दे कर रख दिया। 20 से 25 दिन में ये नये लैमन ग्रास के पौधे जम गए। इसे बस अच्छी धूप चाहिए और पानी इसकी जड़ों में न रुके। ज्यादा गर्मी और ज्यादा ठंड में इसकी बढ़त सुस्त हो जाती है। ज्यादा पानी भी नहीं झेलता। मामूली देखभाल से यह औषधीय गुण वाला पौधा, बहुत अच्छा लगता है। इसके पत्तों और तने के रस से साबुन, सेंट और मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती बनती है। इसकी एंटीऑक्सीडेन्ट पत्ती चाय का स्वाद बढ़ाती है और हरियाली आंखों को भाती है। जमीन पर लगाने से यह बहुत तेजी से फैलती है।
किसी भी कंटेनर या गमले में किचन वेस्ट, फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती आदि सब भरते जाओ और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, या गोबर की खाद, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा बाकी रेत मिलाकर उसे मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा के 6 इंच किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।