
सीट के नीचे लोगों का सामान भरा हुआ था। इसलिये मेरा बैग मेरी नज़रों के सामने मुझसे दूर, दो पुलिस वालों के पास मैंने रक्खा था। अंजना ने पूछा,’’बैग कहाँ है?’’मैंने जवाब दिया,’’चिंता मत करो पुलिस जी बैठी हैं, बैग उनके पास रक्खा है।’’ पुलिस जी ने मुस्कुराते हुए मुझे कहा,’’मैडम देखिये, वो क्या लिखा है?’’वहाँ लिखा हुआ था ’यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें।’ अब मैं भी हंस पड़ी। मैंने पुलिस जी से जी.टी.एक्सप्रेस के टू. एसी.में बैग चोरी की घटना को बताया कि ऐसा कैसे संभव हुआ? सभी खाते पीते घरों के सभ्य लोग थे। गाड़ी भी बड़े स्टेशनों पर ही खड़ी होती है। पुलिस जी ने बताया कि इसमें तीन लोग शामिल होते हैं। एक ने सीट रिजर्व करवाई होती है। दो अलग अलग गेट से चढ़ते हैं। एक रेकी करता है, दूसरा ध्यान बटाता है। स्टेशन आते ही, तीसरा बैग लेकर साफ जाता है। इस किस्से को सुनने के बाद यात्रियों का प्रश्न था कि हम कहाँ से आए हैं और कहाँ जा रहे हैं? अंजना ने बताया कि हम नौएडा से हैं और पचमढ़ी जा रहे हैं। पिपरिया उतरने वालो ने पूरा पचमढ़ी का रास्ता समझा दिया। किस तरह से घूमना है। पिपरिया से पचपढ़ी से टैक्सी का किराया, बस का किराया आदि सब बताया। उनका कहना था कि हम परदेसी हैं (जबकि हम सब भारतवासी हैं)हमें कोई लूट न ले। पचमढ़ी में दिनों के हिसाब से कैसे घूमना है। क्या क्या देखना है। टैक्सी के रेट आदि सब समझा दिये। होटल के कमरों का किराया तक। पिपरिया में दो मिनट के लिये गाड़ी रुकती है। सवारियों ने ही सामान उतरवा दिया। यहाँ भी कुली नहीं था।
स्टेशन पर बाकि लोगों को सामान के साथ छोड़ कर, बाहर आकर टैक्सी तय की। यहाँ सहयात्रियों की दी गई जानकारी बहुत काम आई। अब फोन कर बाकि लोगो को स्टेशन से बाहर बुला लिया। जिप्सी में सामान रख, हम चल पढ़े। सड़क के दोनों ओर गेहूँ की पकी हुई बालियों की सुनहरी चादर बिछी हुई थी। ड्राइवर बोला, ’’आप यहीं लंच कर लीजिये, वहाँ एनक्रोचमेंट हटाने का अभियान चल रहा हैं। जो शाम को पाँच बजे तक चलेगा।’’ वह हमें एक रैस्टोरैंट में ले गया। जहाँ गैस की बजाय लकड़ी पर खाना बन रहा था। यहाँ एक नई सब्ज़ी सेव की मिली। इतने सालो बाद चूल्हे की रोटी खाकर आनन्द आ गया. अंजना ने स्वादिष्ट खाने का राज चूल्हा बताया\ क्रमशः