सुबह हम जैसे ही घर से निकले थे। अंकुर का फोन आया था कि आप यहां की संबलपुरी साड़ियों का नाम जपती हो, एक अपने लिए और एक श्वेता के लिए ले लेना, मैं पेटीएम कर दूंगा। मैंने मीताजी को बता दिया था और खुद के दिमाग से उतर गया था, भुवनेश्वर भ्रमण के चक्कर में। मीताजी को आदत नहीं है इतने एक्जरशन की, वह बहुत थकी लग रही थीं। मैंने नरेंद्र से कहा कि आप लोगों की गाड़ियां जाती हैं पुरी कोर्णाक उनमें अगर एक सवारी की जगह हो तो मुझे एडजस्ट कर देना। वैसे मैंने वेबसाइट का पर्यटन विभाग की गाड़ी का लिंक ले लिया है, उसे भी देखती हूं। इतने में नरेंद्र बोला, "यह देखिए यह उनका ऑफिस है। यहां से बुकिंग सीधे कर सकते हैं।" मीताजी बोली," हमारे उड़िया लोग जगन्नाथ जी की तरह हैं, वह भी दोपहर का भात खाकर सोते हैं और उनके भक्त भी इस वक्त आराम करते हैं, यहां कोई नहीं मिलेगा। शाम को ही बैठेंगे रात तक खूब काम करेंगे।" अब हमारी गाड़ी एकामरा हाट पर रुकी। मीताजी बोली," यहां साड़ी देख लीजिए।" गेट के अंदर प्रवेश करते ही इस जगह ने बहुत प्रभावित किया। 5 एकड़ में फैला, पूरे भारत से प्राप्त स्वदेशी उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए यह बाजार बना है। जिसमें घूमने के साथ हस्तशिल्प, हथकरघा, घरेलू उत्पाद आदि के झोपड़ीनुमा स्टॉल देख सकते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एंफीथिएटर कई राज्यों और शहर के कार्यक्रम और प्रतियोगिताओं के लिए यह स्थान मेजबानी करता है। जातीय व्यंजन, स्थानीय व्यंजन, अधिकतर मांसाहारी व्यंजन का भी आनंद उठा सकते हैं। हरियाली, कई जगह ग्रामीण प्रवेश और साफ सफाई ने इस स्थान को इतना प्यारा कर दिया है कि हमने यहां काफी समय बिताया। यह स्थान उड़ीसा की कला और संस्कृति से परिचय कराता है। एक ही स्थान पर घरेलू साज सज्जा, अद्भुत उत्पादों को देखना खरीदना, यहां तक की उनको लाइव बनते देखना, अपने आप में एक अद्भुत अनुभव है। मेटल, टेराकोटा का सामान, ताड़ के पत्ते पर काम, विश्व प्रसिद्ध कपड़ा, एप्लिक पत्ताचित्र, बेंत और बांस से बना सामान खरीद कर, हम अपने घरेलू और स्वदेशी उत्पादन को प्रमोट कर सकते हैं। यहां की संबलपुरी, नुआपट की बंधा साड़ियां देखकर आपका मन करेगा कि सभी खरीद लें। बेहद खूबसूरत!! बीएससी में पढ़ती थी तब आई थी साक्षी गोपाल, संबलपुर, यहां का हथकरघा दिमाग के किसी कोने में बस गया था। जब आत्मनिर्भर हुई तो अपनी सामर्थ के अनुसार बाबा खड़क सिंह मार्ग दिल्ली में एंपोरियम बिल्डिंग में सबसे पहले उत्कलिका में ही जाती। दुपट्टे, साड़ी खरीदती थी। अब यात्राएं करती हूं तो ऐसा सामान रखती हूं जो खुद उठा सकूं। एक्सीडेंट के बाद एक हाथ ढंग से काम नहीं करता तो कपड़ों को वजन के हिसाब से कैरी करती हूं। यहां भी उत्कालिका में ऐसे पहुंची जैसे परिचित होती हूं। उसके अलावा कहीं नहीं गए, समय खूब लगा क्योंकि यहां साड़ी पसंद करना बहुत मुश्किल है। सभी खूबसूरत साड़ियां है। श्वेता को वीडियो कॉल लगाई कि देख ले कौन सी पसंद है? उसका भी वही जवाब जो आप पसंद करोगी, वही मुझे पसंद होगी। फिर मेरा काम बढ़ गया, इतनी खूबसूरत साड़ियों में से सेलेक्ट करना! पर किया। यहां इतना समय लग गया कि अब हम सीधा घर ही आ गए।
यहां जरूर जाना चाहिए।
मधुसूदन मार्ग, यूनिट 3 एकामरा विहार, यूनिट 9, भुवनेश्वर उड़ीसा
क्रमशः