मुफ्त की बैटरी बस से उतरते ही, मैं बस स्टैंड के अंदर गई। वहां कोणार्क के लिए सवारियों से लदी बस, जाने को तैयार खड़ी थी और दूसरी बिल्कुल खाली। मैंने खाली बस वाले से पूछा," यह कितनी देर में जाएगी?" उसने कहा," एक घंटे के बाद।" यह सुनते ही मैं भरी हुई बस में चढ़ गई। और किसी तरीके से खड़े होने की जगह बना ली। यहां कोई लेडिज सीट, सीनियर सिटीजन सीट नहीं थी। यानि महिला पुरुष यात्री सब समान। पता नहीं क्या सोच कर कंडक्टर मेरे पास आया, उसने एक लोकल सवारी को मेरी जगह खड़ा कर दिया और मुझे उसकी जगह। उस लोकल आदमी ने कोई विरोध नहीं किया और बस चलने लगी। बहुत खूबसूरत रास्ता! रास्ता नारियल के पेड़ छोटे-छोटे गांव घर, खेत, घनी हरियाली और ठंडी हवा आदि। मैं जहां खड़ी थी, वहां सीट पर गुड़गांव की सास बहू बैठी थीं और पुरी में ठहरी थीं। उसका पति दूसरी सीट पर था। वह बताने लगी कि यहां के लिए टू व्हीलर, फोर व्हीलर भाड़े पर मिलते हैं 300 ₹400 में। हम तीन लोग हैं पर हम बस में ही आए। आंखें मेरी बाहर लगी हुई थी, उनकी बातें मैं सुन रही थी। अच्छी बनी सड़क दोनों ओर घनी बेहद खूबसूरत हरियाली जो देखने लायक थी। पुरी से कोणार्क तक की दूरी 36.2 किमी है, जिसे पूरा करने में 48 मिनट लग जाते हैं। अगर आप निजी वाहन से आते हैं तो कहीं भी खूबसूरती को निहारने के लिए रुक सकते हैं। अब बेलेशोर और मां रामचंडी बीच आया। यहां पर मंदिर है और पिकनिक मनाने के लिए किराए का सामान भी मिल जाता है। घनी हरियाली, गांव, ठंडी हवा और पानी के बीच में रेत के टीले हैं। यहां वॉटर स्पोर्ट्स और वोटिंग कर सकते हैं। और मैं साधु वाद देती हूं कंडक्टर को जिसने मुझे बाई ओर की खिड़की के आगे खड़ा कर दिया था। कहीं कम आबादी वाले गांव जो बेहद साफ सुथरे हैं। यह पूरा क्षेत्र वन्य जीव अभयारण्य के रूप में जाना जाता है। इतनी भीड़ में आध्यात्मिकता, संस्कृति, प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाती यह अनूठी यात्रा मुझे जरा भी एहसास नहीं होने दे रही कि मैं खड़ी हूं और बस ओवरलोडेड है। पुरी से यहां तक का टिकट ₹50 है। बेहद खूबसूरत चंद्रभागा बीच आता है। यहां पर सवारियां चिल्लाने लग जाती हैं, "भैया थोड़ी देर गाड़ी रोक दो, हम देख तो ले।" ड्राइवर भी भला है। वह रोक देता है और जब यहां से चलता है तो वह गाड़ी की स्पीड बहुत कम रखता है और लोग विस्मय विमुग्ध होकर बाहर देखते हैं। मैं साथ साथ लोगों से बातें भी करती जाती हूं। वे बताते हैं कि यहां सबसे ज्यादा भीड़ होती है अक्टूबर और जनवरी के बीच में। जब कोणार्क फेस्टिवल होता है तब तो देश दुनिया के लोग यहां बड़ी संख्या में आते हैं। माहौल अलग सा हो जाता है। रास्ते में छोटे-छोटे रेस्टोरेंट है, खाने में यहां पर चावल और मछली करी हर जगह मिलेगी बाकि राज्य के व्यंजन भी आपको मिलेंगे। कोणार्क में बस ने उतार दिया। उतरने से पहले मैंने कंडक्टर से पूछा कि दूसरी बस कब मिलेगी? उसने कहा," पुरी के लिए हर आधे घंटे में और भुवनेश्वर के लिए भी आधे घंटे में लेकिन एक बस स्टेशन जाने के लिए दूसरी बस बरमूडा बस स्टैंड जाने के लिए पूछ कर चढ़ना। उतरते ही मैंने नारियल पानी पिया, कीमत ₹20 और मीताजी को फोन किया। इ
स वक्त एक बजा था।
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क्रमशः