चैहदवीं मंजिल पर
हमारा रूम था। सामान को ट्राॅली पर रख कर पहुँचाने, एक महिला आई। रूम में पहुँचते ही मुझे एक बात ने बहुत
प्रभावित किया वह था, कि वहाँ रक्खी एक
स्लिप, जिस पर एक इबारत लिखी थी कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना
चाहिये ताकि अगली पीढ़ी भी इसका लाभ उठा सके। हम बुद्धवार को सुबह पहुँचे थे।
शनिवार को हमें मकाऊ के लिये निकलना था। मैं तो रात की जगी हुई थी। मैं सिर्फ सोना
चाह रही थी। एयरर्पोट से जो मूनकेक, कुकीज़, सैंडविच लिये थे
यहाँ के स्पैशल, मैं तो वही खा कर
सो गई। उत्तकर्षिनी ने गर्मागर्म काॅफी बना कर जगाया। दोनों माँ बेटियाँ तैयार थी, घूमने जाने के लिये। मैंने उत्तकर्षिनी से पूछा,’’तुम लोग सोये थे?’’उसने जवाब दिया,’’नई जगह है न,
गीता खिड़की से बाहर देखते देखते सो गई। तो मैं
भी सो गई। इसने उठते ही मुझे जगा दिया। आपको भी जगाने जा रही थी पर मैंने नहीं
जगाने दिया। अब ये किसी तरह नहीं मान रही है।’’हमने काॅफी खत्म की उसने दूध, साथ ही हमने तैयारी कर ली। शाम खत्म होने को थी। नक्शा देख
कर जो हमारे होटल के आस पास जगह थी, हमने वहाँ घूमने का प्लान बनाया। सबसे पहले नाइन इलेवन स्टोर से गीता के लिये
दूध के डिब्बे लिये जिन्हें उबालने की जरूरत नहीं थी। बस बोतल में डालो और पिला
दो। गीता को नूडल बहुत पसंद हैं। घर में हम उसे नहीं देते हैं। परदेस में भूखी न
रहे, इसलिये कई तरह के ले
लिये। होटल के रूम में इलैक्ट्रिक केतल थी। उबलता पानी नूडल के जार में डाल देते
थे। बस नूडल तैयार और गीता बिज़ी। प्रैम में सामान लटका कर, हम चल दिये। पैदल चलने में और गाड़ी से गुजरने में फर्क
होता है। क्राइम यहाँ न के बराबर है इसलिये कोई डर नहीं, गगनचुंबी इमारतों में साफ सुथरी पतली सड़कें, जिन्हे गलियाँ कह सकते हैं। ऐसा लग रहा था कि
बारिश होगी। गीता को हम जैकिट पहना कर लाये थे। अपने लिये इण्डिया से एक पतला सा स्वेटर लाये, वो भी होटल में छोड़ आये। हल्की सर्दी थी. लेकिन चलने में सर्दी बहुत कम लग रही थीं पर बारिश नहीं
हुई। अब हम टैंपल स्ट्रीट नाईट मार्किट पहुँचे। स्ट्रीट के दोनो ओर दुकाने थी। बीच
में खरीदार चल रहे थे। जहाँ हर तरह का सामान था और जमकर बारगनिंग हो रही थी। इन
छोटी दुकानों के पीछे बड़ी दुकाने थींं और उन दोनो के बीच वरांडा था। लेकिन छोटी दुकाने,
वरांडे की ओर दुकानदारी बिल्कुल नहीं कर रही थींं, वे सामने से ही कर रहीं थी। सामने खड़े ग्राहक को पीछे की दुकान, पूरी तरह डिसप्ले हो रही थी। वरांडे में और
स्ट्रीट में किसी तरह का अतिक्रमण नहीं। इतनी कम जगह में दुनिया भर के सैलानियों
की अनुशासित भीड़, जहाँ गंदगी का नामोंनिशान नहीं, हैरान कर रहा था। जिसमें गीता की प्रैम भी चल रही थी। हमने
आइसक्रीम पार्लर देखा, उसकी तीनो ने अलग
अलग वैराइटी ली। अच्छा स्वाद था, साबूदाना तीनों
में था। जितनी देर आइसक्रीम खाई, गीता प्रैम से
उतरी रही। जब हम चलने लगे तो जाकर प्रैम पर बैठ गई और हमने बैल्ट लगा दी। गीता का
सहयोग देखकर मैं और उत्तकर्षिनी बहुत खुश हुए। हमने सोचा सब के लिये गिफ्ट भी ले
लेते हैं। होटल पास है, सामान ले जाना भी
आसान है। यहाँ पर कोई भी चीज नामी ब्राण्ड की नकली नहीं मिलती है। इसलिये कोई
टैंशन नहीं थी। मैंने जीवन भर फिक्स प्राइस शाॅप से ही खरीदारी की है। यहाँ
बारगनिंग करने में बहुत मज़ा आ रहा था। हमें भूख भी लग रही थी। सामान हम सफर में
कम ही ले जाते हैं इसलिये सामान लाने में हमें कोई परेशानी नहीं थी। भारतीय देखकर
कोई भी भारतीय खाने का प्रचार कर जाता, साथ ही इश्तहार का पर्चा दे जाता। यह देखकर अच्छा लगता। पर मैं भी अपनी आदत से
मजबूर हूँ और मेरी आदत हैं कि मैं देश विदेश जहाँ भी जाती हूँ, उस स्थान का खाना ही खाती हूँ। एक रैस्टोरैंट
में हम बैठे, मैं मैन्यू कार्ड
में वेजीटेरियन खोजने लगी। ऐसी ऐसी डिश थी जो मैं पहली बार पढ़ रही थी मसलन जानवरों
के कान और जीभ, चिकन फीट,
पोर्क बैली, स्टीमड पोर्क रिब्स विद गारलिक, मेंढक के बहुत व्यंजन थे। मैंने उत्तकर्षिनी से पूछा,’’तुम तो नानवेज़ खाती हो, तुम्हारे लिये तो बहुत वैरायटी है।’’ उसने जवाब दिया,’’माँ, गंगा, यमुना, गोमती का दूध पीकर पली हंँू, उनके बछड़े बछिया
के साथ खेली हूँ। विदेश में मुझे इंग्रीडेंट देखने पढ़ते हैं कि किसी डिश में बीफ़
न हो।’’ उत्तकर्षिनी के मुहँ से
यह सुनकर मुझे कितना अच्छा लगा यह लिखने की मेरी औकात नहीं है। हमने फ्राइड बींस,
फ्राइड ब्रोकली, अण्डा और शलगम कर आमलेट और चिकन नूडल आॅडर किया। शायद नये
परिवेश के कारण गीता हमारे आसपास ही खेलती रही। एक एक बींस के दो दो टुकड़े थे।
काफी खाना बच गया था जिसे हमने पैक करवा लिया था। अब रात एक बजे हम होटल आ गये।
खाना फ्रिज में रक्खा, गीता को दूध की
बोतल दी। सुबह सात से साढ़े दस तक होटल में ब्रेकफास्ट था। हमने प्रोग्राम बनाया
कि गीता को नहीं जगायेेंगे। एक एक करके ब्रेकफास्ट कर आयेंगे। ताकि गीता घूमने में
सोय नहीं।
2 comments:
Nice title and description
धन्यवाद हार्दिक
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