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Tuesday, 10 October 2017

अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करते समुद्र तट, मनमोहक सूर्योदय सूर्यास्त,Goa 8 गोआ का तो चप्पा चप्पा Anterashtriya Peryatako ko aakershit kerte samundra tath ,Manmhak surya asth, Suryodaya नीलम भागी





                               नीलम भागी               
इतने दिन गोवा रहने पर भी हमने सूर्योदय और सूर्यास्त नहीं देखा कारण देर से सोना देर से उठना। आज हमने दोपहर को नहीं सोना था क्योंकि अंधेरा होने पर ही आँख खुलती थी। धूप ढलते ही हम बीच पर बैठ गये और सूरज डूबने के नज़ारे को कैमरे में कैद करने लगे। अंधेरा होते ही चाय पीने चल दिये। चाय के साथ हमने उसल मिसल पाव खाया। शॉपिंग की। आज हमारा यहाँ आखिरी डिनर था। हमने थेचा, भाखरी और आलू ची पातल भाजी खाई। अंकूर ने फिश रेशैडो खाई। अगले दिन हमने जिस कैब वाले को बुलाया था, उससे तय कर लिया था कि वह सुबह हमें सूर्योदय दिखाता हुआ, मडगाव स्टेशन छोड़ेगा। 9 बजे की राजधानी से जाना था। मेरी 12 बजे की मुंबई के लिये फ्लाइट थी। सूूर्य उदय देखने के कारण अंकूर श्वेता जल्दी स्टेशन पहुँच जायेंगे। वही कैब मुझे डैबोलिन हवाई अड्डे पर पहुँचा देगी। रात हमने पैकिंग कर ली थी। सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो गये। कैब आ गई। चालक अजय ने सामान गाड़ी में रक्खा। अजय ने पूछा,’’कौन से बीच।’’ हमने कहा,’’जो रास्ते में पड़े।’’ हल्की नीली रोशनी में हम बीच पर बैठ गये, सूर्य देवता के स्वागत में। देवता उदय हुए। उन्हें और सागर को नमन कर हम कैब में बैठे और चल दिये। हम सब बाहर देखते हुए जा रहे थे। बहुत पहले हम स्टेशन पर पहुँच गये। श्वेता अंकूर ने सामान उतारा। अजय मुझे लेकर एयरपोर्ट चल पड़ा। ये रास्ता आने वाले रास्ते से अलग था। जो भाग गोवा का छूटा था वो देख रही थी। वास्कोडिगामा से भी गुजरी। अजय यहाँ गाइड का भी काम कर रहा था। मोर भी मैदानों में देखे, बेहद पुराने पेड़ भी। यहाँ का मुख्य उद्योग पर्यटन है। लौह अयस्क का 40%निर्यात होता है। चावल, काजू, सुपारी और नारियल की खेती की जाती है। गोवन फिश करी, प्रॉन करी मशहूर है। एक बात की मुझे बहुत खुशी हुई, वो ये कि मैंने जिससे भी हिन्दी में बात की, वह बहुत अच्छी हिन्दी में बात करता था। यहाँ कोंकणी, मराठी बोली जाती है। कुछ लोग पुर्तगाली भी बोलते हैं। अंग्रेजी तो है ही। यहाँ लगने वाले बाजारों में दुकानदार महिला पुरूषों का अंग्रेजी  बोलने का लहज़ा बिल्कुल विदेशी था। मरियम को स्थानीय कोंकणी भाषा में साइबिन माई पुकारा जाता है।
घरों के आँगन के बीचो बीच छोटा सा ऊँचा चबूतरा जो कई रंगों से सजाया होता था, उस पर तुलसी जी का गमला विराजमान था।
समुद्र तट पैरासैलिंग, जल क्रीड़ाओं, वागाटोर, अंजुना, और पालोलम बीच पर अन्तर्राष्ट्रीय पर्यटकों का आना जाना है। वे जैसे मरजी घूमे उनकी ओर कोई ध्यान नहीं देता। सिनेमा में जिस तरह माइकल और गोअन लड़की की वेश भूषा दिखाते हैं। वैसा मुझे तो कहीं नहीं दिखा। गोवन महिला पारंपरिक पोशाक में या देश की महिलाओं की तरह सलवार कुर्ते या रिवाज़ के अनुसार दिखीं, भारतीय महिलाओं की तरह। मैं बहुत जल्दी एअरर्पोट पहुँच गई। अब अंदर जाकर मैं अपनी फ्लाइट का इंतजार करने लगी। मार्था का फोन आया कि हमारे कुछ कपड़े रह गये हैं। मैंने धन्यवाद करते हुए उन्हें कहाकि अपर्णा और सौरभ हमसे एक दिन बाद आयेंगे। वे आपसे ले लेगें। जाते जाते यहाँ की इमानदारी ने भी मेरा मन मोह लिया।

2 comments:

Cyber Pen said...

Thanks for Sharing the captured beauty!

Neelam Bhagi said...

dhanyavad