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Wednesday 28 March 2018

Food factory kisney barwad kee ? फू ड फैक्टरी किसने नष्ट की ? Neelam Bhagi नीलम भागी नीलम भागी

गमले मेंं पालक
फू ड फैक्टरी किसने नष्ट की ?
                                         नीलम भागी
मेरा बेटा एनिमिक है। प्रीस्क्रिपशन के साथ डॉक्टर ने समझाया कि इसे हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ खिलाओ। सुनते ही मेरे मुंहँ से निकला,’’ये न, हरी सब्जी़ खाता नहीं है।’’ डॉ. ने जवाब दिया,’’मैं तो खिलाने आऊँगा नहीं। खिलाना तो आपको ही पड़ेगा।’’अब मैं तरह तरह की हरी सब्जियों की डिशेज़ तैयार करती पर मेरा लाडला, स्वाद तक न चखता। मैंने भी हार नहीं मानी। एक दिन मैंने हरी पत्तियों के पेस्ट में नमक अजवायन डाल कर आटा गूंध कर, उसके हरे परांठे सब्ज़ी के साथ उसके लंच बॉक्स में रख दिये। दिन भर डरती रही कि आज मेरा चंदा भूखा आयेगा। जैसे ही सोना स्कूल से लौटा। मैंने झट से लंच बॉक्स खोल कर देखा, वह साफ था। मैं अपनी खुशी को शब्दों में नहीं बयान कर सकती कि मेरे हाथ में चुम्मू को हरी सब्ज़ी खिलाने का र्फामूला आ गया। सिर्फ स्कूल में मैं दो हरे परांठे देती साथ में सब्जियाँ बदल बदल कर, ताकि उसकी खाने में रूचि बनी रहे। अब दो परांठो के लिए मुझे रोज़ 4-6 हरे पत्तों की जरुरत थी। इतने पत्ते खरीदने में शर्म आती है। ज्यादा खरीदो तो ये जल्दी खराब हो जाते हैं। अगर सब्ज़ी बनाओ तो बाकि लोग रोज़ नहीं खाते। मैंने गमलों में हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ धनियाँ, मेथी, पालक, बथुआ, सोहा, चौलाई और सौंफ उगा दीं।









इससे मुझे रोज दो परांठो के लिये ताज़े हरे पत्ते मिल जाते हैं। बी.एस.सी में मेरे पास बॉटनी सबजैक्ट था। जिसे मैंने तब सिर्फ अच्छी परसैंटेज़ लेने के लिए, सलेबस पढ़ा और रटा लिया था।
 अब मुझे इस कंटेनर गार्डिनिंग में बहुत मज़ा आने लगा। मैं जानती हूँ कि पौधे  की पत्तियों में खाना बनता है। ये पौधे की फूड फैक्ट्रियाँ होती हैं। इसलिये मैं कभी भी छः इंच से कम की टहनी नहीं तोड़ती। लाल चौलाई के साथ, हरी चौलाई या हरा पालक का गमला रखना मुझे बहुत अच्छा लगता है। शौक बढ़ने लगा, जगह की कमी के कारण मैंने सोचा मैं दीवारों पर लौकी और कद्दू की बेले चढ़ाऊँगी। मैंने बेले बोई। हरी हरी बेलों ने मेरे घर की दीवारें ढक ली। आज मेरी बेलों से पत्ते गायब थे। गार्ड है इसलिये गाय तो आ नहीं सकती, अगर आती भी तो वह पत्तों के साथ तना भी खाती। यहाँ तो पत्तों के डण्ठल भी छोड़े हैं, र्सिफ पत्ते तोड़े हैं।
   कुछ मेड बतिया रहीं थीं। मैंने उनसे पत्ते गायब होने का ज़िक्र किया। वे कोरस में बोली,’’दीदी, ये अमुक देश की कामवालियों का काम है। वो लौकी, कद्दू, सीताफल जिस किसी के भी पत्ते दिखें फटाफट तोड़ कर, पल्लू से बाँध कर ले जाती हैं और उसकी सब्जी बना लेती हैं।’’ इतनी बड़ी बेले तो नहीं हुई थीं कि कुछ पत्ते तोड़ लिये जाये तो कोई फर्क न पड़े। अब ये पौधे खाना कैसे बनायेंगे। ये तो मर जायेंगे न। 
                          गमलों से तोड़ी चौलाई

Tuesday 20 March 2018

World Sparrow Day,Chi Chi kertee aye chiria चीं चीं करती आई चिड़िया Neelam Bhagi

World Sparrow Day
                              विश्व गौरया दिवस
मेरी दादी चिड़िया के दाल के दाने और कैए के चावल के दाने से बनी, खिचड़ी की कहानी सुनाती थी कि जब खिचड़ी बन गई तो चिड़िया कौए से बोली,’’चलो, पहले नहा आते हैं फिर खिचड़ी खाते है।’’ उसने आप कटोरा लिया और कौए को छलनी दी। कौआ पानी भरे सारा पानी निकल जाये। आप जल्दी से नहा कर आ गई। कैसे चिड़िया ने कौए को बेवकूफ बना कर, सारी खिचड़ी खा ली थी और चूल्हे के पीछे छिप गई थी। भूखा कौआ बिना नहाये आया। खिचड़ी खत्म देखकर उसे बहुत गुस्सा आया। उसे छिपी हुई चिड़िया की पूंछ दिखाई दे गई। कौए ने चिमटा गरम करके चिड़िया की पूंछ पर लगाया। चिड़िया चिल्लाई,’’चीं चीं मेरा पूंछ जलया।’’ कौए ने जवाब दिया,’’क्यूं पराया खिचड़ी खाया।’’  मै छोटी थी, दादी आँगन में चावल, बाजरा मेरे हाथ से डलवाती, गौरैया झुण्डों में आतीं और सारा दाना चट कर जातीं। मैं सोचती कि वह कौए के साथ खिचड़ी बनाने गई है। अब न मेरठ में हूँ और न ही आँगन है, पर गौरैया प्रेम वैसा ही है। घर के आगे मौसम के अनुसार बदल-बदल कर दाना डालती हूँ । गौरैया के साथ कबूतर भी आ जाते हैं।
कॉरर्न का घर है, साइड लोगो ने पार्किंगं बना दी है। मैं बाजरा डालती हूँ। पक्षी दाना खाने में मश़गूल होते हैं और गाडियों के नीचे छिपी हुई बिल्लियाँ  कबूतर, गौरैया जो भी, दाँव लगे झपट लेती हैं। यह देख मैंने दाना देर से डालना शुरु कर दिया है। जब लोग गाड़ियाँ ले काम पर निकल जाते हैं, रात से भूखी गौरैया बिजली के तारों पर बैठीं चीं ची करतीं रहतीं हैं। काफी जगह खाली होते ही मैं दाना डालती हूँ। वे दाने पर टूट पड़ती हैं। फिर भी बिल्ली गौरैया झपट ही  लेती हैं। क्योंकि कुछ लोगों के पास फालतू गाड़ी के लिए जगह नही है, फिर भी कई गाड़ियाँ रखना  उनके लिये स्टेटस सिम्बल है। इसलिए वे गाड़ियाँ खड़ी रहतीं हैं, और उनके नीचे बिल्लियाँ छिपी रहती हैं। बिल्ली चूहे का शिकार छोड़, गौरैया की शिकारी बन गई हैं। गौरैया की संख्या कम होती देख, मैंने 3 बोगनविलिया के पौधे लगवा दिए। बोगनविलिया फैलते गये, गाड़ियाँ दूर होती गई और गौरैया की संख्या बढ़ती गई। वे चौकन्ननी होकर दाना खाती, खतरा देखते ही झाड़ में छिप जातीं।
200-250 गौरैया देख, मैं खुशी से फूली न समाती। पार्किंग करने वालों को मेरे बोगनविलिया दुश्मन दिखाई देते। बसन्त के मौसम में रंग बिरंगे फूलों से लदे, बोगनविलिया ने अतिक्रमण नहीं किया। वह उद्यान विभाग द्वारा लगाये, 4 अमलतास के पेडों में से इकलौते बचे, पेड़ की सीध से आगे नहीं बढ़ते। कुछ लोग पार्किंग से परेशान, लोगो को सलाह देते कि यदि ये झाड कट जाये,ं तो यहाँ 6 गाड़ियाँ खड़ी हो सकती हैं। एक दिन हृदय विदारक चीं चीं की आवाज सुनकर मैं बाहर गई। एक कार प्रेमी, झाड़ की छटाई कम, कटाई ज्यादा करवा रहे थे। मुझे देखते ही वाणी में मिश्री घोल कर, बोले, ’’यहाँ बच्चे खेलते हैं और साँप रहते हैं। इसलिए मैं इनकी छटाई करवा रहा हूँ।’’ मैंने जवाब दिया कि गौरैया चिड़िया खत्म होती जा रही हैं। यहाँ उनकी संख्या बढ़ रही है। और बड़े शरीफ साँप हैं, जो गौरैया के अण्डे बच्चे, खाना छोड कर, दिन भर उपवास करते हैं कि शाम को बच्चे खेलने आएँ और साँप उन्हें खाए।’’ फिर वे बोले, ’’यहाँ कोई आतंकवादी भी तो बम रख सकता है।’’ उनके सारे कुर्तकों के मैंने जवाब दिए। अंतिम अस़्त्र उन्होने छोड़ा कि माली के पैसे भी वे देंगे साथ ही टहनियाँ भी उठवा देंगे। पर मैंन गौरैया का घर नहीं उजड़नें दिया।
मैं कुछ दिनों के लिए बाहर गई। लौटी तो मेरे बोगनविलिया साफ थे। बस चार-छ इंच जड़े दिख रहीं थीं। वहाँ लाइन से गाड़ियाँ खड़ी थीं। सबसे पहले मैंने उन बची हुई जड़ों में पानी डाला फिर स्वयं पानी पी कर अपना गुस्सा शांत किया। काफी दिनों के बाद उनमें से कोंपले फूटी हैं। बोगनविलिया फिर फैलेंगे और चीं चीं करती चिड़ियाँ, उम्मीद करती हूँ, उन पर फिर से चहकेंगी।

Tuesday 6 March 2018

देसी चूहे और विदेशी चूहेswadeshi chuhey aur videshi chuhey नीलम भागी Neelam Bhagi

स्वदेशी चूहे और विदेशी चूहे
               नीलम भागी
दुबई में मेरे बाथरूम में एक चुहिया हाज़त रफ़ा करने आती थी। कभी-कभी दरवाजा खोलने पर मुझे दिखाई भी देती थी, मुझे देखते ही उसी समय डर कर भाग जाती थी और मैं उसकी मेंगनी पर पानी डाल कर बहा देती। एक दिन मेरी बेटी उत्कर्षिणी ने उसकी मेंगनी देख ली। उसने मुझसे पूछा ’’माँ यहाँ कोई चूहा है? मैंने कहा,’’ बेटी एक छोटी सी चुहिया आती है कभी-कभी।’’ उत्कर्षिणी गायब! सुनते ही थोड़ी देर बाद उसकी जर्मन मकान मालकिन कात्या मूले और मेरी बेटी आई। कात्या मूले बोली,’’ आप घर से बाहर मत जाना। मेरी पेस्ट कन्ट्रोल वालों से बात हो गई है। अभी शाम के साढ़े पाँच बजे हैं और वृहस्पतिवार है। यहाँ जुम्मे (शुक्रवार) और शनिवार की छुट्टी होती है यानि वीकएंड। इसलिये वो आते ही होंगे।’’ उत्कर्षिणी ऑफिस चली गई और मैं इन्तजार करती रही, पर कोई नहीं आया। दो घन्टे बाद कात्या मूले आई। मुझे गले लगाकर बड़ी दुखी होकर बोली ’’माई डियर, शायद उनका ऑफ हो गया, अब वो संडे को आएँगे। तुम्हें दो दिन तक चूहे को देखना कितना बुरा लगेगा!!’’ मैंने भी लौकी की तरह मुहँ लटकाकर, हाँ में गर्दन हिला दी। पर शुक्रवार सुबह ही हमारे यहाँ दो आदमी आए। उन्होंने मुझसे चूहे के बारे में तफतीश की। इतने में कात्या मूले आ गई। उन व्यक्तियों ने कहा कि वे कुछ खाने को रख जायेंगे। चूहा आएगा, खाएगा और जिस रास्ते से आया है, वहीं से वापिस चला जाएगा। बाहर कहीं जाकर मरेगा। कात्या मूले बोली ’’अगर वो नहीं गया, बाथरूम में ही मर गया तो?’’ मरा चूहा हममें से  कोई नहीं उठाएगा। मरने के बाद इसकी बॉडी डिकम्पोज़ होगी, उसमें से बदबू आएगी।" न न न...
वे चले गये  दो घंटे बाद लौटे, उन व्यक्तियों ने फिर एक ट्रेप दिया कि इसे बाथरूम में रख दो। चूहा केक खाने आएगा और इसमें फंस जाएगा लेकिन मरेगा नहीं। कल वे आएँगे चूहा ले जाएँगे। कात्या मुले बोली,’’ चूहा तो कभी भी फंस सकता है। अगर आपके जाते ही फंस गया तो, फिर ये कल तक बाथरूम कैसे इस्तेमाल करेंगी। इन्हें चूहा देखकर कितना बुरा लगेगा! और फंसा चूहा कल तक मर गया तो फिर बदबू।’’न न न....
अब वो दो व्यक्ति चले गए। कुछ देर बाद उनके साथ दो आदमी और आ गए। चारों ने आपस में विचार गोष्ठी की। वे दो आयताकार ट्रे ले आए, जिसके बीच में केक रखा था। उसमें एक सफेद सी पारदर्शी जेली फैली थी, जिसमें से हल्की सी गन्ध आ रही थी। उन्होंने उस ट्रे को 90 के कोण पर मोरी के दोनों ओर रख दिया और कहा, अब चूहा मोरी के जिस ओर भी जाएगा उसे केक दिखेगा। वह केक खाने जाएगा और इस ट्रैप पर फंस जाएगा। मरेगा नहीं। कात्या मुले ने बहुत ध्यान से समझा फिर बोली,’’ अगर इनका बाथरूम का दरवाजा खुला रह गया और मेरी बिल्लियाँ चूहा खा गई तो?" उनमें से दो पाकिस्तानी थे। हम तीनों ने बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी रोकी। कात्या मुले ने 11 बिल्लियाँ और एक कुत्ता पाल रखा था।
उन व्यक्तियों ने आपस में सलाह करके एक पत्थर मोरी पर रख दिया और साथ ही केक वाली ट्रे। मुझसे पूछा,’’आप रात को कितने बजे सोती हैं?’’ मैंने जवाब दिया,’’बारह बजे।’’उन्होंने मुझसे पूछा,’’आप रात को सोते समय पत्थर को मोरी के ऊपर से हटा देंगी प्लीज?’’ मैंने कहा,’’ मैं हटा दूँगी।’’ उन्होंने पूछा ’’सुबह आप कितने बजे सो कर उठेंगी’’। मैंने उत्तर दिया 7ः30 बजे।"वे चले गये| मैंने सोते समय  पत्थर हटा दिया.
          सुबह ठीक 7ः30 बजे, उन्होंने दरवाजा खटखटाया। मैंने जैसे ही खोला, वे सीधे बाथरूम में गए। वहाँ ट्रैप पर दो मरियल से चूहे केक तक तो पहुँचे नहीं थे। उनके पैर जैली में धंसे हुए थे, वे टुकुर टुकुर देख रहे थे।
उसी समय कात्या मूले प्रकट हो गई। गुस्से से बोलने लगी,’’ ये एरिया रैट इफैक्टिड हो गया है। मैं अपनी बिल्लियों को बैलेंस डाइट देती हूँ। चूहे गन्दे होते हैं। अगर मेरी बिल्लियों ने चूहा खा लिया तो उनको इन्फैक्शन हो जाएगा। मैं मुन्स्पिलटी में आपकी शिकायत करूँगी।’’ उन्होंने विला के लॉन में पाइप जैसे ट्रेप लगाए, जिसमें चूहा तो जा सकता था, लेकिन बिल्ली का मुँह नहीं। मोरी की जाली को फिट करवाया, जिसे कई चूहे मिल कर हिला नही सकते थे। कई दिन तक ट्रेप लगाते रहे। लेकिन कोई चूहा नहीं फंसा फिर वे अपना ट्रेप ले गए।
कुछ साल पहले जब मैं नौएडा में आई थी तो रात को मोटे मोटे चूहे देखकर डर गई थी। छोटे-छोटे चूहे तो हमें बचपन से देखने की आदत है। पर इतने मोटे चूहे!!!मैंने पडोसियों से कहा, यहाँ चूहे बड़े मोटे हैं। उन्होंने उत्तर दिया कि पहले यहाँ खेत थे। ये जंगली चूहे है। जंगली चूहे तो जंगल में होने चाहिए पर यहाँ इतने सालों बाद अब भी दिखाई देते हैं। शहर खूब विकसित हो गया पर चूहों से निज़ात नहीं मिला।
आज जब भी पति विवेकानन्द जी की मुद्रा में और साथ में पत्नी जेबकतरे की चाल से जा रही हो, तो पत्नी के हाथ में एक चूहेदान अवश्य होता है। जिसे वे दाएँ बाएँ देखकर चूहे को किसी के भी घर की नाली में प्रवेश करवा कर बड़ी खुशी से घर लौट आते हैं। इस पद्धति से चूहे खत्म नहीं होते। बस इधर के चूहे उधर और उधर के चूहे इधर. कभी-कभी वे अपने घर लौट आते हैं।
लटूर नामका लड़का किसी फैक्टरी में रहता और नौकरी करता था। शाम को वह मेरे घर के काम करता था। उसके आने से मेरे घर में चूहे खत्म हो गए थे। कैसे !!मैंने कभी ये सोचा ही नहीं था. मैं शाम को 6 से 8 अपने फर्स्ट फ्लोर पर बच्चों को पढ़ाती थी और वह घर के काम करता था। एक दिन मैं अचानक रसोई में गई, वो गैस पर चूहा भून रहा था। मैं चीखी, अरे! ये क्या कर रहा है? वह बड़े इत्मीनान बोला,’’ चूहा भून रहा हूँ।’’ मैंने पूछा,’’ क्यों?’’ कहने लगा, ’’खाऊँगा, चूहे का माँस सेहत के लिए बहुत फायदेमन्द होता है। जो जाड़े में उसे सर्दी से बचाता है और गर्मी में लू से और बरसात- - -वो चूहे के माँस के बहुत फायदे बता रहा था। जिस पर मैं थीसिस लिख सकती थी। पर शाकाहारी ब्राह्मण घर की रसोई में उसने माँस भूना, इसलिए मैंने उसे तुरन्त निकाल दिया। आज ये सोचकर अच्छा लगता है कि चूहा देश का 40%  अन्न खाता है तो कुछ लोग चूहे को खाते हैं। ऐसे लोग मेरे शहर में बस जाएँ, तो चूहों से निज़ात मिले।

Saturday 3 March 2018

इकोफ्रेंडली साइकिल मैं क्यों चलाती हूँ? Eco Friendly Cycle Mein Kyun Chalati Hoon !!!! Neelam Bhagi

विश्व साइकिल दिवस पर आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं।
 अच्छे स्वास्थ्य के लिए इको फ्रेंडली साइकिल चलाएं।




 मैं विस्मयविमुग्ध, सिंगापुर की सुन्दरता और सफाई देख रही थी। अर्पणा मुझसे सफ़र, घर के लोगों के बारे में पूछ रही थी। एक क्रॉसिंग पर रेडलाइट पर हम रुके। साइकिल पर कुछ लोगों को देखकर मेरे मुहँ से निकला,’’ये अच्छा है, यहाँ लड़के साइकिल खूब चलाते हैं।’’मेरी बात सुनते ही सब हंस पढ़े और एक साथ बोले,’’ये उम्र में पचास साल से ज्यादा हैं। वर्किंग डे था और शाम का समय था। ये सब ऑफिस से आ रहें हैं। चेहरे देखे तो युवक और प्रौढ़ में फर्क नज़र आया, लेकिन फिटनैस सबकी एक सी थी। अपने कौनडो(मल्टीस्टोरी अर्पाटमेंट) के बेसमेंट में गाड़ी पार्क की, एक ओर साइकिलें भी लाइनों में खड़ी थीं। 15 वीं मंजिल पर घर, सुबह आँख खुलते ही सामने समुद्र, ईस्ट कॉस्ट रोड, चार सड़कें, प्रत्येक रोड ग्रीनबेल्ट से अलग की गई थी। दो ट्रैफिक के लिए एक साइकिल और एक पैदल चलने वालों के लिए। पैदल रोड और समुद्र तट के बीच में ईस्ट कॉस्ट पार्क था। समुद्र देखते ही मैं घर से निकल पड़ी।
    बाहर निकलते ही अण्डरपास दिखा, उससे मैं  साइकिल रोड पर पहुँची। जिस पर साइकिल सवार थे। डबल साइकिल भी जिस पर दो लोग पैडल मार रहे थे। मैं पैदल वालों की रोड पर चलने लगी। मेरे एक ओर समुद्र की लहरों का शोर था। दूसरी ओर एक सी फिटनैस के लिये साइकिल सवार लोग थे। हमारे यहाँ की रिक्षा जैसी गाड़ी और ई रिक्शा जैसी, जिसमें  दो छोटे  बच्चे बैठे हुए थे, इसे रिक्षावाला नहीं, बच्चों के माँ,बाप चला रहे थे क्योंकि इसमें चार पैडल थे। कई महिला, पुरु'ष की साइकिल के कैरियर पर एक सीट लगी थी। जिस पर सीट बैल्ट से बंधा बच्चा, आस पास के नज़ारे देखता बड़ा खुश बैठा था। बच्चा भी घूम रहा था और माँ की एर्क्ससाइज़ भी चल रही थी। पब्लिक ट्रांसपोर्ट यहाँ सस्ता है। फिर भी लोग साइकिल खूब चलाते हैं।
   शाम को अपर्णा, रेया और मैं मैरीना बे घूमने गए। आफिस से अमन भी वहीं पहुंच गए। लौटने पर वन रैफलेस के पार्किंग की नौवें फ्लोर पर हमारी गाड़ी पार्क थी। हम लिफ्ट से नौंवी मंजिल पर जाकर गाड़ी पर पहुँचे। गाड़ी से राउण्ड लगाते हुए जब ग्राउण्ड फ्लोर पर पहुँचें, तो वहाँ खूब साइकिले खड़ी थी। उन पर बॉक्स लगे थे। मुझे अर्पणा ने बताया,’’ यहाँ लोग फिटनैस पर बहुत ध्यान देते हैं। इसलिए वे साइकिल से ऑफिस आते हैं और ऑफिस के पास वाले जिम की मैंम्बरशिप ले लेते हैं। साइकिल के बॉक्स में उनका बिज़नेस फॉरमल रखा होता है। एक्सरसाइज़ तो रास्ते में, साइकिल चलाने से ही हो जाती है। जिम में तो थोड़ी बहुत एक्सरसाइज़ की, बाकि शावर लेकर कपड़े बदल कर आफिस जाते हैं। साइकिल का पार्किंग शुल्क भी नहीं है। हमें साढ़े तीन महीने वेटिंग के बाद ग्यारह मंजिली पार्किंग में जगह मिली, पार्किंग शुल्क भी ज्यादा है। इस पार्किंग से ऑफिस सिर्फ, पंद्रह मिनट पैदल की दूरी पर है।’’
    वीकएंड पर हम चैंगी बीच पिकनिक मनाने गए। सड़क के दोनों ओर लाइन से गाड़ियाँ खड़ीं थी। उसी लाइन में हमने भी गाड़ी पार्क कर, हमारा इंतजार करती, बिजॉय फैमली के पास पहुँचें। शाम को जब गाड़ी पर लौटे, उस पर सत्तर डॉलर के चालान की स्लिप थी। वहाँ जितनी भी गाड़ियाँ थी, सब पर चालान स्लिप थी। क्योंकि जहाँ हमने गाड़ी पार्क की, वो पार्किंग की जगह नहीं थी। वहाँ खड़ी कोई भी गाड़ी सड़क पर व्यवधान नहीं पैदा कर रही थी, फिर भी चालान। पार्किंग फुल थी इसलिए एक की देखा देखी, सबने गाड़ी खाली जगह में पार्क कर दी थी। हमने बिजॉय को फोन करके पूछा कि तुम्हारी गाड़ी का भी चालान हुआ है?’’ वो बोला,’’हमारी फैमली तो साइकिलों पर आई है।’’यहाँ लोग साइकिल चलाने का कोई मौका नहीं छोड़ते, तभी तो इतने फिट हैं। और जो फिट है वो हिट है।