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Wednesday, 29 July 2020

साइकिल चलाने के लिए वेट लिफ्टिर होना जरुरी है!! Cycle Chalane ke Liye Weight Lifter Hona Jaroori Neelam Bhagi नीलम भागी

विश्व साइकिल दिवस पर आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं।
 अच्छे स्वास्थ्य के लिए इको फ्रेंडली साइकिल चलाएं।







सिंगापुर में लोगों को साइकिल चलाता देख मैं उनसे बहुत प्रभावित हुई। इकोफ्रैंडली साइकिल चलाने से शरीर को क्या लाभ है। ये सारा ज्ञान मैंने इंटरनैट से लेकर निश्चित किया कि मैं रोज एक घंटा साइकिल लेकर सड़क पर निकलूंगी और अपने आस पास के काम साइकिल पर निपटाऊँगी। मेरा सौभाग्य मेरे सैक्टर में साइकिल टैªक भी है। अब मैंने साइकिल पथ को देखा तो मुझे उसके फायदे ही फायदे नज़र आये। मसलन साइकिल पथ ऊँचाई पर होने के कारण वहाँ सैल्फ एमप्लाएड झपटमार चैन स्नैचिंग नहीं कर सकते। क्योंकि  झपटमारी के लिए मोटरसाइकिल का होना बहुत जरुरी है और साइकिल पथ पर बाइक नहीं चला सकते। अगर पैदल कोई अपराध करने आयेगा तो साइकिल सवार, उससे तेज साइकिल पर भाग जायेगा। ऊँचाई पर होने से ये सारा किस्सा स्टेज़ शो लगेगा। जिसके दर्शक सड़क पर चलने वाली भीड़ होगी। अपराधी ऐसा रिस्क कभी नहीं लेगा। ये सब लाभ देख कर अपनी स्टेशनरी साइकिल का मोह छोड,़ मैंन नई स्टाइलिश साइकिल खरीद ली।
  कहते हैं साइकिल चलाना इनसान कभी नहीं भूलता। मैं मेरठ में स्कूल साइकिल से जाती थी।  साइकिल चलाने के लिए मैं ड्रैसप हुई ताकि मेरा लम्बा दुप्पट्टा या पटियाला सलवार पहिए में न फंस जाए। गद्दी पर बैठते ही पैडल मारा, मैं खुशी से साइकिल की सवारी करने लगी। मैं ऊँचाई पर सड़क चलते लोगों पर निगाह डालती और खुश होती क्योंकि वे भीड़ में सावधानी से गाड़ियाँ चला रहे थे। मुझे भीड़ से ऐसा कोई डर नहीं था। साफ सुथरा पथ उस पर कोई कील पिन नही, इसलिए टायर पंचर का भी डर नहीं था। इस्तेमाल न होने के कारण कहीं कहीं कबाडियों ने जगह का उपयोग कबाड़ रख कर किया था। अभी मेरी साइकिल ने स्पीड पकड़ी ही थी कि बस स्टैंड आ गया। सड़क पर आने के लिए ढलान थी, तो उतरते हुए साइकिल की स्पीड बढ़ गई। कोई बात नहीं क्योंकि बस स्टैण्ड के बाद फिर ऊँचाई पर साइकिल पथ था। पर ये क्या! उसके मुहं पर तीन छोटे खंबे लगे थे। खंबे लगवाने वाले जीनियस का मकसद है कि इसके बीच में से सिर्फ साइकिल गुजरे। पर मैं तो सरकस में काम नहीं करती कि स्पीड से आते हुए उसमें से निकल जाऊँ। थोड़ी थोड़ी देर बाद ये घटना रिपीट होती और मुझे बहुत गुस्सा आता पर मैं गुस्सा थूक देती, जब मैं मन में साइकिल चलाने के फायदे दोहराती क्योंकि मेरी कैलोरीज़ बर्न हो रहीं थीं, साइकिल चलाने से भविष्य में मुझे घुटनों की तकलीफ़ नहीं होनी थी। लेकिन बीच में लगी दुकानों का मैं क्या करुँ? साइकिल उठा कर, मैं सड़क पर कूद भी नहीं सकती और न ही भीड़ में साइकिल चला सकती हूँ, फिर साइकिल उठा कर ट्रैक पर भी चढ़ नहीं सकती। अब सोचती हूँ, पहले वेटलिफ्टंग सीखँू फिर साइकिल चलाने के फायदों का लाभ उठाऊँ।

Saturday, 3 March 2018

इकोफ्रेंडली साइकिल मैं क्यों चलाती हूँ? Eco Friendly Cycle Mein Kyun Chalati Hoon !!!! Neelam Bhagi

विश्व साइकिल दिवस पर आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं।
 अच्छे स्वास्थ्य के लिए इको फ्रेंडली साइकिल चलाएं।




 मैं विस्मयविमुग्ध, सिंगापुर की सुन्दरता और सफाई देख रही थी। अर्पणा मुझसे सफ़र, घर के लोगों के बारे में पूछ रही थी। एक क्रॉसिंग पर रेडलाइट पर हम रुके। साइकिल पर कुछ लोगों को देखकर मेरे मुहँ से निकला,’’ये अच्छा है, यहाँ लड़के साइकिल खूब चलाते हैं।’’मेरी बात सुनते ही सब हंस पढ़े और एक साथ बोले,’’ये उम्र में पचास साल से ज्यादा हैं। वर्किंग डे था और शाम का समय था। ये सब ऑफिस से आ रहें हैं। चेहरे देखे तो युवक और प्रौढ़ में फर्क नज़र आया, लेकिन फिटनैस सबकी एक सी थी। अपने कौनडो(मल्टीस्टोरी अर्पाटमेंट) के बेसमेंट में गाड़ी पार्क की, एक ओर साइकिलें भी लाइनों में खड़ी थीं। 15 वीं मंजिल पर घर, सुबह आँख खुलते ही सामने समुद्र, ईस्ट कॉस्ट रोड, चार सड़कें, प्रत्येक रोड ग्रीनबेल्ट से अलग की गई थी। दो ट्रैफिक के लिए एक साइकिल और एक पैदल चलने वालों के लिए। पैदल रोड और समुद्र तट के बीच में ईस्ट कॉस्ट पार्क था। समुद्र देखते ही मैं घर से निकल पड़ी।
    बाहर निकलते ही अण्डरपास दिखा, उससे मैं  साइकिल रोड पर पहुँची। जिस पर साइकिल सवार थे। डबल साइकिल भी जिस पर दो लोग पैडल मार रहे थे। मैं पैदल वालों की रोड पर चलने लगी। मेरे एक ओर समुद्र की लहरों का शोर था। दूसरी ओर एक सी फिटनैस के लिये साइकिल सवार लोग थे। हमारे यहाँ की रिक्षा जैसी गाड़ी और ई रिक्शा जैसी, जिसमें  दो छोटे  बच्चे बैठे हुए थे, इसे रिक्षावाला नहीं, बच्चों के माँ,बाप चला रहे थे क्योंकि इसमें चार पैडल थे। कई महिला, पुरु'ष की साइकिल के कैरियर पर एक सीट लगी थी। जिस पर सीट बैल्ट से बंधा बच्चा, आस पास के नज़ारे देखता बड़ा खुश बैठा था। बच्चा भी घूम रहा था और माँ की एर्क्ससाइज़ भी चल रही थी। पब्लिक ट्रांसपोर्ट यहाँ सस्ता है। फिर भी लोग साइकिल खूब चलाते हैं।
   शाम को अपर्णा, रेया और मैं मैरीना बे घूमने गए। आफिस से अमन भी वहीं पहुंच गए। लौटने पर वन रैफलेस के पार्किंग की नौवें फ्लोर पर हमारी गाड़ी पार्क थी। हम लिफ्ट से नौंवी मंजिल पर जाकर गाड़ी पर पहुँचे। गाड़ी से राउण्ड लगाते हुए जब ग्राउण्ड फ्लोर पर पहुँचें, तो वहाँ खूब साइकिले खड़ी थी। उन पर बॉक्स लगे थे। मुझे अर्पणा ने बताया,’’ यहाँ लोग फिटनैस पर बहुत ध्यान देते हैं। इसलिए वे साइकिल से ऑफिस आते हैं और ऑफिस के पास वाले जिम की मैंम्बरशिप ले लेते हैं। साइकिल के बॉक्स में उनका बिज़नेस फॉरमल रखा होता है। एक्सरसाइज़ तो रास्ते में, साइकिल चलाने से ही हो जाती है। जिम में तो थोड़ी बहुत एक्सरसाइज़ की, बाकि शावर लेकर कपड़े बदल कर आफिस जाते हैं। साइकिल का पार्किंग शुल्क भी नहीं है। हमें साढ़े तीन महीने वेटिंग के बाद ग्यारह मंजिली पार्किंग में जगह मिली, पार्किंग शुल्क भी ज्यादा है। इस पार्किंग से ऑफिस सिर्फ, पंद्रह मिनट पैदल की दूरी पर है।’’
    वीकएंड पर हम चैंगी बीच पिकनिक मनाने गए। सड़क के दोनों ओर लाइन से गाड़ियाँ खड़ीं थी। उसी लाइन में हमने भी गाड़ी पार्क कर, हमारा इंतजार करती, बिजॉय फैमली के पास पहुँचें। शाम को जब गाड़ी पर लौटे, उस पर सत्तर डॉलर के चालान की स्लिप थी। वहाँ जितनी भी गाड़ियाँ थी, सब पर चालान स्लिप थी। क्योंकि जहाँ हमने गाड़ी पार्क की, वो पार्किंग की जगह नहीं थी। वहाँ खड़ी कोई भी गाड़ी सड़क पर व्यवधान नहीं पैदा कर रही थी, फिर भी चालान। पार्किंग फुल थी इसलिए एक की देखा देखी, सबने गाड़ी खाली जगह में पार्क कर दी थी। हमने बिजॉय को फोन करके पूछा कि तुम्हारी गाड़ी का भी चालान हुआ है?’’ वो बोला,’’हमारी फैमली तो साइकिलों पर आई है।’’यहाँ लोग साइकिल चलाने का कोई मौका नहीं छोड़ते, तभी तो इतने फिट हैं। और जो फिट है वो हिट है।