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Saturday 23 March 2019

कुत्तों का हाज़त रफा करना और हम लोग नीलम भागी




सिंगापुर में हमारी इंडोनेशियन मेड कुत्ते बिंगो को धुमाने जा रही थी। उसने एक पॉलीथिन में न्यूज़पेपर रक्खा और चल दी। मैं भी उसके साथ घूमने के इरादे से गई पर, रास्ते भर सोचती रही कि मेड विदेशी है। ये बिंगो को किसी  पेड़ के साथ बाँध कर न्यूज़पेपर पढ़ेगी। हम लोगों के आने से काम बढ़ गया है। घर में पढ़ने का समय नहीं मिलता होगा। हमारी एक घंटे की सैर में, मैंने जिसको भी कुत्ते के साथ देखा, उसके हाथ में पॉलिथिन था और जो भी कुत्ते से बोल रहा था, वो अपनी भाषा में बोल रहा था न कि अंग्रेजी में। जब मैं और मेड घूम कर थक गए, तब बिंगों ने हाज़त रफा की। जैसे ही बिंगो फ़ाऱग हुआ, मेड ने तुरन्त पेपर से पॉटी उठाई, पॉलीथिन में डाली और पॉलिथिन डस्टबिन में डाल दी।
    अब मेरी आँखों के आगे वे बेबियाँ आने लगी जो जैपनीज़चिन, टॉय एस्कीमो अमेरिकन, मिनियेचर एस्कीमों अमेरिकन, स्टैंर्डड एस्कीमों अमेरिकन आदि डॉग को गोद में उठा कर, चूमते हुए अपने लाडले डॉगी को लाती हैं और जिसके घर के आगे पॉटी करवानी हो, उसे गोद से उतार देती हैं। बेबी बहुत समझदार होती हैं। वह कभी भी एक ही घर के आगे डॉगी को पॉटी नहीं करने देती क्योंकि इससे लड़ाई होने का डर होता है। जैसे ही वह पॉटी कर लेता है। अब बेबी उसे शाबाषी देकर, पुचकार कर चल देती है। वह भी बेबी के पीछे पीछे बेमतलब लोगों को भौंकता हुआ घर जाकर , सोफे पर बैठकर घर की शोभा बढ़ाता है।
  हमारे यहाँ कुत्तों को पालने वालों का मानना है कि पार्क उनके कुत्तों का शौचालय है। तभी तो जर्मन शेर्फड, ग्रेट डेन, एल्षेशियन डॉबरमैन आदि नस्लों के कुत्तों को लाकर पार्क में खोल देते हैं। जो कुत्ता नहीं पालते हैं, वे इन बड़े कुत्तों से डरते हैं। बच्चों की मम्मी उन्हें समझाती है,’’बेटा पार्क में नहीं जाना, डॉगी काट लेगा।’’ बच्चे घर से ही नहीं निकलते हैं। वे गेट में खड़े देखते रहते हैं, कुत्ते और उनके मालिकों का गेम। जब कुत्ता हाज़त रफा कर लेता है तो कुत्ता गेम उसी समय ख़त्म हो जाता है। एक बार किसी ने जॉगिंग ट्रैक  पर पॉटी देख कर कुत्ते मालिक को कहा,’’देखिए, आप कुत्ते को कहीं और पॉटी करवाया करें।’’ उस नौजवान को उस आदमी का टोकना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा। उसे बहुत गुस्सा आया। उसने कहा,’’आपके घर में तो पॉटी नहीं की न। पार्क आपका नहीं है। आप कौन होते हैं मुझे रोकने वाले? जानते हैं मेरे कुत्ते की कीमत! इसका रोज़ का खर्चा कितना है? आप भी पालिए कुत्ता, उसे जहाँ मर्जी पाटी कराइये। मैं तो कभी नहीं टोकूँगा आपको।’’अब तर्कों का तो जवाब दिया  जा सकता है, कुतर्कों का कौन जवाब दे? ये सोच कर लोग चुप लगा जाते हैं। इसलिए जो जैसा हो रहा है वैसा होता रहता है।         


7 comments:

janta ki khoj said...

Nice

Chandra bhushan tyagi said...

Sensible quotes.Need to be followed by indians.

Neelam Bhagi said...

धन्यवाद

Neelam Bhagi said...

धन्यवाद

Electroniceye said...

We should learn good thing from others

Neelam Bhagi said...

धन्यवाद

Neelam Bhagi said...

धन