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Thursday, 26 September 2019

हिंदी हिन्दुस्तानी, विश्व हिंदी दिवस पर शुभकामनाएं नीलम भागी Hindi Hindustani Neelam Bhagi


 

 तीन साल की गीता अमेरिका से आई। उस दिन सावन की शिवरा़त्री थी| मैं उसकी मां उत्कर्षिनी से बोली,’’बेटी, आज इसे कांवड़िये, जलाभिषेक, सजे हुए मंदिर दिखा कर लाउंगी। यह सुनते ही गीता अमेरिकन एक्संट में जीभ टेढ़ी कर बोली,"’एंड व्हॉट एबाउट माइ फीलिंग।’’मैंने हंसते हुए बेटी से पूछा,’’ये हिंदी समझती है!’’जवाब में बेटी बोली,’’हाँ मां,  हम इससे हिंदी में ही बात करते हैं। ये हिंदी समझती है पर बोलती नहीं है। इस बार हिंदी पढ़ना सिखाने के लिए किताबें लेकर जाउंगी।" बेटी से यह सुन कर अच्छा लगा।सिंगापुर एयरर्पोट पर अर्पणा ने गले मिलते ही मुझसे कहा,’’मासी रेया से हिंदी में ही बात करना। हमने इसे स्कूल में मंदारिन की जगह हिंदी लेकर दी है। इंडोनेशियन मेट घर में अंग्रेजी बोलती है। अमन अपर्णा सुबह जाते हैं, रात को आते हैं। पाँच साल की रेया को हिंदी पढ़ाने चाईनीज़ ट्यूटर आती हैं। इस पढ़ाई को वह बेमन से करती है। कारण इस समय रेया को हिंदी ही बोलनी हैं। वो जैसे हम बातचीत करते हैं, वैसी हिंदी बोलती है जैसे दरवाजा, कपड़े , जेब आदि अध्यापिका सुधारेगी द्वार, वस्त्र, खीसा बोलो ये हिंदी हैं, वो उर्दू है। जेब के लिए खीसा शब्द भी मैंने ही पहली बार सुना था| ट्यूटर डिक्शनरी से देख कर अनुवाद निकालती है। छोटी सी पहली में पढ़ने वाली, रेया की हिंदी बहुत शुद्ध है जैसे गर्मी में कहेगी ’’तापमान अधिक है। भोर हो गई, भानु उदय हुआ।’’ उससे हिंदी में बात करना तो हमारे लिए मुश्किल हो जाता है। वो बात बात पर पूछती है कि ये उर्दू का शब्द है कि हिंदी! मैं विज्ञान की छात्रा रहीं हूँ। सुन कर सोच में पड़ जाती थी। पच्चीस साल मैंने अनपढ़ों के बच्चों को जल्दी हिंदी सिखाने का जो र्फामूला निकाल कर पढ़ाया, वो मैंने ट्यूटर को सिखाया। वो बोली,’’ये तो मेरे बहुत काम का है।’’ सुन कर मैं बहुत ख़ुश हो गई| शरद चंद्र और आशापूर्णा देवी की उसे पुस्तकें दी। जब तक मैं रही, वो आते ही मेरा हाथ चूम कर आँखों से लगाती थी। हाँगकाँग में सीढ़ियाँ और एलीवेटर देखकर हम लिफ्ट का साइन देख रहे ही रहे थे, इतने में हमारे दो भारतीय भाई आये, दोनो ने हमारा एक एक बैग उठाया, पहले ऊपर रख आये और गीता को प्रैम समेत ले गये। बाहर हल्की बारिश हो रही थी। उन्होंने अपना छाता गीता पर खोल दिया। हम टैक्सी करने लगे, उन्होंने इशारा किया, वो रहा होटल और हिन्दी में पूछा,’’इण्डिया में कहाँ से हो? हम तो आंध्र प्रदेश से हैं।’’ हमने भी उन्हें बताया कि हम नॉएडा से, वे हैदराबादी हिंदी में बतियाते, हमें होटल छोड़ कर चले गये। मकाऊ के रिहायशी कॉलौनी के सुपर स्टोर के बाहर मैं रात दस बजे, गीता को प्रैम में बिठा कर मैं शेड में खड़ी थी। दूर से एक लड़का बारिश में भीगता लगभग दौड़ता हुआ, हमारे पास आया और बोला,’’इण्डिया।’’। मैं बोली,’’हाँ।’’हाँ सुनते ही वह लगातार बोलता जा रहा था। आप यहाँ रहते हो या घूमने आये हो। मैंने जवाब दिया,’’घूमने।’’बोला मैं यहाँ जॉब करता हूँ। मैंने दूर से देखा, ये तो अपने लोग हैं। गीता भी जाग गई। दूर इशारा करके बताया कि वह उस सोसाइटी में मेनटेनेंस देखता है। इस एरिया में तो कोई घूमने नहीं आता क्योंकि यहाँ कोई दर्शनीय स्थल नहीं है। मेरा जी नहीं भरा हिन्दी बोल कर, डयूटी पर हूँ न, चलता हूँ, बाय। गीता जब तक वह दिखता रहा, हाथ हिलाकर बाय करती रही। वह भी खिले चेहरे से मुड़ मुड़ कर बाय करता रहा। 
      दुबई एयरर्पोट पर पाकिस्तानी रेहान मुझे लेने आया। मेरे गाड़ी में बैठते ही पंजाबी मेेंं बोला,’’पैरी पैना मासी जी(पांय लागूं मौसी जी)। विदेश में अपनी भाषा में पहला आत्मीय सम्बोधन मुझे बहुत अच्छा लगा। दुबई में एक हिंदी सिनेमा गीतों की गायन प्रतियोगिता थी। यूएई और पाकिस्तान के प्रतिभागी सब एक ही होटल में रहते हुए प्रतियोगिता की जम कर तैयारी कर रहे थे। उनके साथ मुझे लगता ही नहीं था कि ये विदेशी हैं कारण वे हमारी तरह ही बात करते थे। तब इंटरनेट बहुत मंहगा था। किसी को होली का फिल्मी गीत चाहिए था। मैंने लिख कर दे दिया। वो गीत सब हाथों में घूमता रहा, कारण वो हिंदी पढ़ना नहीं जानते थे। जब मैंने पढ़ा तो उन्होंने रोमन में लिख लिया। मैंने हैरानी से पूछा,’’आप हिंदी पढ़ना नहीं जानते!’’सब कोरस में बोले कि हमारे यहाँ हिंदुस्तानी बोली जाती है पर पढ़ी लिखी नहीं जाती। वहाँ के लोग बॉलीवुड सिनेमा के बहुत शौकीन हैं। एक ओमान का गायक सबकी बातें सुनता मुस्कुराता रहता था। उसका नाम मौहम्मद रफी था और वो केवल मौहम्मद रफी के ही गाने गाता था। मैने कारण पूछा तो उसने बताया कि उसके पिता मौहम्मद रफी के बहुत प्रशंसक हैं। वो रफी साहब का कंर्सट सुन कर आये थे और उसी समय उनका जन्म हुआ था इसलिए उनका नाम मौहम्मद रफी रखा। उसके कम बोलने का कारण भी समझ में आ गया। वह स्त्रीलिंग में बात करता था। मुझे मांजी कहता था। ग्रैण्ड फिनाले तक वह अच्छी हिंदुस्तानी बोलने लगा था। अगले साल अजमान में नये प्रतियोगी आये। वहाँ भी हिंदुस्तानी भाषा ने सबको एक बड़े परिवार की तरह कर दिया था। ओमान की असमा मौहम्मद रफी की बेटी, अरबी लड़की भी प्रतिभागी थी। उसे रोमन में लिखे हिंदी गाने को देख कर गाने की शो में छूट थी कारण वो जहाँ भूल जाती, वहाँ सुर से भटके बिना, अरबी में गाने लगती फिर हिंदी पर लौट आती। ग्रैण्ड फिनालें तक हिंदी हिंंदुस्तानी  भी उसकी अच्छी हो गई। वहाँ से जीत कर वह भारत आई। तो मीडिया उसके पीछे था। इसका कारण भी उसकी हिंदुस्तानी भाषा थी। विश्व की पहली बीस भाषाओं में छ भाषाएं भारत की हैं। इसमें हिंदी तीसरे स्थान पर बोली जाने वाली भाषा है। इसका श्रेय हिंदी सिनेमा को है। हमारे अभिनेता विश्व प्रसिद्ध हैं। बॉलीवुड के सितारों की पहचान तो हिन्दी सिनेमा के कारण है। अब मुझे बॉलीवुड के सितारों से मोह हो गया क्योंकि वे सिनेमा द्वारा हिन्दी के प्रचार में बिना किसी सरकारी अनुदान के वे लगे हुए हैं। हमारे कुछ हिंदी सेवकों की, हिंदी सेवा से पता नहीं हिंदी की कितनी सेवा हुई हैं। हाँ, हिंदी से मेवा वे प्राप्त करते रहते हैं। मंदारिन इंटरनेट की दसवीं सबसे बड़ी भाषा बन चुकी है और हिंदी 41वीं। विश्व में हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार प्रवासी भारतीय मसलन उत्कर्षिनी, अर्पणा अपनी बेटियों रेया और गीता को पढ़ा कर रहीं हैं जो गणपति के ऊपर भी अपना तिरंगा लगाती हैं 

या हिंदी सिनेमा द्वारा हो रहा है। सतत प्रयास से हिंदी का इंटरनेट पर भी आने वाले समय में प्रभुत्व होगा।

दैनिक जनता की खोज समाचार पत्र में प्रकाशित
बहुमत मध्य प्रदेश एवम छत्तीसगढ़ से एक साथ प्रकाशित समाचार पत्र में यह लेख प्रकाशित है


8 comments:

Good Indian Girl said...

Apni jabaan ka swaad hi alag hota hai. Idhar America mein bhi kabhi kahin Hindi Punjabi sunayi deti hai to alag sukoon milta hai

Neelam Bhagi said...

धन्यवाद

Chandra bhushan tyagi said...

Nice article

Neelam Bhagi said...

हार्दिक आभार

डॉ शोभा भारद्वाज said...

अति सुंदर लेख प्रशंसनीय बार - बार पढ़ा

Neelam Bhagi said...

धन्यवाद

Unknown said...

सुन्दर संस्मरण।

Neelam Bhagi said...

हार्दिक धन्यवाद