सबका ख़्याल जो सब्जी़वाला, मुझे अनजाने में नसीहत दे गया था, उसको ध्यान में रखते हुए मैं खाने पीने की वस्तुओं को न तो जरा भी बरबाद होने दे रहीं हूं और न ही बहुत ज्यादा खरीद रहीं हूं। जो गेट पर ठेला आ जाता है वो ले लेती हूं। इसी पद्धति से आज ये व्यंजन बन गया है। आप भी परिवार के सदस्यों की संख्या के अनुसार मात्रा कम ज्यादा कर सकते हैं। वैसे तैयारी मैंने इडली बनाने की, की थी।
एक कटोरी धुली उड़द की दाल और एक कटोरी टुकड़ा चावल मिला कर, अच्छी तरह धो कर, भिगो कर रख दिया। चार घण्टे के बाद मिक्सी में बारीक पीस लिया। और इसे रख दिया। सुबह देखा ये दुगुना हो गया था। एक परपल पत्तागोभी फ्रिज में पहले की रक्खी हुई थी। अपने मिर्च के पौधे से चार मिर्च तोड़ी, करी पत्ता तोड़ा। तीनों को धोकर बहुत बारीक काटकर इडली के घोल में डाल दिया। स्वादानुसार नमक मिलाकर सोचने लगी कि इसका क्या क्या बन सकता है? जिससे बरतन कम घिसने पड़े। अप्पम बनाने के बर्तन पर नज़र पड़ी। उसे ही गैस पर गर्म होने रख दिया। एक एक खांचे में जरा जरा सा तेल डाला और एक एक चम्मच घोल डाल दिया। कुछ देर बाद उसे पलट दिया। पलटने पर तेल नहीं डाला। दूसरी ओर सिकने पर निकाल कर, सीधे प्लेट में डालती गई क्योंकि टिशू पेपर को पिलाने के लिए मैंने फालतू तेल तो डाला ही नहीं था। इसी तरह और घोल डाल दिया। नवरात्र हैं जो हम खा रहें हैं, वही देवी माता को भोग लगा रहें है। उन्हें भी भोग लगा दिया। सबको ये व्यंजन बहुत पसंद आया। कल फिर बनाने की र्फमाइश हुई है कि यही बनाना। कल देखती हूं क्या चेंज करती हूं!! पत्तागोभी तो नहीं है। देखती हूं कल ’यही’ कैसा बनता है।
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