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Friday, 12 May 2023

फ़िल्म फेयर अर्वाड(2023) में मेरा जाना नीलम भागी

उत्त्कर्षिनी का अमेरिका से फोन आया बोली,’’माँ, गंगुबाई काठियावाड़ी कई कैटगरी में नामित हुई है। मैं अर्वाड फंग्शन अटैण्ड करने भारत आ रहीं हूँ। मैं 25 को पहुँच रही हूँ। अंकुर ने आपकी मुंबई के लिए 26 की फ्लाईट बुक कर दी है। 27 अप्रैल को अवार्ड फंग्शन है। उसे अटैण्ड करके आप 28 को दिल्ली लौट आना, मैं अमेरिका। क्योंकि दित्या को छोड़ कर आ रही हूँ। आपको ले जाना जरुरी है। दित्या आपके सिवाय यहाँ और किसी के भी पास रुकेगी नहीं, तो आप जा नहीं पाओगी।" 

एक अप्रैल को वह सपरिवार भारत आई थी। 15 अप्रैल को वह लौट गई थी। तब तक इनविटेशन नहीं आया था। मुझे वह अपने साथ ही मुंबई ले गई थी। दोनों बेटियाँ गीता और दित्या मेरे साथ खूब लाड लडा कर गईं थीं। तैयारी मुझे कुछ करनी नहीं थी। चार साड़ियाँ  रख लीं। सलैक्शन उत्त्कर्षिनी ने ही करनी थी। ज्वैलरी मैं पहनती नहीं। सरबजीत के प्रीमियर के समय भी वह मेरी माँ बन गई थी। जैसे कहती, मैं करती रही थी। अब भी यही  सोच कर चल दी। फ्लाइट 20 मिनट डिले थी। मुंबई एयरर्पोट पर उत्त्कर्षिनी और रंजीत मुझे लेने आए। 2012 में उत्त्कर्षिनी ने गाड़ी ली थी, तब से रंजीत साथ में हैं। अब इसकी सहेली नेहा मनपुरिया के साथ है। हम घर पहुँचे, नेहा खाना लगाने लगी। उत्त्कर्षिनी ने मेरे हाथ में फ़िल्म फेयर अर्वाड(2023) का इनविटेशन र्काड रखा और साथ में आए गिफ्ट। 




कार्ड हाथ में पकड़ कर मेरी सोच को बैक गेयर लग गया। सबसे पहली फिल्म इसने गंगुबाई लिखी थी। बाद में खूब लेखन किया जिस पर खूब काम हुआ। पर गंगुबाई पर ही इसका मन अटका रहता था। आखिर दस साल बाद, ये लाज़वाब फिल्म बनी। जिसने बेस्ट डॉयलॉग लेखन के लिए ज़ी सिनेमा अर्वाड, आइफा अर्वाड और बेस्ट स्क्रीन प्ले लेखन पर आइफा और फिल्म फेयर से भी बहुत उम्मीद है। अब दोनों सखियाँ कल क्या करना है इस पर चर्चा करती रहीं। मुझे तो कुछ सोचना ही नहीं था। जो ये करवायेगी, करवा लूंगी। उत्तकर्षिनी तो जैटलॉक में थी। मैं सो गई। वो सुबह सोई। दस बजे नींद खुली। शाम को जल्दी आने का कह कर नेहा ऑफिस चली गई थी। बेटी मुझे लेकर पार्लर गई। जो करते रहे, मैं करवाती रही। मेकअप को छोड़ कर। घर लौटे बेटी ने र्काड पढ़ा, समय देखा, अमेरिका में रहने से उत्त्कर्षिनी समय की बहुत पाबंद हो गई है। महाराष्ट्र पर्यटन  के साथ 68वें हुंडई फिल्मफेयर अवार्ड सेरेमनी, मुंबई के जियो  वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर  में आयोजित थी। उसने कितनी देर में पहुँचेंगे, ट्रैफिक का हिसाब किताब लगा कर, जल्दी से मुझे तैयार करके बिठा दिया। आप फटाफट तैयार होने लगी। रंजीत पता नहीं कितनी बार वहाँ गया है पर दीदी को देर न हो जाए इसलिए गूगल मैप से जा रहा था। खै़र उसने हमें समय से पहुँचा दिया। बाहर खूब भीड़ और सिक्योरिटी। 5 जगह हमारा कार्ड चैक हुआ । कार्ड में लिखा सीट नंबर पर


हमें बिठाया गया। बैठते ही अपने आस पास देश की नामी हस्थियों को देख रही थी। इन्हेें मैंने स्क्रीन पर, अखबारों में, रजत पटल पर ही देखा था। वहाँ वे ही व्यक्तित्व बैठे थे, जिनका नॉमिनेशन किसी न किसी कैटागिरी में था। या जिनके हाथों से विजेताओं को पुरुस्कृत किया जाना था। मैं उत्कर्षिनी के कारण बैठी थी। यहाँ फोटो खींचना, विडियो बनाना मना था। इसलिए मोबाइल पर्स में रख लिया। क्रमश!  


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