प्लेटफार्म नंबर एक पर उतरते बाएं हाथ पर बड़ा सा गेट है। वहां सफेद कपड़ों में एक सेवादार खड़े थे। उन्हें मैंने बताया कि माउंट आबू मीडिया महासम्मेलन में जाना है तो उन्होंने तुरंत मेरा लगेज ले लिया और सामने खड़ी बस की ओर चले दिए। मैं उनके पीछे चल दी। मुझे बस में बैठने को कहा और मेरा लगेज साथ में ले गए। कुछ सवारियों के बैठते ही बस चल पड़ी। मौसम बड़ा प्यारा है और आबू रोड शहर जागने लगा है। सड़कों पर सफाई शुरू हो रही है। लगभग 7 किलोमीटर जाने पर हमारी बस, शांतिवन परिसर में पहुंची जो एक साफ सुथरा विशाल मैदान है। सामने भवन है। इसका दूसरा छोर नहीं दिखाई दे रहा है। मैं यह सब बस की खिड़की से ही देख रही हूं। आम के पेड़ पर आम लटक रहे हैं। बस रुकते ही उसमें और लोग आ गए। बस भर गई। अब हमारी बस शांतिवन से चल पड़ी। बढ़िया साफ-सुथरी सड़क पर बस चल रही थी। आसपास प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ता जा रहा था। कुछ ही देर में वहां बोर्ड नजर आने लगे, जिन पर जंगली जानवर के चित्र बने थे। बस चल रही थी बोर्ड की भाषा एक ही थी मसलन जलती हुई वस्तु फेंकने पर सजा होगी।
प्लास्टिक फेंकना, वन्य जीवों को खाद्य सामग्री डालना दंडनीय अपराध है। लेकिन उस वन्य जीव अभ्यारण में रहने वाले जानवरों के चित्र बदलते जा रहे थे। यहां सिगरेट शराब पीने की मनाही है। यहां तक की बड़ी संख्या में लंगूर, वानर हैं पर किसी भी जानवर को खाना देने की, पकड़ने की सख्त पाबंदी है। रास्ते में कहीं-कहीं मोड़ पर निर्देश है कि गाड़ी सावधानी से चलाएं। लाजवाब बनी सड़क पर गाड़ी बहुत अच्छे से चढ़ाई चढ़ रही है। कहीं-कहीं कुछ घर हैं, मंदिर आते हैं।
वीर बाबा मंदिर, कुछ दूरी पर आरणा हनुमान मंदिर। सूरज निकलने पर जंगल की खूबसूरती गजब की लग रही है। सूरज की किरने जंगल की वनस्पति पर पड़ने से उसे और खूबसूरत बना रही हैं। मेरी तो आंखें बाहर टिकी हुई हैं। सात घूम व्यू प्वाइंट पर पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य को कैमरे में कैद कर रहे हैं।
राजस्थान में पहाड़ सोचने से भी, मेरे मन में अजब कौतुहल था। 28 किलोमीटर की यह यात्रा, पलक झपकते हो समाप्त हो गई और हमारी बस ज्ञान सरोवर के विशाल खूबसूरत प्रांगण में पहुंच गई।
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