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Wednesday, 29 May 2024

कोणार्क सूर्य मंदिर पुरी! उड़ीसा यात्रा भाग 24, Konark Temple Puri Orissa Yatra Part 24 नीलम भागी Neelam Bhagi

  

अस्थाई बाजार में से होती हुई, मैं टिकट घर पहुंची। यहां ₹40 की टिकट है। टिकट लेकर जांच के बाद मंदिर  परिसर में , विश्व प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर लाल बलुआ पत्थर और काले ग्रेनाइट पत्थर से बना उत्कृष्ट नक्काशी के अकेले  विशाल मंदिर को देख कर हैरानी, यह  होती है कि दूर-दूर तक कोई पर्वत नहीं है और फिर भी इतना विशाल मंदिर बनाया गया है। जिसका जिक्र आईने अकबरी में अबुल फजल ने किया है कि यह 1250 ईस्वी में गंग वंश राजा नरसिंह देव ने बनाया है।  मंदिर ई. पूर्व 1236 से 1264 के बीच में बना है। कलिंग शैली में बना यह मंदिर  यूनेस्को ने 1984 में विश्व धरोहर में शामिल किया है। यहां गाइड की सेवा मुफ्त उपलब्ध है और सबसे अच्छा लगा कि लोगों ने गंदगी नहीं फैला रखी बिल्कुल साफ सुथरा परिसर है। चारों ओर  घनी हरियाली है। प्रवेश द्वार पर दो सिंह आक्रामक होते हुए भी है उनके नीचे हाथी हैं, हाथी के नीचे बचाव की मुद्रा में मनुष्य है। सूर्य देव को रथ के रूप में विराजमान किया है जिसमें 12 जोड़ी चक्र के साथ सात घोड़े हैं, जो रथ को खींचते हैं। अब एक ही है। चक्र के आठ अरे दिन के आठ पहर को दर्शाते हैं 12 महीने। यह  मंदिर तीन मंडपों में बना है। बाल्यावस्था उदित सूर्य 8 फीट, युवावस्था मध्यान्ह सूर्य 9.5 फीट, प्रोढ़ावस्था  अपराहन 3.5 फिट। इसके तीन प्रवेश द्वार हैं। तीन भाग हैं सामने नृत्यशाला मंदिर, बीच में आराधना या जगमोहन, तीसरा घर पर गर्भ ग्रह और तीनों एक ही अक्ष में हैं। कहीं-कहीं तो बहुत ही पेचीदा बेल बूटे  उकेरे  हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी तट पर स्थित कोणार्क मंदिर चंद्रभागा नदी से 2 किलोमीटर दूर है। नदी  लुप्त हो चुकी है। हमारी इस सांस्कृतिक विरासत की उत्कृष्ट रचना  को बनाने में 1200 कारीगरों ने 12 वर्ष तक लगातार, अपनी रचनात्मकता का उपयोग किया है। मंदिर के बारे में तरह-तरह की कहानियां प्रचलित हैं।  सबसे अधिक भगवान कृष्ण के पुत्र साम्ब के बारे में। साम्ब ने नारद मुनि का मजाक बनाया। नारद मुनि ने उन्हें श्राप दे दिया, जिससे उन्हें कुष्ठ रोग हो गया। साम्ब ने सागर और चंद्रभागा नदी के मिलन स्थल पर सूर्य देव की 12 वर्ष तक आराधना की। सूर्य देव ने उन्हें रोग मुक्त कर दिया। वहां पर उन्हें देव शिल्पी द्वारा निर्मित सूर्य देव की प्रतिमा मिली। उन्होंने इसकी स्थापना यहां की, तबसे मंदिर, सूर्य मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां सूरज की पहली किरण प्रवेश द्वार पर पड़ती है। समुद्र यहां से कुल 3 किलोमीटर दूर है। देश दुनिया के लोग इसे देखने आते हैं। इसमें मूर्ति खंडित है इसलिए यहां पर पूजा नहीं होती। हर वक्त पर्यटकों की यहां भीड़  रहती है। इस रचना को देखकर हैरान हो जाते हैं। ₹10 के नोट पर कोणार्क मंदिर का चक्र है। भुवनेश्वर से यहां तक की दूरी 60 किमी. है। पुरी से 36 किमी. दूर है। मंदिर को देखने में एक से दो घंटे का समय लगता है।  यहां पर कोणार्क नृत्य समारोह भी आयोजित किया जाता है। अगर कोई रुकना चाह तो बजट फ्रेंडली होटल भी हैं ।
https://www.instagram.com/reel/C7UjLvEPscb/?igsh=b3c2Zjh5bGxndHVr

क्रमशः 








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