Search This Blog

Showing posts with label # Boudhanath Stupa Kathmandu Nepal. Show all posts
Showing posts with label # Boudhanath Stupa Kathmandu Nepal. Show all posts

Sunday, 15 May 2022

बौद्धनाथ स्तूप काठमांडु नेपाल यात्रा भाग 30 नीलम भागी Nepal Yatra Part 30 Neelam Bhagi



       अब हमारी गाड़ियां चल पड़ती हैं। मैं काठमांडु से परिचय करती जा रही हूं जो समुद्र तल से 1300 मीटर की ऊँचाइ्र पर स्थित है और 50.8 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। चारों ओर से पहाड़ियों से घिरा है। ये नेपाल का सबसे बड़ा शहर है और यहां की राजधानी है। सबसे ज्यादा पर्यटक यहां आते हैं। घना बसा संपन्न शहर है। विशिष्ट शैली में बनी इमारते हैं। फूटओवर ब्रिज हैं।


हमारी गाड़ी दूसरी गाड़ी को खड़ा देखकर वहीं रुक गई। दोनों छोटी गाड़ियां बिना पार्किंग की जगह पर खड़ी हैं। अपनी गाड़ी से सिर्फ मैं उतरी और पूछते हुए बौद्धनाथ स्तूप चल दी। दूसरी गाड़ी से सरोज गोयल, उषा बागड़िया और अरुणा मुझे रास्ते में गोष्ठी करतीं मिलीं, विषय था जायं या न जायं। मैंने उन्हें कहा,’’चलो, अगर चल लीं तो खुशी मिलेगी कि हमने इतना चल भी लिया और बौद्धनाथ स्तूप भी देख लिया। नहीं गईं तो मन में रहेगा कैसा था। इतनी दूर आये भी और देखे बिना लौट गए।’’ वे धीरे धीरे चल दीं। वहां पहुंचे तो देखा गुप्ता जी हमारे लिए टिकट लेकर खड़े हैं। जो भारतीयों के लिए सौ रुपए का है।  

   काठमाण्डु के पूर्वी भाग में स्थित बौद्धनाथ स्तूप प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। 1979 से यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। ऐसा माना जाता है कि यह विश्व के सबसे बड़े स्तूपों में से एक है। यह लोकप्रिय तीर्थस्थल स्तूप 36 मीटर ऊँचा है और कला का सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत करता है। बुद्ध नाथ पंथ के अनुयायी होने के कारण इस स्थल का नाम बौद्धनाथ रखा गया जो कि अब बौद्ध धर्म माना जाता है।







अप्रैल 2015 में नेपाल में आए भूकंप ने बौद्धनाथ स्तूप को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया। इसका पुनर्निमाण कार्य चला। जिसे बौद्धनाथ क्षेत्र विकास समिति द्वारा कराया गया। मरम्मत को पूरी तरह से बौद्ध समूहों और स्वयंसेवकों के निजी दान द्वारा किया गया। बौद्धनाथ क्षेत्र विकास समिति के अनुसार इस कार्य में 2.1 मिलियन डॉलर और 30 किग्रा. से अधिक सोना लगा। स्तूप को 3 नवंबर 2016 को फिर दर्शकों के लिए खोला गया। 

     इस स्तूप में भगवान बुद्ध की ज्ञान प्राप्ति को दर्शाया गया है। बौद्धनाथ स्तूप का स्तम्भ पृथ्वी का, कुम्भ जल का, हर्मिका अग्नि का, शिखर वायु का और छत आकाश का प्रतिनिषित्व करते हैं। इस प्रकार का प्राचीन स्तूप पंच तत्वों का प्रतिनिधित्व करता है। इसका विशाल मंडल इसे नेपाल के सबसे बड़े गोलाकार स्तूपों में से एक बनाता है।

   खूबसूरत मुख्य द्वार है। परिक्रमा ही सारा स्तूप है। जैसे ही हम उसके चारों ओर घूमे वैसे ही परिक्रमा पूरी होते ही वापिस गेट पर आ गए। यानि परिक्रमा ही सारा स्तूप है। मार्ग के एक ओर दुकाने और आसपास रैस्टोरैंट हैं। 

  सिलैंड्रिकल प्रार्थना चक्र हैं जो धूरी पर हाथ लगाते ही घूमते हैं। कहीं हवा से भी घूमते हैं। बाहर दीपक स्थायी बने हुए हैं। जिसमें बौद्ध कोई ऑयल डाल कर जलाते हैं। सफेद स्तूप के शीर्ष से रंग बिंरगी झंडियां बहुत सुन्दर लगती हैं। बौद्धनाथ स्तूप की आँखें ऐसा लगता है जैसे सबको देख रहीं हों।


कबूतर खूब बैठते हैं। आस पास तरह तरह का हैडिक्राफ्ट यहां मिलता है। देश विदेश के पर्यटक घूमते हैं और नेपाली खाने का आनन्द उठाते हैं। हम भी अपनी गाड़ियों की ओर चल दिए हैं। क्रमशः