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Monday 21 December 2020

आटा गुड़ का लाजवाब हैल्दी हलवा! 90 प्लस रसोई नीलम भागी Healthy Delicious Jeggery Halwa Neelam Bhagi

खाने में फाइबर, रफेज और गुड़ के फायदे हम कुछ सालों से सुन रहें हैं। पर हमारी 90 प्लस महिलाओं को चोकर सहित आटा और गुड़ के गुणों का डिमोंसटेªशन demostration देना नहीं आता था पर इस्तेमाल करना ख़ूब आता था। तभी तो रसोई में एक डिब्बा रहता था जिसमें इस्तेमाल किया पलेथन(रोटी बेलते समय लोई पर लगाने वाला सूखा आटा) उसमें डाल दिया जाता था क्योंकि इसमें चोकर की मात्रा ज्यादा हो जाती थी।  जब ये आटा ज्यादा हो जाता तब इसे कड़ाही में डाल कर इसमें खूब घी डाल कर मंदी आंच पर भूना जाता। गहरा बादामी होने पर आटे का दुगना पानी और आटे के नाप के बराबर जैगरी पाउडर या आटे के ढाई गुना पानी में  आटे के बराबर गुड़ खौला लें और इसे आटे में मिला कर चलाते रहें ताकि गुठली न बने और काली मोटी इलायची के दाने पीस कर मिला लें। पहले हलवा किनारे छोड़ेगा जब घी छोड़ना शुरु करे तब आंच बंद करे। जो भी मेवा पसंद हो वो इसमें डाल दें। पौष्टिक हलवा तैयार है।



रोटी तो घर में बननी ही है और पलेथन का चोकर वाला आटा भी होता है। इसलिये ये पौष्टिक फाइबर वाला गुड़ का हलवा बनता ही रहता है। मैंने इसमें थोड़ा बदलाव किया है। जितनी देर में चाय बनती है उतनी देर में  हलुआ बन जाता है।

तुरंत हलवा 

मैं आटे को सूखा भून कर ठंडा करके कांच के जार में रख लेती हूं।


बच्चे जब डिमाण्ड करते हैं तुरंत सप्लाई हो जाती है। जैसे एक कटोरी भूना आटा लिया उसमें दो कटोरी पानी और एक कटोरी जैगरी पाउडर और आधी कटोरी या थोड़ा ज्यादा घी लेकर इसमें काली इलायची पाउडर और ड्राईफ्रूट डाल कर इस मिश्रण को गैस पर चढ़ा कर मीडियम फ्लेम पर चलाते जाएं।


पहले हलवा किनारे छोड़ेगा जब घी छोड़ना शुरु करे तब आंच बंद करे। माइक्रोवेव में इसे रख कर मीडियम हाई पर पहले 3 मिनट के बाद  चम्मच से मिक्स कर लें। फिर लगभग दो मिनट माइक्रोवेव फिर आन करें हलवा तैयार हैं।

इसी मिश्रण को इलैक्ट्रिक राइस कूकर में डाल कर भी हलवा बना सकते हैं। इसमें चलाना नहीं पड़ता। मात्रा के ऊपर हैं। थोड़ा सा हलवा तो दस बारह मिनट में बन जाता है।

जितना घी हलवे में डालना है उसमें पहले मेवा रंग बदलने तक तल कर निकाल लें। बाद में उसी घी में हलवा भून लें। हलवे को तले हुए ड्राइफ्रूट्स से सजाएं। इससे ज्यादा स्वाद और अच्छा लगेगा।(दादी के समय हलवे में सूजी या आटे के नाप का मीठा दुगना पड़ता था क्योंकि ये शारीरिक श्रम बहुत करतीं थीं, अम्मा के समय डेढ़ गुना, हम बराबर का मीठा डालते हैं)     

सादा आटा भी ले सकते हैं।