




Bahumat बहुमत Madhya प्रदेश, छत्तीसगढ़ से एक साथ प्रकाशित समाचार पत्र में यह लेेेेख प्रकाशित हुआ है।
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बहुमत मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ से एक साथ प्रकाशित समाचार पत्र में यह लेख प्रकाशित हुआ है |
वैसे पेड़ों की आजकल कुछ लोग बहुत देखभाल करते हैं क्योंकि एक पेड़ एक साल में 20 किलो धूल सोखता है। 700 किलो ऑक्सीजन देता है। 20 टन कार्बनडाइआक्साइड सोखता है। गर्मी में पेड़ के नीचे 4 डिग्री तापमान कम होता है। वायुमंडल की जहरीली धातुओं के मिश्रण को इसमें सोखने की क्षमता है। दूषित हवा को फिल्टर करता है। घर के करीब एक पेड़ शोर को सोखता है। यानि अकॉस्टिक वॉल की तरह काम करता है। घर के पास यदि खूब पेड़ हैं तो जीवन कुछ साल बढ़ सकता है। मुझे ये तो बिल्कुल ठीक लग रहा है। क्योंकि चार साल पहले मेरी अम्मा को चिकनगुनिया हो गया था, बचने की उम्मीद नहीं थी। जब जरा ठीक हुईं तो रोज मेरे सहारे से बाहर पेड़ के नीचे जाकर लेटतीं। अब 93वें साल में अपने काम स्वयं करती हैं। पेड़ के नीचे ही उनका पढ़ना, आराम करना होता है। घर के सामने पार्क में कोई डण्डी भी तोड़ रहा हो तो मुझे आवाज़ लगा कर कहेंगी,’’देख, कोई पेड़ काट रहा है।’’मैं तुरंत रोकने जाउंगी। मुझे भी जब किसी कार्यक्रमें पौधा मिलता है तो बड़ा अच्छा लगता है।
इण्डिया हैबिटेट सेंटर लोधी रोड दिल्ली में कम्यूनिटी संवाद पत्रिका का वार्षिक एडिटर मीट कार्यक्रम था। विनोद अग्रवाल(एडिटर) ने एनाउंस किया कि लंच के बाद सब अपना गिफ्ट लेकर जायेंगे। जहां लंच लगाया था उसके पास ही लगभग 200 तरह तरह के पौधे रक्खे थे। अपनी प्लेट लेकर, हम खाते हुए पौधों को देख रहे थे। जिसको अपने घर के लिए जो पौधा ठीक लग रहा था। उसने पसंद कर लिया। लौटते समय अपना पंौधा लेकर आ गये। मुझे इस पौधे का नाम नहीं पता। मैं अब तक उसे संवाद का पौधा कहती हूं ।
नौएडा के पर्यावरण प्रेमी त्रिलोक शर्मा पंद्रह साल से पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर अपनी संस्था वन रिपब्लिक फाउण्डेशन के वार्षिक उत्सव पर सबको औषधीय पौधे देते हैं। मकसद होता है पर्यावरण के प्रति जागरुकता पैदा करना। मुझे भी तुलसी का पौधा मिला था। जिससे मैंने तुलसी के कई पौधे बना लिए और जिन्होंने मांगे उन्हें दिए। वाटसअप वॉल पर ये पंक्तियां मुझे अच्छी लगीं
मंदिरों में बटे अब यही प्रसाद, एक पौधा और थोड़ी सी खाद।