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Wednesday 15 February 2023

सनातन धर्म जिला केन्द्रीय पुस्तकालय सीतामढ़ी बिहार यात्रा भाग 25 नीलम भागी Bihar Yatra Part 25 Neelam Bhagi

हमने सनातन धर्म जिला केन्द्रीय पुस्तकालय परिसर में पहुँचते ही अपने मोबाइल साइलेंट मोड पर करके पुस्तकालय में प्रवेश किया। किताबों की दुनिया में खोय हुए पुस्तक प्रेमियों को देखते हुए, हम कार्यालय में गए। 




धर्मेन्द पाण्डेय ने लाइब्रेरियन से पुस्तकालय के बारे में बात की। https://youtu.be/bdB1q9EpOG8


उन्होंने हमें जानकारी दी। दिवाली की रात सन् 1917 में पाँच दोस्तों सरयू पांडे, झूलन पांडे, भगवान लाल गुप्ता, काली प्रसाद धवन, विष्णुप्रसाद धवन ने डोमा राम के घर के छोटे से कमरे में 25 पुस्तकों की सहायता से इसकी शुरुवात की थी। कुछ समय बाद यहाँ के बुद्धिजीवियों ने अपना सहयोग प्रदान किया। बाद में यह अर्जुनदास धर्मशाला में शिफ्ट हो गया। 1925 में यह वर्तमान स्थल पर स्थापित हुआ।

बीते सौ वर्षों में यह पुस्तकालय इतिहास, साहित्य, कला-संस्कृति, बालकथा काव्य, वेद-पुराण, उपनिषद् इत्याादि सभी विषयों की पुस्तकों से समृद्ध हुआ है। वर्ष 1926 में महात्मा गांधी और स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद वर्ष 1948 में राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद ने सनातन धर्म जिला केन्द्रीय पुस्तकालय में भ्रमण किया। मैथलीशरण गुप्त, अनुग्रह नारायण सिंह, शिवपूजन सहाय, गोपाल सिंह नेपाली, रामवृक्ष बेनीपूरी, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जैसे साहित्य के अनमोल रत्न और न जाने कितनी महान विभूतियाँ इस पुस्तकालय में भ्रमण कर चुके हैं। पुस्तकालय ने अपनी 28 मार्च 2018 को 100वीं वर्षगाँठ मनाई है। जिसका आयोजन राष्ट्रीय स्तर पर धूमधाम से किया गया। मुख्य अतिथि प्रसिद्ध शिक्षाविद् सह राष्ट्रीय राजनेता ई0 संजय विनायक जोशी(पूर्व राष्ट्रीय महासचिव, संगठन, भाजपा) और कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. उमेशचंद्र झा ने   इसी वर्षगाँठ पर पुस्तकालय की सभी पुस्तकों का ऑन लाइन कैटलॉगिंग का उद्घाटन किया। इस पुस्तकालय को समृ़द्ध करने में यहाँ के लोगों का भी बहुत योगदान है। हमने भी पुस्तकालय का भ्रमण किया।



एक कक्ष बंद था उसमें दुर्लभ ग्रंथ थे, उसे भी खोल कर दिखाया। 

पुस्तकालयध्यक्ष का हमने धन्यवाद किया जिन्होंने हमें जिले की धरोहर से परिचय करवाया। अब हम यहाँ से चल पड़े। सफर में हमें लगातार बैठना था इसलिए यहां से हम पैदल चल पड़े। भुवनेश सिंघल गूगल की मदद से होटल का रास्ता खोजते जा रहे थे क्रमशः