हमारा बड़ा संयुक्त परिवार है। 1 किलो का पीनट बटर का डिब्बा आता है। बच्चे स्वाद से खाते हैं। जब पूरा चम्मच भरकर नहीं निकलता तो उसको रख देते हैं और नया खोल लेते हैं। मुझे कुछ भी वेस्ट करना अच्छा नहीं लगता। दो डिब्बे रखे थे। उनमें काफी पीनट बटर लगा हुआ था। अब उसमें हाथ डाल कर तो निकाला नहीं जा सकता। मैंने चिड़ावा अच्छे से भूना। जब खाने से वह दातों में नहीं चिपका यानि बिल्कुल कुरकुरा हो गया तो गरम गरम थोड़ा सा चिड़वा मैंने एक डिब्बे में यह सोच कर डाला कि पीनट बटर पिघल के इसमें मिक्स हो जाएगा। पर ऐसा नहीं हुआ। तेज गरम चिड़वे के कारण डिब्बे की शेप बिगड़ गई। अब मैंने दूसरे डिब्बे में थोड़ा सा हल्का गर्म चिड़वा डाला और डिब्बे को अच्छी तरह हिलाया, जिससे सारा पीनट बटर, चिड़वे में लग गया। डिब्बा भी साफ हो गया और बन गया लाज़वाब हल्की मिठास वाला नमकीन।
"चिड़वा पीनट बटर" बन गया। मैंने उसी डिब्बे में रखा। स्वाद चखते चखते ही 1 किलो के पीनट बटर के डिब्बे में जितना चिड़वा आता है, वह सारा खत्म हो गया। डिब्बा एकदम साफ हो गया और सब मुझसे रेसिपी पूछ रहे हैं, "कैसे बनाया।" मैंने कहा,"मेरे ब्लॉग में पढ़ लेना।"
कोई माप नहीं, मैंने जितना चिड़वा भूना था, उतना ही मैंने पीनट बटर के डिब्बे में डाल दिया तो पूरे 1 किलो के डिब्बे में समा गया, ना कोई मसाला, नमक, मिर्च कुछ नहीं। सिर्फ दो इंग्रेडेंट चिड़वा और डिब्बे में चिपका हुआ पीनट बटर।
अगर पीनट बटर कम होता तो शायद चाट मसाला वगैरह डाला जा सकता है।