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Sunday, 20 October 2024

हर राम कथा के मूल में वाल्मीकि रामायण है

 

आज इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती, पूर्वी विभाग ने भगवान वाल्मीकि पर गोष्ठी का आयोजन  किया | कार्यक्रम की अध्यक्षता सुरेश गुप्ता जी ने की | मंच का संचालन मनोज शर्मा जी ने किया | कार्यक्रम का प्रारम्भ सरस्वती वंदना से दिलीप जी ने किया | 

वक्ताओ ने भगवान वाल्मीकि जी के बारे मे अपने उदगार रखे | मंच पर उपस्थित जगदीश सिंह जी जिन्होंने एक पुस्तक सिख इतिहास के चमकते सितारे पर एक पुस्तक लिखी है उन्होंने बताया महर्षि वाल्मीकि एक आदिकवि थे जिन्होंने महाग्रन्थ रामायण की रचना की थी | 

मनोज शर्मा जी ने बताया कि कैसे हमारे आदिपुरुष महान व्यक्तियों के बारे मे गलत गलत भ्रान्तिया फैला दी गई है कि वो ऐसे थे वो ऐसे थे कुछ चीजें हमारे ग्रंथो मे कुछ इतिहासकारों ने जोड़ दी जिससे उनमे वो गलत बातो को ही इंगित करते है तो हमें अपने ग्रंथो को अलमारी मे सजो के रखने के बजाय उनका अध्ययन करना चाहिए ताकि हम अपनी आने वाली पीड़ियों को अपने ग्रंथो के बारे मे बता सके | 

मुख्य वक्ता विनोद बब्बर जी ने बताया कि हम उन महान संतो के वंशज है जिन्होंने इतनी तपस्या की है और ऐसे ऐसे ग्रन्थ लिख कर दे गए है उन्होंने बताया कि वो त्रिकाल दर्शी थे | वो महाभारत काल मे भी थे | उन्होंने बताया कि हम सबको संस्कृत आती है हम सब गायत्री मंत्र जानते है और रोज बोलते भी है | उन्होंने डी एन ऐ का अर्थ भी बताया कि अंग्रेजी मे कुछ भी हो पर हिंदी मे इसे दादा नाना का अंश कहेँगे कि हम सब अपने दादा नाना के अंश है | तो हमारे दादा भगवान वाल्मीकि है और हमें उन पर गर्व है वो सिर्फ एक समाज के नहीं है, हम सबके है |

कार्यक्रम मे पूर्वी विभाग मे शाहदरा जिले के दायित्वों की भी प्रान्त कार्यकारी अध्यक्ष विनोद बब्बर द्वारा घोषणा की गई | घोषणा इस प्रकार रही | 


अध्यक्ष     सागर चौहान 

उपाध्यक्ष   प्रणव मिश्रा 

उपाध्यक्ष   मुकेश शर्मा 

महामंत्री   नितिन शर्मा 

मंत्री        जतिन आहूजा 

मंत्री        एम नागराज 

कोषाध्यक्ष  नीरज चौहान 

कार्यकारिणी सदस्य संतोष सक्सेना 

कार्यकारिणी सदस्य राजेंदर राठौर

कार्यकारिणी सदस्य  जयपाल सिंह 

अंत मे सभी का धन्यवाद किया गया | मंच पर प्रान्त कार्यकारी अध्यक्ष विनोद बब्बर जी, गिरजेश रस्तोगी जी, जगदीश सिंह जी, नीलम भागी जी, सुरेश गुप्ता जी, और समझसेवी तायल जी, गुरमुख सिंह जी, संजय साहू जी, सुरेश जी, अनुपम जी उपस्थित रहे |

मनोज शर्मा 'मन'

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Friday, 6 September 2024

भारतीय नारी गौरव गरिमा और महिमा महिला सम्मेलन बड़ताल गुजरात

 


भारतीय नारी गौरव गरिमा और महिमा 

महिला सम्मेलन बड़ताल गुजरात 

19 प्रांत 

195 प्रतिनिधि 

विशेष - 50 से अधिक ट्रेनों के निरस्त होने के कारण कई प्रदेशों से बहिनों की उपस्थिति नहीं हो पाई

भव्य और गरिमायुक्त आयोजन 

गुजरात की पूरी टीम का अभिनंदन 

डॉ. पवन पुत्र बादल



















Saturday, 24 August 2024

हम भी ऐसा कर सकते हैं!!

 


आज पत्रकार मिलन बैठक में हमने पहले  कागज के गिलास में पानी पिया और डस्टबिन में फेंक दिया। फिर कागज के कप में चाय ली। मनोज शर्मा 'मन' ने अपने बैग में से स्टील का कप निका ला। पहले उसमें पानी पिया फिर उसमें चाय ली। अपने  इस छोटे से प्रयास  से प्रदूषण सुधार में योगदान दिया। मेरे जैसे और लोग भी यह देखकर प्रभावित हुए होंगे। 

मैंने उनका पर्यावरण पर एक लेख पढ़ा था। जैसा लिखा है, उसे व्यवहार में भी अपनाया है। आप भी उनका लिखा पढ़ें :

आज अशोक जी का प्रवास विश्वकर्मा शाखा पर रहा उन्होंने पर्यावरण विषय लिया और चर्चा की हमें दो पौधे अवश्य लगाने चाहिए चर्चा मे बात आई की हम प्रकृति का मोल नहीं समझते है पर इसी ऑक्सीजन के लिए कोरोना काल मे मारामारी मच गई थी, ऐसे ही हम धूप का सेवन नहीं करते तो विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए हजारों रुपये के इंजेक्शन लेने पड़ते है | ऐसे ही चर्चा मे आया की पेड़ो से हमें ऑक्सीजेन मिलती है छाया मिलती है फल मिलते है लक़डी मिलती है ऑक्सीजेन मिलती है औषधिया मिलती है |

पर शहरों की इस भागदौड़ मे पेड़ो ने गमलो मे पौधों की जगह ले ली है बढ़ते घरो ने बाग़, जंगल उजाड़ दिए है विकास की आंधी वनो को खत्म कर रही है बढ़ती जनसंख्या जगह को ही खत्म करती जा रही है ऐसे मे हम स्वयंसेवक क्या कर सकते है पर्यावरण के लिए |

हम पहले के समय मे घर से थैला लेकर जाया करते थें क्योंकि आप देखेंगे आज हर घर मे प्रतिदिन चार से पांच थैली कभी दूध के साथ कभी सब्जी के साथ कभी फल के साथ और अन्य सामान के साथ घर मे प्रवेश करती है इस हिसाब से महीने मे 150 और वर्ष मे 1800 पननीया तो हम प्रयोग कर रहे है एक घर मे, तो मै स्वयं ये सोचु की मै थैला एक साथ मे, या बाइक की डिक्की मे या गाड़ी मे अवश्य रखूँगा और कोई क्या करता है ये न सोच मे इन 1800 पन्नीयो मे कमीना लाऊंगा तो मैंने ये योगदान दिया तो पेड़ लगाने का जितना पर्यावरण मे योगदान है उससे ज्यादा उसे नुकसान नहीं करूंगा तो ये ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि मुझसे शुरू होगा ये कार्य तो फिर और भी मुझे देख कर जागरूक होंगे | 

ऐसे ही एक व्यक्ति ने कहा की वहाँ प्रसाद पिन्नी के पैकेट मे मिलता है तो उससे पुछा क्या करें तो उसने कहा की कागज के लिफाफे बन सकते है तो फिर उससे कहा की कागज के लिए फिर पेड़ कटेंगे तो फिर सुझाव आया की ऐसे ही हाथ मे दे दे या फिर पत्तल दोने का प्रयोग करें तो ये सुझाव अच्छा रहा |

मतलब छोटे छोटे प्रयोग हम सोचे तो प्लास्टिक के प्रयोग से बचा जा सकता है और जो शुद्ध पर्यावरण हमारे बुजुर्ग हमें दे गए थें इन प्रयोगो द्वारा, ये ही हम अपने बच्चो को दे जाये तो अच्छा रहेगा |

और मैंने अपने बेग मे एक स्टील का कप भी रख लिया है और छोटी पानी की बोतल भी, जिससे कही चाय पीनी पड़ जाये तो फिर वो पेपर गिलास जिसमे प्लास्टिक के हजारों कण मिल जाते है उससे बचा जा सकता है | हमारे बुजुर्ग यही किया करते थें अपना खाना  अपने बर्तन, जहाँ हुई जरूरत प्रयोग कर लिए, साफ सुथरा भोजन और पैसी की बचत भी और पर्यावरण भी सुरक्षित |

मनोज शर्मा "मन"  उपाध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद दिल्ली प्रांत #अखिलभारतीयसाहित्यपरिषद,  #akhilBhartyeSahityaParishad

Friday, 26 July 2024

व्यास जयंती कार्यक्रम इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती दिल्ली प्रदेश

  


23 जुलाई मंगलवार 20 24 को 4:00 बजे डॉ. अवनिजेश अवस्थी (प्रदेश अध्यक्ष इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती दिल्ली प्रदेश) की अध्यक्षता में मंगल सृष्टि अहिंसा  विहार सेक्टर 9 रोहिणी  दिल्ली में व्यास  जयंती का  कार्यक्रम आयोजित किया गया।

वक्ता परम श्रद्धेय बालव्यास दिवाकर वेदांश जी (श्रीधाम अयोध्या प्रसिद्ध कथावाचक) ने  गुरु की महिमा का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा,"ज्ञान के बिना व्यक्ति पशु के समान है । वेद व्यास जी अवतरित हुए संसार में कोई ज्ञान नहीं है जिसको उन्होंने नहीं लिखा। वेद व्यास जी ने भी गुरु परम्परा का पालन किया।" 

प्रवीण आर्य: व्यास पूजा के सफल कार्यक्रम की सभी को हार्दिक बधाई और आज सभी ने अपनी जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निर्वहन की। आज के कार्यक्रम की विशेष उल्लेखनीय बात रही कि आज हमारे बीच में आदरणीय मनोज कुमार जी बैठक में और कार्यक्रम में रहे। मुख्य वक्ता आचार्य प्रवर दिवाकर  का उद्बोधन विषयानुकूल बेहद सागर गर्भित रहा। सभी ने इसका हृदय से श्रवण किया।

BK Garg: 💐🙏आज के कार्यक्रम की आप सभी को हार्दिक बधाई एवम् धन्यवाद ।💐🙏🙏

मनोज शर्मा 'मन' : बहुत ही सुन्दर उद्बोधन, बहुत ही सरल तरीके से ज्ञान चक्षु खोल दिए, सटीक उदाहरण प्रस्तुत किये गुरु की महिमा पर,  आज का समाज  चमत्कारों को गुरु मान रहा है जबकि परोपकारी भाव सिखाने वाला गुरु होता। उन्होंने गुरु के बारे में बताया कि किस तरह वो हमारे जीवन से तिमिर को हटाता है। आपका धन्यवाद की इतने ज्ञानी संत से हमारा मार्गदर्शन करवाया, आपको बहुत बहुत साधुवाद।

 rdmishraanmol: *इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती* द्वारा आज बड़े ही गरिमामय वातावरण में 'व्यास उत्सव' मनाया गया। 

डॉ. अखिलेश द्विवेदी

बहुत ही सुंदर उद्बोधन रहा। व्यास या गुरु की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया। चतुर्भुज और पंचानन की नई व्याख्या सुनने को मिली।

समापन पर अवनिजेश अवस्थी जी ने उपस्थित साहित्यकारों का धन्यवाद किया।

 









Tuesday, 4 June 2024

सर्वभाषा साहित्यकार सम्मान 2023 भुवनेश्वर उड़ीसा यात्रा भाग 26 नीलम भागी

20 दिसंबर को सुबह, हम बसों द्वारा विश्वविद्यालय की ओर  गाते, बतियाते और शहर से परिचय करते हुए पहुंचे। गेट से लेकर हॉल  तक उड़िया साहित्यकारों, कवियों और मनीषियों की तस्वीर जीवन परिचय के साथ लगी हुई थीं। चलते जाएं और पढ़ते जाएं। हमारा पहला सत्र पूजनीय सरसंघचालक श्री मोहन भागवत जी के साथ था। साहित्यकारों ने उनसे प्रश्न पूछे और संतोष जनक जवाब मिले। इस सत्र का संचालन राष्ट्रीय महामंत्री श्री ऋषि कुमार मिश्र जी ने किया।

 भारतीय भाषाएं हमारी भाषाएं, भारत का गौरव है। हमारा देश बहुभाषी देश है। यहाँ की प्रत्येक भाषा की अपनी विशिष्टता है और उसका व्याकरण है। मनुष्य चिंतन, विचार और मनन सामान्यताः अपनी मातृभाषा में ही स्वाभाविक ढंग से कर सकता है, अतः सर्वाधिक महत्व अपनी मातृभाषा का ही है। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् सभी भारतीय भाषाओं के साहित्य, साहित्यकार, कवियों, मनीषियों के लिये काम करने वाली संस्था है। ऐसा ही आयोजन है भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों के सम्मान का। 17 भाषाओं के चयनित साहित्यकारों का सारस्वत सम्मान 20 दिसंबर को उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में किया गया।

डॉ. बिदिशा सिन्हा कोलकाता पश्चिम बंगाल    बंगाली

श्री वैष्णवचरण मोहन्ती भुवनेश्वर उड़ीसा       उड़िया

डॉ. नुसरत मेहदी  भोपाल  मध्य प्रदेश        उर्दू

प्रो. भूषण भावे     परवारी     गोवा         कोंकणी

प्रो. श्यामा घोणसे   पुणे       महाराष्ट्र       मराठी

पद्मश्री् प्रो. हरमहेन्द्र सिंह बेदी अमृतसर पंजाब  पंजाबी

श्री आशा मेनन       पालक्काट्   केरल      मलयालम

डॉ. कमला गोकलानी    अजमेर   राजस्थान   सिन्धी

डॉ. महाराज कृष्ण भरत   जम्मू  जम्मू कश्मीर  कश्मीरी

डॉ. शिवबालक दिव्वेदी     कानपुर उत्तर प्रदेश  संस्कृत

डॉ. फणिधर बोरा          गुवाहाटी   असम    असमी

डॉ. हजारीमयूम सुबदनी देवी   पूर्व इम्फाल इम्फाल मणिपुरी

डॉ. एस. शंकरासुब्रमण्यम      मायलापोर  चेन्नई   तमिल

डॉ. श्री प्रेम शेखर            उडुपी    कर्नाटक  कन्नड

प्रो.़ भगरीथ भाई ब्रह्मभट्ट    आणंद    गुजरात   गुजराती

प्रो. कासि रेड्डी          सिकन्दराबाद तेलंगाना   तेलगु

सूर्यकुमार पाण्डेय         लखनऊ उत्तर प्रदेश     हिन्दी

उपरोक्त भारतीय भाषाओं के साहित्यकारों को पूजनीय सरसंघचालक मोहनभागवत जी द्वारा सम्मानित किया गया। इस अवसर पर परिषद् द्वारा प्रकाशित अनेक पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया। पूजनीय सरसंघचालक जी का पाथेय प्राप्त हुआ। इस  समारोह का मंच संचालन श्री पवन पुत्र बादलजी राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री ने किया।

पूरे देश से चयनीत अखिल भारतीय साहित्य परिषद् कार्यकर्ताओं का सहभाग रहा। सभी ने भव्य आयोजन की एक दूसरे को बधाई दी।

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क्रमशः