ब्रह्माकुमारीज़ सेक्टर 46, 51 और 15 नोएडा ने आज [16.2.2025] – गार्डेनिया ग्लोरी, सेक्टर 46 में शिव जयंती के अवसर पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का विषय था "राजयोग द्वारा डर पर विजय" और इसमें सैकड़ों लोग उपस्थित हुए।
ध्यान और राजयोग का महत्व
कार्यक्रम की शुरुआत ब्रह्माकुमारी आँचल दीदी और ब्रह्माकुमारी लीना दीदी द्वारा निर्देशित ध्यान सत्र से हुई। लीना दीदी ने कहा कि भगवान शिव का एक नाम 'भूतनाथ' है, जो डर के भूत को नष्ट करने का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि राजयोग ध्यान के माध्यम से हम परमात्मा को अपना साथी बना सकते हैं और डर से मुक्ति पा सकते हैं। राजयोग ध्यान एक सरल और प्रभावशाली विधि है, जिसे कोई भी व्यक्ति कहीं भी, कभी भी कर सकता है। यह विधि आत्मा की शुद्धि करती है और मानसिक तनाव को कम करती है, जिससे व्यक्ति को आंतरिक शांति और शक्ति मिलती है।डर पर विजय पाने के लिए, राजयोग ध्यान आंतरिक शक्ति और स्पष्टता को बढ़ाता है। यह मन को नियंत्रित करने में मदद करता है, जो डर को दूर करने के लिए आवश्यक है। राजयोग के नियमित अभ्यास से व्यक्ति अपनी आध्यात्मिक पहचान को पहचान सकता है, जिससे निराशा में भी आशा मिलती है।
आध्यात्मिक पहचान और आत्म-विश्वास का जागरण
ब्राह्माकुमारी पारुल ने एक वीडियो के माध्यम से बताया कि डर हमारे विश्वासों और शरीर के प्रति आसक्ति का परिणाम होता है। यदि हम अपने आप को सिर्फ शरीर न मानकर आत्मा समझें, तो हम अपने डर को भी समाप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा, "मन के जीते जीत है, मन के हारे हार है," और श्रोताओं को अपने डर पर विजय प्राप्त करने के लिए जागरूक और तैयार रहने के लिए प्रेरित किया। उपनिषद को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा, "मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः। बन्धाय विषयासक्तं मुक्त्यै निर्विषयं स्मृतम्॥" अर्थात मन ही सभी मनुष्यों के बंधन एवं मोक्ष का प्रमुख कारण है। विषयों में आसक्त मन बंधन का और कामना-संकल्प से रहित मन ही मोक्ष (मुक्ति) का कारण कहा गया है।
मनोबल और सकारात्मक दृष्टिकोण पर विचार
इंस्टीट्यूट ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की प्रोफ़ेसर डॉ. नीतू जैन ने अपने प्रेरणादायक भाषण में कहा कि "कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।" उन्होंने बताया कि डर पर विजय प्राप्त करना एक यात्रा है और इसकी शुरुआत छोटे कदमों से होती है। ईश्वर का सहारा लेने की बात करते हुए उन्होंने श्रोताओं को सोच और दृष्टिकोण बदलने के लिए प्रेरित किया।उन्होंने कहा, "जो तूने रब से लौ लगायी तो दिल में ख़ौफ़ ये जवाल कैसा, कि जिसकी कश्ती को थाम ले वो तो डूबने का सवाल कैसा। ये तेरी शोहरत ये कामयाबी तो इसमें तेरा कमाल कैसा, जो जीत उसके करम से है तो हारने का मलाल कैसा।" उन्होंने आगे कहा, "सोच बदलें तो सितारे बदल जाते हैं, नज़र बदलें तो नज़ारे बदल जाते हैं; कश्ती बदलने से कुछ नहीं होगा, दिशा बदलें तो किनारे बदल जाते हैं।" उन्होंने श्रोताओं को स्वयं को बदलने के बारे में सोचने के लिए प्रेरित किया और कहा, "उम्र भर यही भूल करता रहा, धूल चेहरे पर थी और आईना साफ़ करता रहा।" एक बेहद ऊर्जावान और प्रेरणादायक भाषण के द्वारा उन्होंने लोगों को अपने डर के ऊपर जीत प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया।
स्वयं पर विश्वास और मानसिक शांति
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, मनोवैज्ञानिक प्रिया भार्गव ने भी श्रोताओं से आत्म-संदेह पर विजय प्राप्त करने की बात की। उन्होंने कहा, "अपने डर के विचारों को लिखें और उन्हें वर्गीकृत करें – जिनका समाधान हम नियंत्रित कर सकते हैं, जिनका आंशिक समाधान है और जो हम नहीं बदल सकते, उन्हें अनदेखा करें।और विकृतियाँ जो गलत आत्म-निर्णय के कारण होती हैं, जिन्हें कमजोर करने के लिए सबूतों की खोज करके दूर किया जाना चाहिए" .यह विधि व्यक्ति को अपने डर से निपटने और मानसिक शांति प्राप्त करने में मदद करती है।
अतिथियों का मार्गदर्शन
कार्यक्रम में 500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें वरिष्ठ अधिकारी और समाज के विभिन्न क्षेत्रों के लोग शामिल थे। कार्यक्रम में श्री आरके सिंह (सेवानिवृत्त आईएएस), श्री अरुण कुंद्रा (आयकर वकील), श्री रवींद्र जैन (वरिष्ठ वैज्ञानिक) और श्री पंकज माथुर (पूर्व निदेशक, आईओसी जेवी) भी उपस्थित थे।नृत्य और एक लघु नाटिका के माध्यम से कार्यक्रम में भय पर विजय का विषय भी प्रस्तुत किया गया।
निष्कर्ष
यह कार्यक्रम ब्रह्माकुमारीज़ के तत्वावधान में आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य लोगों को राजयोग ध्यान के माध्यम से डर पर विजय प्राप्त करने और एक संतुष्ट जीवन जीने के लिए प्रेरित करना था। कार्यक्रम ने यह साबित किया कि आत्मविश्वास, सकारात्मक सोच और राजयोग ध्यान के माध्यम से हम किसी भी डर को परास्त कर सकते हैं और जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।
सम्पर्क जानकारी:
ब्रह्माकुमारीज़, सेक्टर 46
फोन: [7986519538]