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Thursday, 17 April 2025

सिख इतिहास के ऐतिहासिक क्षण की लाजवाब प्रस्तुति!! नीलम भागी

 

मेरठ में हमारा घर गुरुद्वारे के पीछे था इसलिए शबद कीर्तन की आवाज हमारे यहां आती थी। शबद कीर्तन सुनना  मुझे बहुत अच्छा लगता है।  मेरा जब भी गुरुद्वारा जाना होता है तो मैं शबद कीर्तन के समय जरूर पहुंच जाती हूं।  बैसाखी से एक दिन पहले मेरी बेटी उत्कर्षनी वशिष्ठ अमेरिका से अपनी दो बेटियों को छोड़कर जरूरी काम से, 5 दिन के लिए भारत आई थी। रात को ससुराल में रही। 13 तारीख को हमारे घर 3 घंटे के लिए आई थी। शाम को 6:00 बजे उसकी मुंबई की फ्लाइट थी। उसके साथ एक घंटा और  बतिया लूं , इसलिए मैं उसे एयरपोर्ट छोड़ने चली गई। वहां से सीधे गुरुद्वारा सेक्टर 12 गई। 7:00 से 8 बजे तक भाई चरणजीत सिंह का शबद कीर्तन था जो मेरे पहुंचते ही समाप्त हो गया था। गुरुद्वारा प्रांगण में  नोएडा पंजाबी एकता समिति द्वारा आयोजित बैसाखी उत्सव में बड़ी स्क्रीन लगा रखी थी। गेट के बाजू में खाली सीट देखकर, मैं वहीं बैठ गई। भाई सरबजीत सिंह द्वारा संगीतमय👍 बैसाखी के दिन वर्ष 1699 में दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना का बहुत आसान सबको समझ आने वाली भाषा में वर्णन चल रहा था। वे अपने शब्दों को समधुर गायन द्वारा, जिसमें  चिमटे और तबले का ग़ज़ब का साथ था, उस समय के दृश्य को आंखों के सामने खींच रहे थे। सिख इतिहास के ऐतिहासिक क्षण की लाजवाब प्रस्तुति ने श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया था। 10:00 बजे उनके समापन पर मेरी तंद्रा टूटी।  घर लौटने से पहले मैंने अपने  प्रिय छात्र मनिंदर सिंह(सोनू) से कहा,"सिख इतिहास की प्रस्तुति मुझे बहुत अच्छी लगी।"सुनते ही वह हमें उनसे मिलवाने ले गया। धन्यवाद वीरेंद्र मेहता अध्यक्ष (नोएडा पंजाबी एकता समिति) का जिन्होंने हमारी तस्वीर ली और हमें भेजी। 




Sunday, 13 April 2025

*पंजाबी विकास मंच* द्वारा आयोजित बैसाखी महोत्सव


*पंजाबी विकास मंच* ने दिनांक 12.4.2025 को शाम 7:00 से गुरुद्वारा साहिब सेक्टर-12 नोएडा में बैसाखी महोत्सव के पर्व को पंजाबी संस्कृति के अनुसार बहुत धूम धाम से मनाया।

*बैशाखी* की परम्परानुसार श्रद्धा पूर्वक *शबद कीर्तन विश्व प्रसिद्ध भाई जसप्रीत सिंह जवादी कला वालों द्वारा * किया गया व लंगर* का आयोजन किया गया । 

इस अवसर पर पंजाबी विकास मंच के *चेयरमैन पंजाबी रतन दीपक विग* ने उपस्थित पंजाबी परिवारों को वैशाखी पर्व की महता बताते हुए कहा कि - 


हमारा देश विभिन्न त्यौहारों का एक खूबसूरत गुलदस्ता है। इस गुलदस्ते का एक सुंदर फूल है ‘बैसाखी’। 

वैसाखी पंजाब के कैलेंडर में सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है। वैसाखी एक वसंत उत्सव है जो हर साल 12-13 या 14 अप्रैल को होता है।इस दिन को सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। 

इसी दिन सिखों के दसवें *गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी* ने 1699 ईस्वी को आनंदपुर साहिब में ‘पांच प्यारों’ को अमृत छकाकर ‘खालसा पंथ’ की सृजना की थी। पांच प्यारों को अमृत छकाने का मूल उद्देश्य गुलाम मानसिकता की जिंदगी व्यतीत कर रही जनता में ‘चढ़दी कला’ अर्थात जोश और शक्ति की भावना भर कर आत्मबल और शक्ति पैदा करना था ताकि हर प्रकार के जुल्म का डट कर सामना कर सके। इस पंथ के द्वारा *गुरु श्री गोबिन्द सिंह जी* ने लोगों को धर्म और जाति के आधार पर भेदभाव छोड़कर इसके स्थान पर मानवीय भावनाओं को आपसी संबंधों में महत्व देने की भी दृष्टि दी।इस दिन गुरुद्वारों में विशेष उत्सव मनाए जाते हैं। 

बैसाखी के दिन हिंदु समाज की मान्यता है कि देवी गंगा नदी स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरी थीं। इस लिए देश में सबसे बड़े वैशाखी मेलों में से एक हरिद्वार में आयोजित किया जाता है, जो एक महत्वपूर्ण तीर्थ है। 

वैशाखी पर गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए लगभग 50 लाख तीर्थयात्री हरिद्वार में ब्रह्म कुंड में आते हैं।

पंजाबी विकास मंच के *डिप्टी चेयरमैन संजीव पूरी**ने बताया कि - 

भारत भर में बैसाखी का पर्व सभी जगह मनाया जाता है और इसे दूसरे नाम से खेती का पर्व भी कहा जाता है। किसान इसे बड़े आनंद और उत्साह के साथ मनाते हुए खुशियों का इजहार करते हैं। बैसाखी मुख्यतः कृषि पर्व है। पंजाब की भूमि से जब रबी की फसल पककर तैयार हो जाती है तब यह पर्व मनाया जाता है। 

इस कृषि पर्व की आध्यात्मिक पर्व के रूप में भी काफी मान्यता है। किसान इस दिन अपनी अच्छी फसल के लिए भगवान को धन्यवाद देते है। 

इस दिन पवित्र सरोवर  मे स्नान का अपना अलग महत्व है सुबह के समय से ही स्नान आदि के बाद सिक्ख लोग श्री गुरुद्वारा साहेब जाते है। इस दिन श्री गुरुद्वारा साहेब मे *श्री गुरु ग्रंथ साहेब* का पाठ किया जाता है, कीर्तन आदि करवाए जाते है. नदियो किनारे मेलो का आयोजन किया जाता है 

पंजाबी लोग इस दिन अपनी खुशी को अपने विशेष नृत्य भांगड़ा के द्वारा भी व्यक्त करते है. बच्चे बुड़े महिलाए सभी ढोल की आवाज मे मदमस्त हो जाते है और हर्षो उल्लास से नाचते गाते है। 

 उन्होंने  कहा कि पंजाबी विकास मंच का प्रयास  सदैव अपने सभी हिंदू सिख पर्वों  व गुरुओं की शिक्षा को आज की जेनरेशन तक पहुँचाना व उन्हें अपनी संस्कृति से अवगत कराना है। 

कीर्तन के उपरांत गुरु घर की लंगर की सेवा  की गई। सभी पंजाबी परिवार व अन्य उपस्थित गुरु संगत जिनकी संख्या तक़रीबन 600 से अधिक थी लंगर प्रसाद लेकर अति आनंदित हुए और उसकी सराहना की। 

पंजाबी विकास मंच के *संरक्षक जे एम सेठ ** ने संबोधित करते हुए कहा कि हर वर्ष बैसाखी 12-13 या 14 अप्रैल को मनाई जाती है इस दिन से ही हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है । क्योंकि सूर्य स्वयं की राशि मेष में आता है सूर्य 12 राशियों का भ्रमण करने के बाद स्वयं की राशि मेष में उच्च का होता है सूर्य सभी ग्रहों का राजा है सूर्य के उच्च में आने के कारण इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत *शुभ* मानी जाती है सूर्य के उच्च में आने से जो अलौकिक किरणें सूर्य के द्वारा जो पृथ्वी में आती है वह नदियों में समा जाती है वह वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण होती है  बैसाखी के दिन नदियों में स्नान करने से आभामंडल में तीव्रता आती है और कई रोगो का नाश भी होता है ।

इस वर्ष वैशाखी पर्व को मनाने में विशेष रूप से  

पीवीएम के सरांक्षक जे एम सेठ,  एस पी कालरा , चेयरमैन पंजाबी रत्न दीपक बिग , अध्यक्ष जी०के॰बंसल, डिप्टी चेयरमैन संजीव पुरी,  वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुनील वाधवा,संजीव बाँधा,हरीश सभरवाल,उपाध्यक्ष-प्रदीपवोहरा,आर के भट्ट,संजय खत्री,कोषाध्यक्ष-अजय साहनी, सचिव-अलका सुद व एस एस सचदेवा,सरोज भाटिया,सह सचिव अमरदीप शाह,रितु दुग्गल व प्रभा जयरथ, ऑडिटर प्रेम अरोड़ा और अन्य पदाधिकारी,देवेंद्र सिंह चावला,राज कुमार नारंग,अमरजीत कौर,सुनील वर्मा,सुषमा नेब,गौरव जग्गी, प्रवीण पासी, शरण चौहान, अंजू मग्गू, विक्की कलसी, सविता अरोड़ा, राजीव चावला, इंद्रपाल खांडपुर, अजय अग्रवाल, आदि पंजाबी समाज के लोगों का स्वागत करने के लिए वहाँ उपस्थित थे। 

इस कार्यक्रम का पूरा प्रबंध करने के लिए  नोएडा के समस्त पंजाबी परिवारों ने तन मन धन से पूरा सहयोग किया। 

दीपक बिग- +91 81303 65436

जे एम सेठ-9810290073