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Saturday, 29 June 2024

बालकनी गार्डन नीलम भागी Giving Morning love Balcony Garden Neelam Bhagi



उत्कर्षनी ने मुझे अमेरिका से अपने बालकोनी  न गार्डन का विडिओ भेजा। बालकोनी गार्डन के लिए कंटेनर बिल्कुल हल्के होने चाहिए। कोकोपीट का अधिक उपयोग करना चाहिए। वजन का बहुत ध्यान रखना चाहिए। इसमें जगह के हिसाब से अपना मन खुश करने के लिए और जरूरत के समय बाजार ना भागने पड़े लहसुन, प्याज, हरी मिर्च, धनिया, पोदीना, करी पत्ता, टमाटर, लेमनग्रास आदि उगा लें। लहसुन, प्याज के पत्ते एकदम ताजे, किसी डिश की गार्निश करने में मिलेंगे।
किसी भी कंटेनर या गमले में ड्रेनेज होल पर ठीक रा रखकर सूखे पत्ते टहनी पर किचन वेस्ट, फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती बनाने के बाद धो कर आदि सब भरते जाओ बीच-बीच में थोड़ा सा वर्मी कंपोस्ट से हल्का सा ढक दो और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, या गोबर की खाद, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा बाकी रेत मिलाकर उसे  मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा कर, इस तैयार मिट्टी को 6 इंच, किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।






Monday, 5 April 2021

मैंने कंटेनर में भिंडी उगाई आप भी उगा सकते हैं नीलम भागी How to Grow Okra in pots Neelam Bhagi



भिंडी की सब्जी मुझे बेहद पसंद है। उगाने के कारण इसके फूल भी बहुत सुदंर लगते हैं। आप भी मेरी तरह उगाइए।
सबसे पहले विश्वसनीय दुकान से बहुत बढ़िया बीज खरीदिए। मैं 34वां गार्डन टूरिज्म फैस्टिवल जो र्गाडन ऑफ फाइव सेंसेज में लगा था। उसे देखने गई थी। 5 इन्द्रिय उद्यान, र्गाडन ऑफ फाइव सेंसेज नामक यह उद्यान दिल्ली के दक्षिणी भाग में सैद- उल- अजाब गांव के पास स्थित है। वहां गार्डिनिंग के प्रयोग में आने वाली हर एक चीज की मार्किट लगी हुई  थी। मेरी आंखें सामान पर थीं, दुकान के नाम पर नहीं। वहीं से मैंने भिंडी के बीज खरीदे।

पहली बार मैंने टैरेस गार्डिनिंग शुरु की थी। मेरे कंटेनरों में हरी सब्ज़ियां उगी हुईं थीं। उनका मौसम जाने वाला था। अब मैंने मुफ्त के ग्रो बैग तैयार किए। उनमें भरने के लिए  पॉटिंग मिक्स  तैयार किया। 60% मिट्टी, 30% वर्मी कम्पोस्ट, 10% में रेत और नीम की खली को अच्छी तरह मिला कर इन ग्रो बैग में भर लिया। 21 फरवरी रात को मैंने बीजों को पानी में भिगो दिया था। 22 फरवरी को मैंने इन भीगे भिंडी के बीजों को एक एक मुफ्त के ग्रो बैग में 2 या 3 सेमीं अंगुली से गड्ढा करके बो दिया और पानी अच्छी तरह दे दिया और नीचे दो दो छोटे ड्रेनेज होल कर दिए ताकि फालतू पानी बाहर चला जाए। अगर आपके पास 18’’ का गमला है तो एक गमले में चार बीज बो सकते हैं। 12’’ के गमले में दो बीज लगाएं। अगर जमीन पर बोना है तो लाइन की दूरी 1फीट रखें। बीजों को बोने के बाद हल्की मिट्टी से उन्हें ढक दें। 

मेरे मुफ्त के ग्रो बैग में 27 फरवरी से लगभग सभी बीजों का अंकुरण हो गया। भिंडी 27 से 30 डिग्री तापमान पर बहुत अच्छा ग्रो करती है। पौधे बहुत अच्छे ग्रो करने लगे।


15 दिन बाद मैं इनमें वर्मी कम्पोस्ट एक मुट्ठी से कम डाल देती। 16 मार्च से मेरे जो भी सरसों , बथुए, मेथी, पालक आदि के कंटेनर खाली होते जाते, मैं शाम को उनमें भ्ंिाडी के पौधे ट्रांसप्लांट करती जाती। मेरा एक भी पौधा ट्रांसप्लांट करने में नहीं मरा।
पुराने कंटेनर को खाली करके, शाम के समय मुफ्त के ग्रो बैग में लगे भ्ंिाडी के पौधे को कंटेनर में रख कर इस मुफ्त के ग्रो बैग को कैंची से काट कर पूरी तरह मिट्टी से हटा कर फैंक देती। अब पौधा बिना कवर के पुरानी मिट्टी के साथ कंटेनर में रखा होता।


उसके चारों ओर खाली जगह में तैयार मिट्टी भर देती। अब उनमें बहुत सुंदर फूल आ गए हैं। फाइबर, पोटेशियम, विटामिन के सेेेेेे भरपूर हरी हरी भिंडी भी लगनी शुरु हो गई है। पहली बार मैंने वहां से बीज खरीदे, बीज बहुत अच्छे निकले। 

एक मिनट में मुफ्त के ग्रो बैग बनाना सीखने के लिए लिंक पर क्लिक करें 


  https://youtu.be/RsfCymsbTDk

रसोई के कचरे का इस्तेमाल

किसी भी कंटेनर या गमले में ड्रेनेज होल पर ठीक   रा रखकर सूखे पत्ते टहनी पर किचन वेस्ट, फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती बनाने के बाद धो कर आदि सब भरते जाओ बीच-बीच में थोड़ा सा वर्मी कंपोस्ट से हल्का सा ढक दो और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, या गोबर की खाद, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा बाकी रेत मिलाकर उसे  मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा कर, इस तैयार मिट्टी को 6 इंच, किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।


Wednesday, 20 January 2021

गलत जगह गोभी उगाना नीलम भागी Cauliflower needs a sunny Spots !

अपनी उगाई सब्जी को बढ़ता देखने का आनन्द ही अलग होता है। इंतजार के बाद जब ताजा़ तोड़ कर बनाया जाता है तो उसका स्वाद लाजवाब होता है। मुझे गोभी बहुत पसंद है। मैंने भीष्म प्रतिज्ञा करली कि सर्दियों में मैं खुद की उगाई गोभी के परांठे ही खाउंगी। और मैं अपने गोभी उगाने के अभियान में लग गई। मैंने थोड़ी सी जगह तैयार की। बीज और मिट्टी अच्छी अच्छी हो तो पौधे बढ़िया उगते हैं। बीज की दुकान से 50रु का गोभी के बीज का पैकेट खरीदा। दुकानदार का 500रु का दिमाग चाट कर, उससे नर्सरी से हारवैस्टिग तक की जानकारी ली। 70% मिट्टी और 30% वर्मी कम्पोस्ट मिला कर मिट्टी तैयार की। बीज लगाये। उसमें पानी अच्छी तरह दिया। जब  पौधे 4’’ के हो गये । तो पौधों को शाम के समय रोपित कर दिया और पानी दे दिया। हर महीने उसमें वर्मी कम्पोस्ट भी लगाती। रेगूलर गुड़ाई करती। सुबह उठते ही पौधों को घूर घूर के देखती पर आज तक उसमें फूल नहीं आये। एक दिन मैंने माली को बुलाकर उससे फूल न बनने का कारण पूछा। उसने कहा कि धूप न के बराबर है और पौधे पास पास हैं।


दोपहर का समय था मेरे गोभी के पौधों पर अठन्नी चवन्नी जितनी धूप पड़ रही थी। सड़क पार पेड़ की शेड के कारण। गर्मी में मैं वहां चौलाई बोती हूं। धूप होती हैं पर इतनी कम नहीं।  उसने कहा कि कल आकर वह इनमें से फालतू पौधों को कन्टेनर में लगा कर छत पर रख देगा क्योंकि नीचे तो हर जगह पौधे हैं। मैं खुश हो गई कि इसी बहाने मेरी टैरेस गार्डिनिंग शुरु होगी। सामने गुजर रहे सब्ज़ी के ठेले से मैंने गोभी खरीदी और प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए, सी से भरपूर गोभी के परांठे बनाने लगी। रैस्पी शेयर कर रही हूं। दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
https://neelambhagi.blogspot.com/2024/08/blog-post_22.html

# Kitchen waste management



किसी भी कंटेनर या गमले में ड्रेनेज होल पर ठीक   रा रखकर सूखे पत्ते टहनी पर किचन वेस्ट, फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती बनाने के बाद धो कर आदि सब भरते जाओ बीच-बीच में थोड़ा सा वर्मी कंपोस्ट से हल्का सा ढक दो। कभी पतली सी थोड़ी सी छाछ डाल दें।और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, या गोबर की खाद, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा बाकी रेत मिलाकर उसे  मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा कर, इस तैयार मिट्टी को 6 इंच, किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।

Tuesday, 15 December 2020

मुफ्त में ताजी ऑरगैनिक मेथी नीलम भागी organic FENUGREEK Neelam Bhagi

 

उगाने के लिए मैं हमेशा अच्छी कम्पनी के बीज मंगाती हूं या विश्वसनीय दुकान से लेती हूं। पर हुआ यूं कि रसोई के लिए मेथीदाना मंगाई। मेथी का पैकेट फट कर जमीन पर बिखर गया|


अब तो उसे फैंकना ही था। पर दिमाग में आया इसे बो देती हूं। दाने तो उग जायेंगे। उस समय  कम्पोस्ट बनाने की दोनो बाल्टियां भरी हुईं थी। अगले इंतजाम तक किचन वेस्ट 10 किलो की आटे की थैली में रख रही थी। सर्दी के कारण फल सब्जियों के बहुत ज्यादा छिलके थे। किचन वेस्ट की थैली को मैं छत पर ले गई। अब मैंने मिट्टी% में 30%वर्मी कम्पोस्ट, थोड़ी सी नीम की खली और रेत मिला कर, पॉटिंग मिक्स तैयार किया। थैली के नीचे चार छेद कर दिए। क्योंकि मेथी की जड़ों में 24 घण्टे पानी रुक जाये तो मेथी मर जाती है। इन छेदों से फालतू पानी बाहर हो जायेगा। अब थैली के कचरे को अच्छी तरह से टैप करके समतल कर लिया। कचरे पर सूखे पत्ते बिछा दिए। फिर 5 इंच ये मिट्टी इस पर भर दी। थैली को मिट्टी के लेबल तक मोड़ दिया। उसे ऐसी जगह रखा जहां सारा दिन धूप आती है। एक दिन धूप लगने को छोड़ दिया। अगले दिन लेबल थोड़ा नीचे हो गया। मेथी को 5 घण्टे पानी में भिगोकर पानी से निकाल कर गीले सूती कपड़े में पहले ही रख दिया था। कपड़े को गीला रखती रही।


अब उनका अंकुरण हो गया था और इन अंकुरित बीजों को मिट्टी में फैला दिया। इसको आधा सेंटीमीटर इसी मिट्टी से ढक कर हल्के हाथों से थोड़ा दबा दिया और पानी दे दिया।  घर में नीचे पेड़ो के कारण मेथी के गमलों को लगातार सीधी धूप न मिलने से मेथी बस ठीक उगती है। पर ये कचरे में उगी सीधी धूप पड़ने के कारण ये मेथी बहुत अच्छी उग रही है। बीज उगाने के लिये खरीदती तो कसूरी मेथी के उगाती। ये मेथीदाने तो रसोई में इस्तेमाल के लिए थेे। पर मन खुश हो जाता है जब थैली के लेबल से हरी हरी मेथी बाहर आती है तब जरुरत के समय मैं ताजी तोड़ती हूं। बहुत मुलायम होती है। छांटना साफ करना भी नहीं पड़ता इस ऑरगैनिक मेथी को। इसका स्वाद तो लाजवाब होता ही है। 

एक कप मेथी में 13 कैलोरी होती हैं। इसमें आयरन, विटामिन ए, के, सी, कैल्शियम, बीकॉमप्लैक्स, फॉलेट, राइबोफ्लैविन फाइबर होता है। ये हड्डियो, पाचन, र्हाट के लिये बहुत मुफीद है। डायबटीज कंट्रोल में सहायक है। आप बनायेंगे तो पड़ोसी खूशबू का आनन्द उठायेंगे।


Saturday, 29 February 2020

ऑरगेनिक पालक रसोई के कचरे से उगी नीलम भागी Organic Palak Rasoi ke Kacherey se Neelam Bhagi


चुम्मू बड़ा हो गया है। उसके बाथ टब में जहां से पानी निकलता है, उस पर मैंने एक ठिकरा रखा। उसमें मैंने रसोई का कचरा भरना शुरु किया बीच-बीच में थोड़ी सी छाछ पानी मिलाकर छिड़क देती। फल सब्जियों के छिलके, पत्ते सब उसी में मैंने डाले। जब वह भर गया तो मैंने 60% मिट्टी में गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट भी डाल सकते हैं, दो मुट्ठी नीम की खली(इससे कीड़ा नही लगता) डाल कर मिट्टी तैयार की। ये तैयार मिट्टी की मैंने चार इंच मोटा, कचरे पर  बाथ टब में फैला दी। हाथों से दबा कर उसे समतल कर लिया। अब उस पर पालक के बीज छिड़क दिये। दूर दूर छिड़केगे तो मोटे पत्ते मिलेंगे। पास छिड़कने पर छोटे मिलेंगे। अब इन बीजों को इसी मिट्टी से आधा या एक इंच मिट्टी से ढक दिया। पानी का छिड़काव इस प्रकार  किया कि बीज ढके रहें। नहीं तो उन्हें चिड़िया खा जायेगी। ये बुआई मैंने अगस्त के अंत में की थी। 5 से 20 डिग्री तापमान पर ये बहुत अच्छी उगती है। मैंने पालक को जड़ से नहीं उखाड़ा। जरुरत के अनुसार पत्तों को कैंची से काटा। अब उनमें बीज आ गये हैं। अब तक मैने कोई खाद नहीे डाली थी। पानी भी इतना डाला कि मिट्टी गीली रहे। इसे बोने के लिये गहरे बर्तन की जरुरत नहीं होती है। ये पालक बहुत ही लाजवाब बनती है।
 अब मैंने चार मिट्टी के गमले कचरे के तैयार करके इसी विधी से और पालक बोई है। गर्मी में मैं इसे   सीधी सूरज की रोशनी में नहीें रखती।

रसोई के कचरे का उपयोग
 किसी भी कंटेनर या गमले में ड्रेनेज होल पर ठीक  रखकर सूखे पत्ते टहनी पर किचन वेस्ट, फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती बनाने के बाद धो कर आदि सब भरते जाओ बीच-बीच में थोड़ा सा वर्मी कंपोस्ट से हल्का सा ढक दो और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, या गोबर की खाद, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा बाकी रेत मिलाकर उसे  मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा कर, इस तैयार मिट्टी को 6 इंच, किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।