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Monday, 9 May 2016

माँ का दूध तो बिगड़ जायेगा न! स्तनपान World Breast Feeding Week Neelam Bhagi







                              सिंगापुर में उत्कर्षिणी मुझे लिटिल इण्डिया घुमाने ले जा रही थी। जब उसने टैक्सी बुलाई तो मैंने पूछा,’’गाड़ी क्यों नहीं लेकर जा रही हो?’’उसने जवाब दिया,’’माँ वीकएंड है न, वहाँ बहुत भीड़ होती है। पार्किंग में बहुत समय लग जाता है इसलिये।’’ टैक्सी वाला गलती से एक ऐसे कट पर मुड़ गया, जो लम्बा रूट था। उसने हमें कहा,’’सॉरी, मैं थोड़ा लांग रूट पर आ गया।’’मुझे तो खैर पता ही नहीं था। उत्कर्षिणी को भी याद नहीं था पर उसने जवाब दिया कि कोई बात नहीं। मैंने मन में सोचा कि इसने सॉरी कह दिया। बिल तो हमें ही ज्यादा देना पड़ेगा न। लेकिन मेरी सोच गलत निकली। मैं उस इंडोनेशियन टैक्सीवाले पर हैरान रह गई, उसने फालतू किलोमीटर बिल से घटा कर ही पैसे लिये। वहाँ चलते हुए ऐसा लग रहा था जैसे चाँदनी चौक में घूम रहे हों। संकरी पर बहुत ही साफ सड़कें। वहाँ हम नारियल पानी पी रहे थे और मैं उत्कर्षिणी से नारियल पानी के स्वाद का ज़िक्र कर रही थी, जो भारत के स्वाद से अलग था। उसने बताया कि ये नारियल थाइलैंड से आता है। सामने से एक महिला हमारी ओर आ रही थी। उसके दोनो हाथों में शॉपिंग बैग थे और कंगारू बैग में माँ के पेट से सटी उसकी बेटी, आसपास के नज़ारों का आनन्द उठा रही थी। जैसे ही वह हमारे पास आई। उत्कर्षिणी हमारा परिचय करवाते हुए बोली,’’माँ ये मेरी सहेली रमा है, ये मेरी माँ इंडिया से आई हैं।’’सुनते ही रमा ने शनिवार को लंच पर आमंत्रित किया। रमा के खड़े होते ही उसकी बेटी तंग करने लगी। रमा बोली,’’माफ करना, ये आज मेरे साथ घूमने निकली है। इसलिये इसे मेरा बतियाना पसंद नहीं है। चलती हूँ, शनिवार को मिलते हैं।’’हमने वहाँ आचार के लिये मोटी हरी लाल मिर्चें खरीदीं और कुछ रसोई का सामान खरीदा। यहाँ तमिल लोगों की दुकाने ज्यादा थीं। सोने की दुकानों पर कोई सिक्योरिटी नहीं। जबकि सोने से दुकाने अटी पड़ी थीं। घर आकर मैंने उत्कर्षिणी को मिर्च का आचार बनाना सिखाया।
शनिवार को उत्कर्षिणी ने मुझसे छोले बनाने सीखे। अब हम तैयार होकर गिफ्ट, छोले और मिर्च का आचार लेकर रमा के घर चल दिये। रास्ते में उसने बताया कि मोना भी आपको घर बुला रही थी। हमने उसे भी रमा के घर बुला लिया है। सभी अलग दिन पर रैस्टोरैंट में बुला रहीं थीं। मैंने मना कर दिया।
 हम तीनों के पास कभी मिल बैठ कर बतियाने का समय ही नहीं होता। आज आपके बहाने हम सब इक्ट्ठे हो रहें हैं। शाम को लौटेंगे। मैं होस्टल में आपके बनाये छोले और मिर्च का आचार ले जाती थी। जो इन्हें बहुत पसंद था। इसलिये मैंने मेड से नहीं बनवाया। सभी एक दूसरे की पसंद का बनायेंगी। रमा की मेड बस हमें परोसेगी और बेबी सम्भालेगी। घर जाते ही मोना और रमा के पतियों ने मेरे पैर छुए और मुझसे हमारे देश के बारे में बाते करने लगे। हम सब के आगे पीटा ब्रैड, हुमुस और जूस आ गया। मैंने देखा कि यहाँ कोई भी किसी से कुछ माँगता नहीं था। जिसका जो मन होता, वह स्वयं ही ले लेता और जूठे बरतन किचन में रख आता जबकि सभी उच्च पदों पर थे। मैं फ्रिज से पानी लेने गई। अलमारी के साइज का फ्रिज उसमें छोटी छोटी दूध की बोतलें उसपर मार्कर से तारीख और समय लिखा हुआ था। कुछ छोटे छोटे दूध के पाउच भी थे। उन पर भी तारीख और समय लिखा हुआ था। मैंने फ्रिज का मुआइना किया। उसमें पाँच लीटर का एक दूध का जार भी रक्खा था। रसोई में एक र्काटून टैट्रा पैक दूध का था। मैं ये मन में प्रश्न लेकर सखियों में बैठ गई कि सौ, डेढ़ सौ, दो सौ मिली. दूध की बोतलें भला क्यों तारीख अनुसार सजाई हुई हैं। लंच में रमा ने रबड़ी भी बनाई थी। जब मैंने रबड़ी की तारीफ की, तो उसके पति ने बताया कि रात दो बजे तक रबड़ी तैयार की है। शाम को चाय बनाते समय दूध जार का इस्तेमाल किया गया। फिर ये बोतलें किस लिये? मैंने सोचा घर जाकर उत्कर्षिणी से पूछूंगी।     

   ’आप जब इण्डिया लौटेंगी तो मैं अपनी प्रेगनेंट बहन सीमा के लिए ब्रैस्ट पम्प दूँगी, आप ले जायेंगी न’ मोना ने चलते समय मुझसे पूछा। मेरी स्वीकृति मिलते ही उसका चेहरा खिल गया। मैं पैकिंग कर रही थी। मोना एक बक्सा उठाए चली आई। बक्सा देखते ही मैं डर गई। पर हाथ में उठाते ही वह हल्का लगा, लेकिन उसने मेरा तीन चौथाई बैग घेर लिया। मैंने ऐसे ब्रैस्ट पम्प की तो कल्पना भी नहीं की थी। मोना और रमा दोनों की बेटियाँ छोटी हैं। उच्च पद और लम्बे समय तक काम में व्यस्त रहने के कारण उनके मन में ज़रा भी गिल्ट नहीं है कि उनकी बच्चियाँ माँ के दूध से वंचित हैं और फार्मूला मिल्क पर पल रहीं हैं। उस इलैक्ट्रिक पम्प की बदौलत दोनों अपनी बेटियों को खूब माँ का दूध पिला रहीं है। सिंगापुर में उनकी कम्पनी में  मैटरनिटी लीव तीन महीने की है। मोना कंस्लटैंट है और रमा मैनेज़र। अब दोनों मुझे पम्प के फायदे बताने लगी ताकि वर्किंग सीमा भी अपने होने वाले बच्चे को भरपूर माँ का दूध पिलाये।
     फ्रिज़ में माँ का दूध तीन दिन तक और फ्रिज़र में तीन महीने तक खराब नहीं होता है। बस रखने में साफ सफाई का पूरा घ्यान रखना पड़ता है। बस पम्प को इस्तेमाल के बाद सैनेटाइज़ करो। प्रसव के बाद माँ का दूध बहुत होता है, बच्चा उतना नहीं पी सकता। इसलिए पम्प करके पाउच में हवा निकाल कर सील करके या बॉटल में फ्रिज़र में रखते जाओ। जब हम घर में नहीं होते, तो जो भी घर में बच्चे की देखभाल करता है, वह माँ के दूध को फ्रिज़ से निकाल कर, उसे गर्म पानी के कटोरे में रख देता है। जब दूध थोड़ा गुनगुना हो जाये क्योंकि             ठण्डा होने से फैट ऊपर आ जाती है जो जम जाती है। इससे दूध में फैट भी पिघल जाती है। बच्चे को पिला दो।
       बेबी को दूध पिलाने से या बेबी के पास न रहने से भी पमि्ंपग करते रहोगे, तो दूध का प्रोडक्शन बना रहेगा। ऑफिस में एक पमि्ंपग रुम है। बारी बारी से दूधमुँहें बच्चों की माँ, वहाँ पम्प करने जाती हैं। रमा ने वहाँ अपनी बिटिया की तस्वीर लगा रक्खी है। अन्दर से बंद करके, बेटी की फोटो को देखते हुए वह पम्पिंग करती है। मोना ने अपने घर में कैमरे लगा रक्खे हैं क्योंकि उसका घर फिलीपीनो मेड देखती है। वह मोबाइल पर अपनी बेटी की हरकतों को देखते हुए ऑफिस में पमि्ंपग करती है। मैंने पूछा,’’घर आने तक दूध खराब नहीं होता।’’उन्होंने एक बैग और रबर की पानी से भरी थैली दिखाई। उन्होंने बताया कि पानी की थैली को फ्रिजर में जमा देते हैं। दूध भी फ्रिज़र में रख देते हैं। शाम को बैग में दूध और बर्फ की थैली रख कर चैन बंद कर देते हैं। घर आते ही फिर फ्रिज में रख देते हैं।
  कई बार अपने केस के सिलसिले में, दूसरे देश में समय का फर्क होने के कारण मोना को सुबह ही कॉल आ जाती है, ऐसे में वह बेबी को गोद में लेकर उसे निहारते हुए दूध नहीं पिला सकती। तब वह पमि्ंपंग करती रहती है और कॉल चलती रहती है। मोना ने बेबी को सात महीने तक अपने ही दूध पर रक्खा हुआ है। मैंने पूछा,’’ ऑफिस के काम से विदेश जाने पर कैसे मैनेज़ करती हो।’’उसने बताया कि जर्काता एक वीक के लिए गई थी। डेढ़ घंटे की फ्लाइट है। तीसरे दिन मैंने जमा हुआ दूध फ्लाइट के समय से पहले कोरियर किया। तुरन्त चैक इन में चला गया, वहाँ ठण्डा रहता है। जब तक ठीक से पिघलता, घर वालों ने कलैक्ट कर लिया। वीकएंड पर मैं दूध साथ ही ले आई। अब मुझे पम्प बहुत प्यारा लगने लगा, जिसकी बदौलत परिवार की लाइ़फ़ लाइन कामकाजी महिला अपने बच्चे को माँ के दूध से वंचित नहीं रखती है।
  फ्लाइट में मुझे सोचने के सिवाय कोई काम नहीं था। आम महिला और विशेष महिला, माँ के पद पर आते ही संतान के पोषण के समय मुझे एक ही जैसी लगती हैं, वे सिर्फ माँ होती हैं। घर पहुँचते ही सीमा गिफ़्ट लेने आई। मैंने धाराप्रवाह उसे ब्रैस्ट पम्प के फायदे बताये। उसने मेरी बातों को ध्यान से सुना।,’’ हम बातें कर ही रहे थे कि लाइट चली गई। यह देख कर मेरे मुँह से तुरंत निकला,’’यहाँ तो बिजली बहुत जाती है। माँ का दूध तो बिगड़ जायेगा न।’’मेरे वाक्य को सीमा ने पूरा करते हुए कहा कि फिर तो कुत्ते को पिलाना पड़ेगा। सीमा दुखी होकर बोली,’’आप ठीक कहतीं हैं। इस पम्प का फायदे तो उस शहर की माँ और बच्चे  उठा सकते हैं। जहाँ चौबीस घण्टे बिजली आती हो।