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Thursday, 12 December 2019

हर कोई इंटैलीजैंट नहीं होता! राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल और ग्रीन पार्क नौएडा Rashtriye Dalit Prerna Sthal Noida Her Koi Intellegent nahi hota Neelam Bhagi नीलम भागी



हुआ यूं कि मैंने कल, ठान लिया था कि मैं राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल नौएडा देखने जरुर जाउंगी। पहली बार गर्मी के मौसम में हम शाम को गए थे, पार्किंग ढूंढ रहे थे जो वहां नहीं थी तो खोमचे वाले बोले,’’रोड पर र्पाक कर लो, यहां से कभी कोई गाड़ी नहीं उठी। फिर पता चला कि टिकट 11 बजे से शाम 5 बजे तक ही मिलते हैं। वापसी की। मेरे घर से कुल सात किमी. की दूरी है। बस यही सोच कर कि यहाँ तो मैं कभी भी आ जाउंगी। आज कल करते करते इतने दिन लग गए। कल जैसे ही 3 बजे घर से बाहर निकली सामने बस, ये सोच कर चढ़ गई कि आस पास पहुंच कर कोई और सवारी ले लूंगी। मैं सीट से उठ उठ कर बाहर देख रही थी कि कहां उतरुं! कडंक्टर ने मुुझसे पूछा,’’आपको कहां उतरना है?’’मैंने कहा,’’मुझे राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल जाना है, जहां से पास पड़ेगा वहां उतार देना। उन्होंने कहा कि आप तसल्ली से बैठ जाओ। मैं तसल्ली से बैठ गई। बॉटैनिकल गार्डन पर बस रुकी। उसने मुझे कहा कि उतर कर फुटओवर ब्रिज से अंदर जाकर 8 नम्बर बस ले लेना, वो उसके पास जाती है और ड्राइवर से बोलना,’’ बहन मायावती पार्क जाना है, वो मत बोलना जो आपने पहले बोला था| मैंने पूछा,"राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल|"उन्होंने  कहा," हाँ हाँ यही|" फिर समझाया  ,ऐसे कहना कि बहन मायावती पार्क जाना है, ये बोलने के साथ राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल भी बोल देना क्यूंकि हर कोई इंटैलीजैंट नहीं होता न।"उनको धन्यवाद देकर मैं उतर गई और उनकी बताई बस में चढ़ी, उसमें बच्चों के बड़े और भारी बैग और स्कूली बच्चे लेकर महिलाएं चढ़ीं। कण्डक्टर चिल्लाता रहा,’’ अरे पास ले लो।’’ किसी ने नहीं लिया डीटीसी की यात्रा जो मुफ्त है। मैंने कण्डक्टर से सब महिलाओं के पास लेकर, भीड़ में रास्ता बनाती, उन महिलाओं को पिंक स्लिप यानि पास पकड़ाती, ड्राइवर तक पहुंच कर उसे कहा,’’मुझे बहन मायावती पार्क के पास उतार देना।’’ उसने जवाब दिया,’’पहले बोलना था न, वो कट तो निकल गया।’’मैं स्टैण्ड पर उतरकर वापिस घर चल दी। इस बस के कण्डक्टर के बराबर मुझे सीट मिली। मैने उसे अपना सेक्टर बता कर वहां से "राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल, बहन मायावती पार्क"   का रास्ता पूछा,’’ उसने बस का नम्बर बता कर कहा कि फ्लाइओवर से पहले उतर कर ई रिक्शा ले लेना।’’ आज मैंने वैसा ही किया बस से उतरी कोई ई रिक्शा नहीं था। एक साइकिल रिक्शा दिखा। मैंने उसे चलने को कहा,’’उसने छूटते ही कहा कि बीस रुपये लूंगा। फुट ओवर ब्रिज पर उतार दूंगा, वहीं पार्क है पर टिकट पांच नम्बर गेट पर मिलती है। और उसने पूछा," क्या आज वहां कुछ है!" मैं बोली,’नहीं।’’ पास में ही ब्रिज था| उपर से ही पार्क बहुत ही सुन्दर लग रहा था। साफ फुटपाथ पर लाइन से छाया दार पेड़ लगे थे।


15रु की टिकट लेकर मैं अंदर गई। बिल्कुल साफ सुथरे फर्श, बहुत अच्छे से मेनटेन पार्क हैं। मैं देख रही थी, दर्शकों के साथ कर्मचारियों का व्यवहार बहुत अच्छा लगा।


 जो भी पूछो जवाब देते थे। विनोद कुमार बड़ी विनम्रता से दर्शकों को कहते कि वे म्यूजियम के अन्दर न जायें क्योंकि वहां रिपेयर चल रही है। सब सीढ़ियां चढ़ कर सामने से बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी, काशीराम जी और बहन मायावती जी की मूर्ति के साथ दूर से सेल्फी ले रहे थे।



 अभय सिंह से मैं प्रश्न करती जा रही थी, वे मेरे सभी प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। कुछ परिवार पिकनिक मनाने आये हुए थे। मैंने अभय सिंह से पूछा,’’  लोग गंदगी तो नहीं फैलाते।
उन्होंनेे जगह जगह रखे डस्टबिन दिखाये। 33 एकड़ में बना पार्क है। थक गई तो देखा, बैठने के लिए बहुत सुन्दर शेड बने हुए थे। 
बिना शेड के  भी आरामदायक बैंच लगे थे। एक आदमी बैग का तकिया बना कर शॉल ओड़ कर धूप में सो रहा था। प्लेटर्फाम पर 2 घंटे का टिकट 10 रुपये का है।

 यहाँ 15 रुपये में शांत, स्वच्छ हरे भरे स्थान में आप सपरिवार दिन भर समय बिता सकते हैं। अगर आप ने 5बजे तक टिकट ले ली तो भी आप 6 बजे तक घूम सकते हैं। सातों दिन आ सकते हैं।


 एक प्रश्न मेरे दिमाग में बार बार उठ रहा था कि इतनी खूबसूरत प्रेरणा स्थल में भीड़ क्यों नहीं है? ये प्रश्न लेकर, बाहर आकर मैं उसी रास्ते से वापिस पैदल चल रहीं हूं। चलते चलते  रजनीगंधा चौक और सबसे पास  सेेक्टर 16 का मैट्रो स्टेशन आ गया। भीड़ न होने का कारण भी मुझे समझ आ गया। कनैक्टिविटी न होना है।  अगर पैदल चल सकें तो  सेक्टर 16 मैट्रो स्टेशन पास है।