Search This Blog

Showing posts with label Noida. Show all posts
Showing posts with label Noida. Show all posts

Tuesday 10 September 2024

लाजवाब भंडारा न कचरा, न जूठन ! नीलम भागी

प्रभा प्रवीण जयरथ परिवार ने लक्ष्मी नारायण मंदिर, ए -2 सेक्टर 26 नोएडा में भंडारे का आयोजन किया। सभी परिचितों को भी आमंत्रण था। मंदिर के विशाल भवन में साप्ताहिक मंगलवार हनुमान चालीसा पाठ में सबने भाग लिया, उसके पश्चात भंडारा वितरण हुआ। ऐसा मैंने पहली बार देखा पर बहुत अच्छा लगा तो आपके साथ शेयर कर रहीं हूं। मंदिर के प्रांगण में सभी लाइन में लगे,  भोजथाल में प्रसाद ले रहे थे। सीनियर सिटीजन के लिए अलग बैठने की व्यवस्था, चाहें  तो आमंत्रित मित्र परिवार के लोग भी अलग बैठने की व्यवस्था में प्रसाद ले सकते थे। मैंने अपना प्रसाद लेकर, बाहर बैठने की बेंच पर बैठकर, भीड़ के साथ प्रसाद खाया। वहां देखकर अच्छा लगा कि कोई भी मुझे झूठा छोड़ता नजर नहीं आया है। कुछ लोगों के पास पॉलिथीन की थैलियां थी, जिसमें वह बार-बार लाकर पुड़िया भर रहे थे।  घर ले जाकर अगर उसे इस्तेमाल करें तो यह भी अच्छा है, बस खाना बर्बाद नहीं होना चाहिए। जब मैं अपनी थाली रखने गई, तो हैरान रह गई। एक महिला वहां खड़ी थी और एक ही डस्टबिन था। इतनी भीड़ में भी वह मैं अभी आधा भरा हुआ, वह भी सिर्फ पेपर ग्लास! सभी सभ्य लोग थे इसलिए जूठन थी ही नहीं। अगर रहती तो महिला डस्टबिन में डालने को कहती।  और एक  महिला थाल साफ करके रखती जा रही थी। अब तक मुझे लगता था कि भंडारे में लगभग 30% खाना बर्बाद होता है और भंडारे के बाद कूड़े का देर लगता है। यह देखकर मेरी सोच बदलने लगी। इसके लिए मंदिर समिति को साधुवाद।






Monday 16 December 2019

बोटेनिक गार्डन ऑफ इण्डिया रिपब्लिक नौएडा Botanic Garden Of India Republic Noida Neelam Bhagi नीलम भागी




पहली बार 12 मई 2018 को सायं 6 बजे यहां एक कार्यक्रम में मैं यहां आई थी। जब तक अंधेरा नहीं हुआ था, तब तक मैं यहां घूमती रही थी क्योंकि यह मेरी मनपसंद जगह जो थी। फिर थक कर प्रोग्राम में बैठ गई। बी.एस.सी. में मेरे पास बॉटनी सब्जैक्ट था। कॉलिज में बॉटनी डिर्पाटमैंट का गार्डन था। उसकी और र्चाट की मदद से हम पढ़ते थे। तब एक ही उद्देश्य होता था कि अच्छी परसेन्टेज लेना। जिसके लिए सलेबस रटते थे और एग्जाम में जाकर उगल आते थे। कार्यक्रम बोटेनिक गार्डन ऑफ इण्डिया रिपब्लिक के बारे में ही था। तभी मैंने सोच लिया था कि मैं कम से कम एक साल बाद यहां आउंगी। यहां आना जरा भी मुश्किल नहीं है। मैट्रो स्टेशन, पब्लिक ट्रांसर्पोट सब एकदम बढ़िया और पास में। सुबह 9से 5 सोमवार से शुक्रवार आप आ सकते हैं। प्रवेश निशुल्क है। तब में और अब में बहुत बदलाव देखकर लगा। यह 160 एकड़ में फैला है। 7500 किस्म की वनस्पतियां हैं। बिल्कुल व्यवस्थित है। इनको दस सेक्शन में बांटा गया है। उसको भी आगे वार्ड में बांटा गया है। जैसे अयूर सेक्शन हैं उसमें भी बॉडी सिस्टम के अनुसार, मसलन पाचन तंत्र, रक्तसंचार, मस्कुलर सिस्टम,चर्मरोग के उपचार की औषधिय वनस्पितियां हैं सभी पौधे सटीक लेबल किए हुए हैं, साथ ही उनके वनस्पतिं नाम भी हैं। भारत का एक बड़ा नक्शा 68 फीट × 61.4 फीट का जिसमें हर राज्य का पौधा है। कैक्टस हाउस, ग्रीन हाउस, ग्लास हाउस, गुलाब वाटिका,चं का पौधा,आर्थिक महत्व के पौधे, जलीय पौधे आदि सब।  यहां आना अपने आपमें में एक अलग सा अनुभव है। क्योंकि इस विशाल बाग में पर्यटन के साथ खुली हवा, ताज़गी में वनस्पतियों को जानना शामिल है। ं




















Thursday 12 December 2019

हर कोई इंटैलीजैंट नहीं होता! राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल और ग्रीन पार्क नौएडा Rashtriye Dalit Prerna Sthal Noida Her Koi Intellegent nahi hota Neelam Bhagi नीलम भागी



हुआ यूं कि मैंने कल, ठान लिया था कि मैं राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल नौएडा देखने जरुर जाउंगी। पहली बार गर्मी के मौसम में हम शाम को गए थे, पार्किंग ढूंढ रहे थे जो वहां नहीं थी तो खोमचे वाले बोले,’’रोड पर र्पाक कर लो, यहां से कभी कोई गाड़ी नहीं उठी। फिर पता चला कि टिकट 11 बजे से शाम 5 बजे तक ही मिलते हैं। वापसी की। मेरे घर से कुल सात किमी. की दूरी है। बस यही सोच कर कि यहाँ तो मैं कभी भी आ जाउंगी। आज कल करते करते इतने दिन लग गए। कल जैसे ही 3 बजे घर से बाहर निकली सामने बस, ये सोच कर चढ़ गई कि आस पास पहुंच कर कोई और सवारी ले लूंगी। मैं सीट से उठ उठ कर बाहर देख रही थी कि कहां उतरुं! कडंक्टर ने मुुझसे पूछा,’’आपको कहां उतरना है?’’मैंने कहा,’’मुझे राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल जाना है, जहां से पास पड़ेगा वहां उतार देना। उन्होंने कहा कि आप तसल्ली से बैठ जाओ। मैं तसल्ली से बैठ गई। बॉटैनिकल गार्डन पर बस रुकी। उसने मुझे कहा कि उतर कर फुटओवर ब्रिज से अंदर जाकर 8 नम्बर बस ले लेना, वो उसके पास जाती है और ड्राइवर से बोलना,’’ बहन मायावती पार्क जाना है, वो मत बोलना जो आपने पहले बोला था| मैंने पूछा,"राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल|"उन्होंने  कहा," हाँ हाँ यही|" फिर समझाया  ,ऐसे कहना कि बहन मायावती पार्क जाना है, ये बोलने के साथ राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल भी बोल देना क्यूंकि हर कोई इंटैलीजैंट नहीं होता न।"उनको धन्यवाद देकर मैं उतर गई और उनकी बताई बस में चढ़ी, उसमें बच्चों के बड़े और भारी बैग और स्कूली बच्चे लेकर महिलाएं चढ़ीं। कण्डक्टर चिल्लाता रहा,’’ अरे पास ले लो।’’ किसी ने नहीं लिया डीटीसी की यात्रा जो मुफ्त है। मैंने कण्डक्टर से सब महिलाओं के पास लेकर, भीड़ में रास्ता बनाती, उन महिलाओं को पिंक स्लिप यानि पास पकड़ाती, ड्राइवर तक पहुंच कर उसे कहा,’’मुझे बहन मायावती पार्क के पास उतार देना।’’ उसने जवाब दिया,’’पहले बोलना था न, वो कट तो निकल गया।’’मैं स्टैण्ड पर उतरकर वापिस घर चल दी। इस बस के कण्डक्टर के बराबर मुझे सीट मिली। मैने उसे अपना सेक्टर बता कर वहां से "राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल, बहन मायावती पार्क"   का रास्ता पूछा,’’ उसने बस का नम्बर बता कर कहा कि फ्लाइओवर से पहले उतर कर ई रिक्शा ले लेना।’’ आज मैंने वैसा ही किया बस से उतरी कोई ई रिक्शा नहीं था। एक साइकिल रिक्शा दिखा। मैंने उसे चलने को कहा,’’उसने छूटते ही कहा कि बीस रुपये लूंगा। फुट ओवर ब्रिज पर उतार दूंगा, वहीं पार्क है पर टिकट पांच नम्बर गेट पर मिलती है। और उसने पूछा," क्या आज वहां कुछ है!" मैं बोली,’नहीं।’’ पास में ही ब्रिज था| उपर से ही पार्क बहुत ही सुन्दर लग रहा था। साफ फुटपाथ पर लाइन से छाया दार पेड़ लगे थे।


15रु की टिकट लेकर मैं अंदर गई। बिल्कुल साफ सुथरे फर्श, बहुत अच्छे से मेनटेन पार्क हैं। मैं देख रही थी, दर्शकों के साथ कर्मचारियों का व्यवहार बहुत अच्छा लगा।


 जो भी पूछो जवाब देते थे। विनोद कुमार बड़ी विनम्रता से दर्शकों को कहते कि वे म्यूजियम के अन्दर न जायें क्योंकि वहां रिपेयर चल रही है। सब सीढ़ियां चढ़ कर सामने से बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी, काशीराम जी और बहन मायावती जी की मूर्ति के साथ दूर से सेल्फी ले रहे थे।



 अभय सिंह से मैं प्रश्न करती जा रही थी, वे मेरे सभी प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। कुछ परिवार पिकनिक मनाने आये हुए थे। मैंने अभय सिंह से पूछा,’’  लोग गंदगी तो नहीं फैलाते।
उन्होंनेे जगह जगह रखे डस्टबिन दिखाये। 33 एकड़ में बना पार्क है। थक गई तो देखा, बैठने के लिए बहुत सुन्दर शेड बने हुए थे। 
बिना शेड के  भी आरामदायक बैंच लगे थे। एक आदमी बैग का तकिया बना कर शॉल ओड़ कर धूप में सो रहा था। प्लेटर्फाम पर 2 घंटे का टिकट 10 रुपये का है।

 यहाँ 15 रुपये में शांत, स्वच्छ हरे भरे स्थान में आप सपरिवार दिन भर समय बिता सकते हैं। अगर आप ने 5बजे तक टिकट ले ली तो भी आप 6 बजे तक घूम सकते हैं। सातों दिन आ सकते हैं।


 एक प्रश्न मेरे दिमाग में बार बार उठ रहा था कि इतनी खूबसूरत प्रेरणा स्थल में भीड़ क्यों नहीं है? ये प्रश्न लेकर, बाहर आकर मैं उसी रास्ते से वापिस पैदल चल रहीं हूं। चलते चलते  रजनीगंधा चौक और सबसे पास  सेेक्टर 16 का मैट्रो स्टेशन आ गया। भीड़ न होने का कारण भी मुझे समझ आ गया। कनैक्टिविटी न होना है।  अगर पैदल चल सकें तो  सेक्टर 16 मैट्रो स्टेशन पास है।