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Saturday, 6 November 2021

स्थानीश्वर महादेव मंदिर,कालेश्वर महादेव मंदिर, शेख चिल्ली का मकबरा कुरुक्षेत्र 56वीं विशाल वैष्णों देवी यात्रा 2021 भाग 29 Vaishno Devi pilgrimage 2021 Neelam Bhagi



 कहा जाता है कि महाभारत युद्ध से पहले भगवान कृष्ण पाण्डवों के साथ यहां आये थे और उन्होंने पाण्डवों सहित स्थाणु का पूजन किया था। कहते हैं कि इस सरोवर में स्नान करने से महाराजा वेन का कुष्ठ दूर हो गया था। कुरुक्षेत्र की यात्रा करने के लिए गया यात्री यदि स्थाणु शिव के दर्शन करने से वंचित रह जाता है तो उसकी कुरुक्षेत्र यात्रा निश्फल हो जाती है। क्योंकि इस भूमि के अधिपति भगवान स्थाणु ही हैं। सत्संग भवन में समय समय पर सत्संग का आयोजन होता है। चैत्र में भगवती जागरण तथा कार्तिक मास में कथा होती है। श्रावण मास के सोमवार को भगवान शंकर की पालकी जलूस के रूप में शहर में लाई जाती है। यहां प्रत्येक शिवरात्री को बड़ा भारी मेला लगता है। श्रद्धालु स्थाणु तीर्थ में स्नान करना अपना सौभाग्य समझते हैं। सरोवर में स्त्रियों के लिए अलग से घाट बनाया गया है। इसके तट पर ही भगवान स्थाणीश्वर का मंदिर है।


रात भर जागरण होता है। पुराणों में विस्तारपूर्वक स्थाणु शिव तथा इस पवित्र सरोवर की महिमा का वर्णन किया गया है।

अकामो व सकामों व प्रविष्ट स्थाणुमन्दिरम्।

विमुक्तः पातकै धोरैः प्राप्नोति परमंपदम्।।

सकाम अथवा निष्काम भाव से स्थाणु मंदिर में प्रवेश करने वाला मनुष्य पातकों से विमुक्त होकर परमपद प्राप्त करता है। स्त्री या पुरूष द्वारा ज्ञान अथवा अज्ञानवश किए गए समस्त पाप यहां के दर्शन से नष्ट हो जाते हैं।



मंदिर की सफाई उत्तम है। ज्यादा नहीं रूक सकती थी। जितनी देर भी यहां रही अलग सा महसूस हुआ। शनिमंदिर और बाला जी मंदिर के दर्शन करके बाहर आती हूं।

कालेश्वर महादेव मंदिर


वैसे तो यह तीर्थ स्थाणेश्वर मंदिर जाते समय बाईं ओर पड़ता है। पर यहां हमने स्थाणेश्वर से लौटते समय दर्शन किए। यह प्राचीन शिव मंदिर है। जिसके पूर्वी तट पर पक्का घाट है। यहां माघ महिने में स्नान करने का विशेष महत्व है। कहा जाता है लंकेश्वर रावण ने भी यहां भगवान रुद्र की प्रतिष्ठा की थी।

शेख चिल्ली का मकबरा

 



थानेश्वर के उत्तर पश्चिम कोने  में यह मकबरा है जो भारत सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा सुरक्षित इमारतों में से है। शाहजहां जब लाहौर से दिल्ली आते हुए थानेसर फौज के साथ रुके तो कुतुबसाहब ने एक प्याला जल और आधी रोटी से सारी मुगल सेना को भोजन करवाया। शाहजहां इससे प्रभावित हुए और उन्होंने यह मकबरा कुतुबसाहिब के लिए बनवाया। शेखचिल्ली की इसी मकबरे में समाधि है। क्रमशः