Search This Blog

Showing posts with label #world Cycle Day. Show all posts
Showing posts with label #world Cycle Day. Show all posts

Sunday, 1 June 2025

जून के उत्सव मानसून का स्वागत भी करवाते हैं!

     


हमारे देश में साल का छठा सबसे गर्म महीना जून है। भारत में मेलों, उत्सवों और महापुरुषों के कारण जून बहुत मुख्य है। इन सभी उत्सवों, व्रत और विशेष दिनों को मनाते हुए, हमें प्रयास करना चाहिए कि सामाजिक चेतना भी आए। 

जून के पहले सप्ताह में शिमला समर फैस्टिवल मनाया जाता है। इस प्रसिद्ध त्यौहार में खेलकूद की गतिविधियां, फैशनेबल कपड़ों, हैंिडक्राफ्ट वस्तुओं और व्यंजनों, फूलों की, कुत्तों की प्रदर्शनी लगती है। हवा में कलाबाजियां और लाइव फैशन शो का प्रदर्शन होता है। ज्येष्ठ के महीने में पड़ने वाले सभी मंगल को बड़का मंगल, बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश मुख्य रूप से कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, उन्नाव, सीतापुर, बाराबंकी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, रायबरेली एवं प्रयागराज जिलों में बुढ़वा मंगल धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन संकटमोचन हनुमान जी तथा बालाजी मंदिर में सुन्दरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ कर, चोला चढ़ाया जाता है। हनुमान भक्त जगह जगह भंडारे, लस्सी, ठंडाई एवं प्याऊ की व्यवस्था करते हैं।

   गंगा दशहरा का पर्व हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन राजा भागीरथ के कठोर तपस्या के चलते मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। दशहरा का अर्थ 10 मनोविकारों के विनाश से है। क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी है। हिंदू धर्म में गंगा दशहरा पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। इस दिन गंगा जी में स्नान करना अपना सौभाग्य समझा जाता हैं। जहां पर जो भी नदी होती है, श्रद्धालू उसकी पूजा अर्चना कर लेते हैं क्योंकि नदियां हमारी संस्कृति की पोषक हैं। 3 जून को गंगा जी में स्नान करके गंगा जी के मंदिर में पूजा और दान करते हैं। 10 दिनों तक मनाये जाने वाले इस उत्सव के समापन के दिन को शुक्ल दशमी कहा जाता है।

दतिया मध्य प्रदेश पीताम्बरा पीठ में एक र्बोड पर लिखा था सौभाग्यवती महिलाएं माँ धूमावती का दर्शन न करें। धूमावती माँ को शक्तिरुपा देवी के रुप में पूजा जाता है। मैंने देवियों के दर्शन में उन्हें श्रृंगार में और सजी हुई और अति सुन्दर पोशाक में देखा है। पर यह देवी! श्रृंगारविहीन, मैली सी सफेद साड़ी, बिखरे खुले घने बाल और कौवा उनकी सवारी है। ऐसा पूछने पर पता चला कि माता विधवा का रुप है। जिन्हें तंत्र में विश्वास होता हैै वे देवी धूमावती में विशेष आस्था रखते हैं। आम लोगों के लिए इनके दर्शन शनिवार को ही होते हैं और उस दिन शनिवार ही था। बहुत लंबी लाइन में लग कर मैंने दर्शन किए। धूमावती जयंती 3 जून को है उस दिन की भीड़ न जाने कितनी होगी!

    3 जून को इकोफैंडली साइकिल दिवस है। अच्छे स्वास्थ्य और अपने हिस्से का वायु प्रदूषण कम करने के लिए हमें पेड़ पौधे लगाने होंगे और आसपास के काम के लिए साइकिल को अपनाना होगा।


पर्यावरण दिवस 5 जून, इस वर्ष 2025 का थीम है ‘‘प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करें‘‘ हमें पर्यावरण में सुधार करना होगा जिससे हम स्वस्थ रहेंगे और अपने उत्सवों का आनन्द उठायेंगे। 

 हिंदू धर्म में 24 एकादशियों का बहुत महत्व है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी(6 जून) कहते हैं। इसकी कथा में हिंदू धर्म की बहुत बड़ी विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता है, सबके योग्य नियमों की लचीली व्यवस्था भी करता है। महर्षि वेदव्यास ने पाडंवों को एकादशी व्रत का संकल्प कराया तो भीम ने कहा,’’पितामह इसमें  प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात कही है। पर मैं तो एक समय भी भोजन के बगैर नहीं रह सकता। मेरे पेट में ’वृक’ नाम की जो अग्नि है उसे शांत रखने के लिए मुझे कई लोगों के बराबर और कई बार भोजन करना पड़ता है। क्या अपनी उस भूख के कारण मैं एकादशी जैसे पुण्य व्रत से वंचित रह जाऊंगा?’’ यह सुनते ही महर्षि ने भीम का मनोबल बढ़ाते हुए कहा,’’आप ज्येष्ठ मास की निर्जला नाम की एकादशी का व्रत करो। तुम्हें वर्ष भर की एकादशियों का फल मिलेगा।’’ इस एकादशी पर ठंडे र्शबत की जगह जगह छबीलें लगाई जातीं हैं। जिसे पीकर भीषण गर्मी में राहगीरों को बड़ी राहत मिलती है। स्वयं निर्जल रह कर जरुरतमंद या ब्राह्मणों को दान दिया जाता है।

गायत्री जयंती(7 जून) देवी गायत्री को सभी देवताओं की माता समस्त वेदों की देवी होने के कारण देवी गायत्री को वेद माता भी कहा जाता है और सरस्वती, पार्वती और लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। अधिकांश लोग दक्षिण भारत में, श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को गायत्री जयंती मनाते हैं। वैसे गंगा दशहरा के अगले दिन मनाई जाती है। 

पनिहाटी में प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल की त्रयोदशी 9 जून को दही चूड़ा का विशेष भोज होता है। इस 500 साल से चलने वाले ’दंड महोत्सव’ का विशेष विधान है। जो ’दही चूड़ा महोत्सव’ कहलाता है। पश्चिम बंगाल में कलकत्ता से 10 किमी. दूर पनिहाटी गाँव गंगा तट पर है। सोलहवीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु संर्कीतन का यह प्रमुख केन्द्र बन गया। प्रभु भक्त रघुनाथ दास, प्रभु नित्यानंद के दर्शनों के लिए पानीहाटी गए। जहाँ प्रभु गंगा के तट पर बरगद के नीचे अपने शिष्यों से घिरे बैठे थे। रघुनाथ झिझक के मारे पेड़ के पीछे छिप कर उनके दर्शन कर रहे थे। प्रभु नित्यानंद ने उन्हें देख कर कहा,’’रघुनाथ दास! तुम चोर की तरह छिपे हो! और मैंने तुम्हें पकड़ लिया। यहाँ आओ मैं तुम्हें दण्ड दूंगा। और दण्ड स्वरूप बड़ा उत्सव कर‘‘। भक्तों को दहीं चावल परोसने का आदेश दिया। अब चिलचिलाती गर्मी में सेठ ने बड़ी खुशी से उसमें फल मेवे मिलाकर लाजवाब प्रसाद बनाया। इस अद्भुत दण्ड की याद में यह उत्सव मनाया जाता है। संकीर्तन के कार्यक्रम के साथ इस महोत्सव का समापन होगा।  इस वर्ष यह महोत्सव 9 से 13 जून तक चलेगा। 9 जून को ’दंड महोत्सव’ का विशेष विधान है। जो ’दही चूड़ा महोत्सव’ कहलाता है। इसमें अन्य संप्रदाय के अनुयायी भी शामिल होते हैं। 13 को संकीर्तन के कार्यक्रम के साथ इस महोत्सव का समापन होगा। बैंगलोर एस्कोन में भी इस उत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालू भाग लेते हैं। 

15वीं शताब्दी के प्रसिद्ध समाज सुधारक, कवि, संत का जन्म ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा(11 जून) को हुआ था। जिसे कबीर प्रकाश दिवस के रुप में मनाया जाता है। कबीर अंधविश्वास और अंधश्रद्धा के प्रथम विद्रोही संत हैं। जगह जगह होने वाले कार्यक्रमों में इनके दोहे गाए जाते हैं। सागा दावा सिक्किम के सबसे बड़े त्यौहार में से एक है। यह धार्मिक त्यौहार सिक्किम की संस्कृति को प्रस्तुत करता है। महात्मा बुद्ध के जन्म, ज्ञान और निर्वाण की प्राप्ति को दर्शाता यह पर्व है। माना जाता है कि इस दिन बुद्ध का जन्म हुआ था, उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया और निर्वाण प्राप्त किया था। उनके इस सफ़र को दर्शाता यह उत्सव है। सागा दावा तिब्बत का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है। 11 जून को इस उत्सव के दर्शक बनने के लिए टूर पैकेज़ भी तैयार किए जाते हैं। 

ओचिरा कलि मंदिर से जुड़ा केरल का एक वार्षिक उत्सव है। केरल के कोल्लम जिले में स्थित है। यह प्राचीन मंदिरों और अनूठी अध्यात्मिक परंपराओं के कारण महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है। जो पुराने समय में हुई एक लड़ाई की याद में लोग मनाते हैं। जिसमें दो समूह कायाकुलम और अलाप्पुझा के बीच लड़ाई हुई थी। मलयालम में कलि का अर्थ खेल होता है। ओचिरा कलि में पुरुष और लड़के पानी से भरे धान के खेत में नकली लडा़ई करते हैं। संगीतमय यह लड़ाई प्रतिभागियों के शारीरिक कौशल का प्रदर्शन है। 15, 16 जून को इसका आनन्द उठाने के लिए पर्यटक पहुंचते हैं। यहां कि अनोखी रस्म है बैलों की पूजा क्योंकि शिव का वाहन नंदी बैल है। मंदिर  बैकवाटर और खूबसूरत परिदृश्यों से घिरा है। 

ओडिशा में राजा संक्रांति समारोह मानसून के शुरुआत का तीन दिवसीय उत्सव है। इसे स्विंग फेस्टिवल’ भी कहते हैं, जगह जगह पेड़ों पर झूले जो पड़ जाते हैं। त्यौहार के दौरान लोग पृथ्वी पर नंगे पांव भी नहीं चलते। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मानसून की बारिश से पहले पृथ्वी को आराम दिया जाना चाहिए। महिलाएं घर के काम से छुट्टी लेतीं हैं और किसान खेती से। सब खेलों में व्यस्त रहते हैं। लड़कियां पारंपरिक पोशाक पहनतीं हैं और पैरों में आलता लगातीं हैं। दूसरे दिन को ’’सजबजा’’ कहते हैं। इसमें सिलबट्टे को सजा कर रखते हैं। हिंदू देवी धरती के प्रतीक सिल को हल्दी का लेप लगा कर महिलाओं द्वारा स्नान कराया जाता है। धरती मां को फलों का भोग लगाया जाता है। बारिश का स्वागत करने के लिए सब एक साथ आते हैं। समापन 15 जून को, धरती मां के आर्शीवाद स्वरुप अच्छी पैदावार होगा।


  जनिता चोपनेता च, यस्तु विद्यां प्रयच्छति।

अन्नदाता भयत्राता, पंचैते पितरः स्मृताः।।

फादर डे मनाने से पहले भी हमारे पुराण में इन पाँच को पिता के लिए कहा जाता था जन्मदाता, उपनयन करने वाला, विद्या देने वाला, अन्नदाता और भयत्राता। 

न तो धर्मचरणं किंचिदस्ति महत्तरम्।

यथा पितरि शुश्रूषा तस्य वा वचनक्रिया।।

पिता की सेवा अथवा उनकी आज्ञा का पालन करने से बढ़कर कोई धर्माचरण नहीं है। वाल्मीकि रामायण

आजकल बच्चे जॉब के सिलसिले में घरों से दूर हैं। पिता ज़हन में तो रहते हैं। 

साल में एक दिन जून के तीसरे रविवार 15 जून को फादर डे मनाने से वे सम्मान से उनके लिए अपनी भावनाएं प्रदर्शित कर, उनका दिन विशेष कर देते हैं।    

आंबुची मेला यह तीन दिन तक चलने वाला मेला गोहाटी में मनाया जाता है। तीन दिन कामाख्या मंदिर बंद रहता है। तीन दिनों बाद, चौथे दिन देवी की प्रतिमा को नहलाया जाता है और भक्त मां के दर्शन के लिए आ सकते हैं। 22 से 26 जून को यह मानसून वार्षिक मेला लगेगा।

आम महोत्सव दिल्ली में 1 जून और उ.प्र. में 22 जून को आयोजित किया जा रहा है। यह दुनिया भर से फल को बढ़ावा देता है। इस आयोजन में विभिन्न राज्यों से लगभग आम की 11 सौ किस्में प्रदर्शित की जायेंगी। मनोरंजक कार्यक्रम, प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। आम खाने की प्रतियोगिताएं, प्रश्नोत्तरी, नारे लिखना और बहुत कुछ। 

    जून पूर्णिमा के दिन जम्मू और कश्मीर के लेह में सिंधु दर्शन महोत्सव का तीन दिन 23 से 27 जून तक आयोजन किया है। जिसमें बड़ी संख्या में विदेशी और घरेलू पर्यटक आते हैं। सिंधु दर्शन समारोह के आयोजन का मुख्य कारण सिंधु नदी को भारत के सांप्रदायिक सद्भाव और एकता के प्रतीक के रुप में समर्थन करना है। सिंधु दर्शन लेह के मुख्य शहर से 8 किमी. दूर स्थित शीला मनला में मनाया जाता है। यहां लगभग 50 वरिष्ठ लामा प्रार्थनाओं को अनुष्ठान के रुप में करते हैं। देश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला भी प्रस्तुत की जाती है।

  गोवा में साओ जोआओ 24 जून को मानसून आगमन के साथ ही, इस मानसून उत्सव को खास तौर पर मछुआरा समूह मनाते हैं। नाच गाना और तरह तरह के रंगारंग कार्यक्रमों द्वारा आपस में मनोरंजन करते हैं। ये उत्सव यहां का खास आर्कषण है। 

रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व होते हुए भी, रथोत्सव पर्व भारत में लगभग सभी नगरों में श्रद्धा और प्रेम के साथ मनाया जाता है। जो श्रद्धालू पुरी नहीं जा पाते वे अपने शहर की रथ यात्रा में जरुर शामिल होते हैं। आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन भगवान जगन्नाथ की यात्रा प्रारंभ होती है। इस वर्ष 27 जून को है। रथ यात्रा ये एक ऐसा पर्व है जिसमें भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों के बीच में आते हैं। भगवान जगन्नाथ की यात्रा में भगवान श्री कृष्ण, माता सुभद्रा और बलराम की पुष्य नक्षत्र में रथ यात्रा निकाली जाती है। रथयात्रा माता सुभद्रा के भ्रमण की इच्छा पूर्ण करने के उद्देश्य से श्रीकृष्ण और बलराम ने अलग रथों में बैठ कर करवाई थी। सुभद्रा जी की नगर भ्रमण की याद में यह रथयात्रा पुरी में हर वर्ष होती है। 

   जून की भीषण गर्मी में हमारे उत्सव हमें यात्रा, संगीत, स्वास्थ और पर्यावरण का महत्व समझाते हुए हमसे मानसून का स्वागत भी करवाते हैं। 





यह लेख  प्रेरणा शोध संस्थान नोएडा से प्रकाशित प्रेरणा विचार पत्रिका के जून अंक में प्रकाशित हुआ है

नीलम भागी( लेखिका, जर्नलिस्ट, ब्लॉगर, ट्रैवलर)


    


Monday, 27 July 2020

लॉक लगी इको फ्रैंडली साइकिल की भला कैसे चोरी!! नीलम भागी Lock lagi Ecofriendly Cycle ke chori Neelam Bhagi

विश्व साइकिल दिवस पर आप सबको हार्दिक शुभकामनाएं।
 अच्छे स्वास्थ्य के लिए इको फ्रेंडली साइकिल चलाएं।
कैलोरी बर्न करने का सबसे आसान और अच्छा उपाय साइकिल चलाना है। मोनू ने जिम में स्टेशनरी साइकिल चलाने की बजाय, स्टाइलिश साइकिल खरीदी। जिस पर वह जिम जाता और एक घण्टा घूमता और आस पास के काम कर आता। साथ ही सबको नसीहत देता कि ’फैट बर्न करो न की फ्यूल’ एक दिन वह  सड़क के किनारे साइकिल खड़ी करके, पेड़ के तने पर लघुशंका(सूसू) करने लगा। फारिग होकर जैसे ही मुड़ा, साइकिल गायब थी। इस घटना से उसका मजाक और बना।
शर्मा जी ने नई साइकिल लाकर, खड़ी की। एक कबाड़ी आया । उसने साइकिल उठाई, ठेले पर डाली और चल दिया। शाम 4 बजे का समय था। बच्चे पार्क में खेल रहे थे, उन्होंने भी साइकिल लादते देखा। जिसने भी साइकिल ठेले पर डालते देखा या ठेले पर साइकिल लदे, अपने पास से गुजरते देखा। उसने यही समझा कि साइकिल का लॉक लग गया होगा, चाबी खो गई होगी, इसलिये ठेले पर लेकर मकैनिक के पास जा रहे होंगे। देखने वालों ने यह नहीं सोचा कि साथ में कोई नहीं है।
   गोलू कबाडी पढ़ता है और दुकानों से गत्ता खरीदता है। एक दिन वह गत्ता खरीद कर पलटा। एक लड़का उसकी साइकिल लेकर भाग रहा था। गोलू गत्ता छोड़, मेरी साइकिल-मेरी साइकिल चिल्लाता, उसके पीछे-पीछे दौड़ने लगा। आगे-आगे चोरी की साइकिल पर, साइकिल चोर, पीछे भागता गोलू। एक युवा बाइक पर जा रहा था। उसने ये देखकर बाइक से मामूली सी टक्कर, साइकिल पर मारी। साइकिल चोर गिर गया और वह साइकिल छोड़ कर, भाग गया। गोलू खुशी-खुशी अपनी साइकिल ले आया क्योंकि उसका रोजगार साइकिल से चलता है।
  दिनेश मकैनिक किसी का काम देने कोठी में गया और सामान पकड़ा कर तुरंत बाहर आया। लॉक लगी, साइकिल गायब।
युवक युवतियाँ आजकल अपनी व्यस्त दिनचर्या से एक घण्टे का समय साइकिल चलाने के लिये निकाल लेते हैं। जिसमें व्यायाम और छोटे-छोटे आस पास के काम भी निपटा लेते हैं। उनके इस सराहनीय काम से पॉल्यूशन नहीं फैलता। पर जब  लॉक लगी साइकिल उठ जाती है, तो वे बहुत दुखी होते हैं।
   साइकिल उठने की घटनाएँ सुन-सुन कर, साइकिल चुराने की कुछ पद्धतियाँ सामने आयी हैं। जैसे लॉक लगी साइकिल के पास अखबार ध्यान से देखता, साइकिल चोर। कुछ समय बाद वह साइकल की गद्दी पर अखबार फैला कर पढ़ने लगता है। जब कोई उसे नहीं टोकता तो वह ताला खोलने लगता है। यदि ताला खुल गया तो ये जा, वो जा। 


   बच्चा जब चलना शुरु करता है, साथ ही, शुरुआत वह साइकिल चलाने से करता है। जैसे-जैसे बढ़ता जाता है। नई-नई साइकिल बदलता रहता है। अपनी पसन्द की साइकल उठने पर वह दुखी होता है। लापरवाही पर डाँट भी पड़ती है, पर उसने तो ताला लगाया होता है। फिर भी साइकल गायब!

 पर कुछ दिन बाद नसीहत के साथ नई साइकिल मिल जाती है। बच्चा भी साइकिल भगवान के सामने रख कर प्रार्थना करता है कि अब साइकिल न चोरी हो|
   साइकिल बचाने का सिर्फ एक ही उपाय है चैन और लॉक के साथ किसी चीज के साथ साइकिल को ताला लगाना। हमें भी चाहिये की जब साइकिल रिक्शा या तीन पहिये के ढेले पर लॉक लगी, साइकिल लदी देखें तो पूछताछ शुरु कर दे। शायद कुछ साइकिल उठने से बच जाये।