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Sunday, 1 June 2025

जून के उत्सव मानसून का स्वागत भी करवाते हैं!

     


हमारे देश में साल का छठा सबसे गर्म महीना जून है। भारत में मेलों, उत्सवों और महापुरुषों के कारण जून बहुत मुख्य है। इन सभी उत्सवों, व्रत और विशेष दिनों को मनाते हुए, हमें प्रयास करना चाहिए कि सामाजिक चेतना भी आए। 

जून के पहले सप्ताह में शिमला समर फैस्टिवल मनाया जाता है। इस प्रसिद्ध त्यौहार में खेलकूद की गतिविधियां, फैशनेबल कपड़ों, हैंिडक्राफ्ट वस्तुओं और व्यंजनों, फूलों की, कुत्तों की प्रदर्शनी लगती है। हवा में कलाबाजियां और लाइव फैशन शो का प्रदर्शन होता है। ज्येष्ठ के महीने में पड़ने वाले सभी मंगल को बड़का मंगल, बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश मुख्य रूप से कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, उन्नाव, सीतापुर, बाराबंकी, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, रायबरेली एवं प्रयागराज जिलों में बुढ़वा मंगल धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन संकटमोचन हनुमान जी तथा बालाजी मंदिर में सुन्दरकांड, हनुमान चालीसा का पाठ कर, चोला चढ़ाया जाता है। हनुमान भक्त जगह जगह भंडारे, लस्सी, ठंडाई एवं प्याऊ की व्यवस्था करते हैं।

   गंगा दशहरा का पर्व हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन राजा भागीरथ के कठोर तपस्या के चलते मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। दशहरा का अर्थ 10 मनोविकारों के विनाश से है। क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी है। हिंदू धर्म में गंगा दशहरा पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। इस दिन गंगा जी में स्नान करना अपना सौभाग्य समझा जाता हैं। जहां पर जो भी नदी होती है, श्रद्धालू उसकी पूजा अर्चना कर लेते हैं क्योंकि नदियां हमारी संस्कृति की पोषक हैं। 3 जून को गंगा जी में स्नान करके गंगा जी के मंदिर में पूजा और दान करते हैं। 10 दिनों तक मनाये जाने वाले इस उत्सव के समापन के दिन को शुक्ल दशमी कहा जाता है।

दतिया मध्य प्रदेश पीताम्बरा पीठ में एक र्बोड पर लिखा था सौभाग्यवती महिलाएं माँ धूमावती का दर्शन न करें। धूमावती माँ को शक्तिरुपा देवी के रुप में पूजा जाता है। मैंने देवियों के दर्शन में उन्हें श्रृंगार में और सजी हुई और अति सुन्दर पोशाक में देखा है। पर यह देवी! श्रृंगारविहीन, मैली सी सफेद साड़ी, बिखरे खुले घने बाल और कौवा उनकी सवारी है। ऐसा पूछने पर पता चला कि माता विधवा का रुप है। जिन्हें तंत्र में विश्वास होता हैै वे देवी धूमावती में विशेष आस्था रखते हैं। आम लोगों के लिए इनके दर्शन शनिवार को ही होते हैं और उस दिन शनिवार ही था। बहुत लंबी लाइन में लग कर मैंने दर्शन किए। धूमावती जयंती 3 जून को है उस दिन की भीड़ न जाने कितनी होगी!

    3 जून को इकोफैंडली साइकिल दिवस है। अच्छे स्वास्थ्य और अपने हिस्से का वायु प्रदूषण कम करने के लिए हमें पेड़ पौधे लगाने होंगे और आसपास के काम के लिए साइकिल को अपनाना होगा।


पर्यावरण दिवस 5 जून, इस वर्ष 2025 का थीम है ‘‘प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करें‘‘ हमें पर्यावरण में सुधार करना होगा जिससे हम स्वस्थ रहेंगे और अपने उत्सवों का आनन्द उठायेंगे। 

 हिंदू धर्म में 24 एकादशियों का बहुत महत्व है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी(6 जून) कहते हैं। इसकी कथा में हिंदू धर्म की बहुत बड़ी विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता है, सबके योग्य नियमों की लचीली व्यवस्था भी करता है। महर्षि वेदव्यास ने पाडंवों को एकादशी व्रत का संकल्प कराया तो भीम ने कहा,’’पितामह इसमें  प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात कही है। पर मैं तो एक समय भी भोजन के बगैर नहीं रह सकता। मेरे पेट में ’वृक’ नाम की जो अग्नि है उसे शांत रखने के लिए मुझे कई लोगों के बराबर और कई बार भोजन करना पड़ता है। क्या अपनी उस भूख के कारण मैं एकादशी जैसे पुण्य व्रत से वंचित रह जाऊंगा?’’ यह सुनते ही महर्षि ने भीम का मनोबल बढ़ाते हुए कहा,’’आप ज्येष्ठ मास की निर्जला नाम की एकादशी का व्रत करो। तुम्हें वर्ष भर की एकादशियों का फल मिलेगा।’’ इस एकादशी पर ठंडे र्शबत की जगह जगह छबीलें लगाई जातीं हैं। जिसे पीकर भीषण गर्मी में राहगीरों को बड़ी राहत मिलती है। स्वयं निर्जल रह कर जरुरतमंद या ब्राह्मणों को दान दिया जाता है।

गायत्री जयंती(7 जून) देवी गायत्री को सभी देवताओं की माता समस्त वेदों की देवी होने के कारण देवी गायत्री को वेद माता भी कहा जाता है और सरस्वती, पार्वती और लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। अधिकांश लोग दक्षिण भारत में, श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को गायत्री जयंती मनाते हैं। वैसे गंगा दशहरा के अगले दिन मनाई जाती है। 

पनिहाटी में प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल की त्रयोदशी 9 जून को दही चूड़ा का विशेष भोज होता है। इस 500 साल से चलने वाले ’दंड महोत्सव’ का विशेष विधान है। जो ’दही चूड़ा महोत्सव’ कहलाता है। पश्चिम बंगाल में कलकत्ता से 10 किमी. दूर पनिहाटी गाँव गंगा तट पर है। सोलहवीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु संर्कीतन का यह प्रमुख केन्द्र बन गया। प्रभु भक्त रघुनाथ दास, प्रभु नित्यानंद के दर्शनों के लिए पानीहाटी गए। जहाँ प्रभु गंगा के तट पर बरगद के नीचे अपने शिष्यों से घिरे बैठे थे। रघुनाथ झिझक के मारे पेड़ के पीछे छिप कर उनके दर्शन कर रहे थे। प्रभु नित्यानंद ने उन्हें देख कर कहा,’’रघुनाथ दास! तुम चोर की तरह छिपे हो! और मैंने तुम्हें पकड़ लिया। यहाँ आओ मैं तुम्हें दण्ड दूंगा। और दण्ड स्वरूप बड़ा उत्सव कर‘‘। भक्तों को दहीं चावल परोसने का आदेश दिया। अब चिलचिलाती गर्मी में सेठ ने बड़ी खुशी से उसमें फल मेवे मिलाकर लाजवाब प्रसाद बनाया। इस अद्भुत दण्ड की याद में यह उत्सव मनाया जाता है। संकीर्तन के कार्यक्रम के साथ इस महोत्सव का समापन होगा।  इस वर्ष यह महोत्सव 9 से 13 जून तक चलेगा। 9 जून को ’दंड महोत्सव’ का विशेष विधान है। जो ’दही चूड़ा महोत्सव’ कहलाता है। इसमें अन्य संप्रदाय के अनुयायी भी शामिल होते हैं। 13 को संकीर्तन के कार्यक्रम के साथ इस महोत्सव का समापन होगा। बैंगलोर एस्कोन में भी इस उत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालू भाग लेते हैं। 

15वीं शताब्दी के प्रसिद्ध समाज सुधारक, कवि, संत का जन्म ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा(11 जून) को हुआ था। जिसे कबीर प्रकाश दिवस के रुप में मनाया जाता है। कबीर अंधविश्वास और अंधश्रद्धा के प्रथम विद्रोही संत हैं। जगह जगह होने वाले कार्यक्रमों में इनके दोहे गाए जाते हैं। सागा दावा सिक्किम के सबसे बड़े त्यौहार में से एक है। यह धार्मिक त्यौहार सिक्किम की संस्कृति को प्रस्तुत करता है। महात्मा बुद्ध के जन्म, ज्ञान और निर्वाण की प्राप्ति को दर्शाता यह पर्व है। माना जाता है कि इस दिन बुद्ध का जन्म हुआ था, उन्होंने ज्ञान प्राप्त किया और निर्वाण प्राप्त किया था। उनके इस सफ़र को दर्शाता यह उत्सव है। सागा दावा तिब्बत का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है। 11 जून को इस उत्सव के दर्शक बनने के लिए टूर पैकेज़ भी तैयार किए जाते हैं। 

ओचिरा कलि मंदिर से जुड़ा केरल का एक वार्षिक उत्सव है। केरल के कोल्लम जिले में स्थित है। यह प्राचीन मंदिरों और अनूठी अध्यात्मिक परंपराओं के कारण महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखता है। जो पुराने समय में हुई एक लड़ाई की याद में लोग मनाते हैं। जिसमें दो समूह कायाकुलम और अलाप्पुझा के बीच लड़ाई हुई थी। मलयालम में कलि का अर्थ खेल होता है। ओचिरा कलि में पुरुष और लड़के पानी से भरे धान के खेत में नकली लडा़ई करते हैं। संगीतमय यह लड़ाई प्रतिभागियों के शारीरिक कौशल का प्रदर्शन है। 15, 16 जून को इसका आनन्द उठाने के लिए पर्यटक पहुंचते हैं। यहां कि अनोखी रस्म है बैलों की पूजा क्योंकि शिव का वाहन नंदी बैल है। मंदिर  बैकवाटर और खूबसूरत परिदृश्यों से घिरा है। 

ओडिशा में राजा संक्रांति समारोह मानसून के शुरुआत का तीन दिवसीय उत्सव है। इसे स्विंग फेस्टिवल’ भी कहते हैं, जगह जगह पेड़ों पर झूले जो पड़ जाते हैं। त्यौहार के दौरान लोग पृथ्वी पर नंगे पांव भी नहीं चलते। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मानसून की बारिश से पहले पृथ्वी को आराम दिया जाना चाहिए। महिलाएं घर के काम से छुट्टी लेतीं हैं और किसान खेती से। सब खेलों में व्यस्त रहते हैं। लड़कियां पारंपरिक पोशाक पहनतीं हैं और पैरों में आलता लगातीं हैं। दूसरे दिन को ’’सजबजा’’ कहते हैं। इसमें सिलबट्टे को सजा कर रखते हैं। हिंदू देवी धरती के प्रतीक सिल को हल्दी का लेप लगा कर महिलाओं द्वारा स्नान कराया जाता है। धरती मां को फलों का भोग लगाया जाता है। बारिश का स्वागत करने के लिए सब एक साथ आते हैं। समापन 15 जून को, धरती मां के आर्शीवाद स्वरुप अच्छी पैदावार होगा।


  जनिता चोपनेता च, यस्तु विद्यां प्रयच्छति।

अन्नदाता भयत्राता, पंचैते पितरः स्मृताः।।

फादर डे मनाने से पहले भी हमारे पुराण में इन पाँच को पिता के लिए कहा जाता था जन्मदाता, उपनयन करने वाला, विद्या देने वाला, अन्नदाता और भयत्राता। 

न तो धर्मचरणं किंचिदस्ति महत्तरम्।

यथा पितरि शुश्रूषा तस्य वा वचनक्रिया।।

पिता की सेवा अथवा उनकी आज्ञा का पालन करने से बढ़कर कोई धर्माचरण नहीं है। वाल्मीकि रामायण

आजकल बच्चे जॉब के सिलसिले में घरों से दूर हैं। पिता ज़हन में तो रहते हैं। 

साल में एक दिन जून के तीसरे रविवार 15 जून को फादर डे मनाने से वे सम्मान से उनके लिए अपनी भावनाएं प्रदर्शित कर, उनका दिन विशेष कर देते हैं।    

आंबुची मेला यह तीन दिन तक चलने वाला मेला गोहाटी में मनाया जाता है। तीन दिन कामाख्या मंदिर बंद रहता है। तीन दिनों बाद, चौथे दिन देवी की प्रतिमा को नहलाया जाता है और भक्त मां के दर्शन के लिए आ सकते हैं। 22 से 26 जून को यह मानसून वार्षिक मेला लगेगा।

आम महोत्सव दिल्ली में 1 जून और उ.प्र. में 22 जून को आयोजित किया जा रहा है। यह दुनिया भर से फल को बढ़ावा देता है। इस आयोजन में विभिन्न राज्यों से लगभग आम की 11 सौ किस्में प्रदर्शित की जायेंगी। मनोरंजक कार्यक्रम, प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। आम खाने की प्रतियोगिताएं, प्रश्नोत्तरी, नारे लिखना और बहुत कुछ। 

    जून पूर्णिमा के दिन जम्मू और कश्मीर के लेह में सिंधु दर्शन महोत्सव का तीन दिन 23 से 27 जून तक आयोजन किया है। जिसमें बड़ी संख्या में विदेशी और घरेलू पर्यटक आते हैं। सिंधु दर्शन समारोह के आयोजन का मुख्य कारण सिंधु नदी को भारत के सांप्रदायिक सद्भाव और एकता के प्रतीक के रुप में समर्थन करना है। सिंधु दर्शन लेह के मुख्य शहर से 8 किमी. दूर स्थित शीला मनला में मनाया जाता है। यहां लगभग 50 वरिष्ठ लामा प्रार्थनाओं को अनुष्ठान के रुप में करते हैं। देश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला भी प्रस्तुत की जाती है।

  गोवा में साओ जोआओ 24 जून को मानसून आगमन के साथ ही, इस मानसून उत्सव को खास तौर पर मछुआरा समूह मनाते हैं। नाच गाना और तरह तरह के रंगारंग कार्यक्रमों द्वारा आपस में मनोरंजन करते हैं। ये उत्सव यहां का खास आर्कषण है। 

रथयात्रा पुरी का प्रधान पर्व होते हुए भी, रथोत्सव पर्व भारत में लगभग सभी नगरों में श्रद्धा और प्रेम के साथ मनाया जाता है। जो श्रद्धालू पुरी नहीं जा पाते वे अपने शहर की रथ यात्रा में जरुर शामिल होते हैं। आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन भगवान जगन्नाथ की यात्रा प्रारंभ होती है। इस वर्ष 27 जून को है। रथ यात्रा ये एक ऐसा पर्व है जिसमें भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों के बीच में आते हैं। भगवान जगन्नाथ की यात्रा में भगवान श्री कृष्ण, माता सुभद्रा और बलराम की पुष्य नक्षत्र में रथ यात्रा निकाली जाती है। रथयात्रा माता सुभद्रा के भ्रमण की इच्छा पूर्ण करने के उद्देश्य से श्रीकृष्ण और बलराम ने अलग रथों में बैठ कर करवाई थी। सुभद्रा जी की नगर भ्रमण की याद में यह रथयात्रा पुरी में हर वर्ष होती है। 

   जून की भीषण गर्मी में हमारे उत्सव हमें यात्रा, संगीत, स्वास्थ और पर्यावरण का महत्व समझाते हुए हमसे मानसून का स्वागत भी करवाते हैं। 





यह लेख  प्रेरणा शोध संस्थान नोएडा से प्रकाशित प्रेरणा विचार पत्रिका के जून अंक में प्रकाशित हुआ है

नीलम भागी( लेखिका, जर्नलिस्ट, ब्लॉगर, ट्रैवलर)


    


Saturday, 1 June 2024

उत्सवों में प्रकृति वनस्पति और नदियाँ(जल) उत्सव मंथन नीलम भागी Utsav Manthan June Neelam Bhagi


भारत में उत्सवों और महापुरुषों के कारण सबसे गर्म छठा महीना जून बहुत मुख्य है। इन सभी उत्सवों, व्रत और विशेष दिनों को मनाते हुए, हमें प्रयास करना चाहिए कि सामाजिक चेतना भी आए।

 शिमला समर फैस्टिवल 1से 4जून को मनाया जाता है। इस प्रसिद्ध त्यौहार में खेलकूद की गतिविधियां, फैशनेबल कपड़ों, हैंिडक्राफ्ट वस्तुओं और व्यंजनों, फूलों की, कुत्तों की प्रदर्शनी लगती है। हवा में कलाबाजियां और लाइव फैशन शो का प्रदर्शन होता है।

विश्व दुग्ध दिवस 1जून को मनाने का मकसद डेयरी उत्पादन के क्षेत्र में स्थिरता लाना, जो आजीविका है। कुपोषण से बचना है इसलिए भोजन में डायरी प्रोडक्ट दूध आदि को शामिल करना है। 

3 जून को विश्व साइकिल दिवस है। जिसका उद्देश्य शारीरिक स्वास्थ्य, पर्यावरण बेहतर करने के लिए समाज के सभी वर्गो में इकोफ्रैंडली साइकिल के उपयोग को बढ़ावा देना है।  हमें साइकिल चलानी है। आस पास के काम के लिए साइकिल का उपयोग करना है न कि साइकिल के फायदों पर भाषणबाजी करनी है।

5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रमों में पर्यावरण संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास पर बल दिया जाता है। 

पौधों में जीवन होता है। हमारे बुजुर्ग बिना विज्ञान पढ़े रात को तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ते थे। तुलसी का विवाह करते थे। अब भी यह परम्परा चली आ रही है। लेकिन “विश्व भौतिक विकास की ओर तो तेजी से बढ़ रहा है, मगर प्रकृति से उतना ही दूर हो रहा है। पानी दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है। जल संरक्षण करना है। पर्यावरण सुधार के लिए खूब पेड़ लगाए जाएं। 

     पर्यावरण दिवस इस वर्ष 2024 का थीम है ’’भूमि बहाली, मरूस्थलीकरण और सूखा परिस्थितियों का सामना करने में लचीलापन’’। हमें पर्यावरण में सुधार करना होगा जिससे हम स्वस्थ रहेंगे और अपने उत्सवों का आनन्द उठायेंगे।

वट सावित्री 6 जून को सौभाग्यवती महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत करके, वट वृक्ष के नीचे बैठ कर पूजा करतीं हैं।

 हमारे धार्मिक और सामाजिक आयोजनों में 20ः भोजन फेंका जाता है। कुछ लोग जूठा छोड़ना शान समझते हैं। बड़े मॉल और स्टोर में खाद्य पदार्थ, फल सब्ज़ियां डम्प में फैंके जाते हैं। चूहों द्वारा नष्ट किए जाते हैं। ऐसा न हो इसके लिए 7 जून को विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जाता है।

      8 जून को महासागर का महत्व बताने के लिए विश्व महासागर दिवस मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2009 में की गई।    

  सिख समुदाय में गुरु परंपरा के पाँचवें गुरु अर्जुन देव का शहीदी दिवस 10 जून को उनकी शहादत को याद करने के लिए मनाते हैं। गुरु अर्जुन देव जी सिख धर्म के पहले शहीद हैं। इन्होंने धर्म के लिए अपनी शहादत दी। इनके शहीदी दिवस पर जगह जगह ठंडे र्शबत की छबीलें लगाई जाती हैं। गुरु जी ने सिखों को अपनी कमाई का दसवां हिस्सा धार्मिक और सामाजिक कार्यों में लगाने के लिए प्रेरित किया।

दतिया मध्य प्रदेश पीताम्बरा पीठ में एक र्बोड पर लिखा था सौभाग्यवती महिलाएं माँ धूमावती का दर्शन न करें। धूमावती माँ को शक्तिरुपा देवी के रुप में पूजा जाता है। मैंने देवियों के दर्शन में उन्हें श्रृंगार में और सजी हुई पोशाक में देखा है। पर यह देवी श्रृंगारविहीन, मैली सी सफेद साड़ी, बिखरे खुले घने बाल और कौवा उनकी सवारी है। माता विधवा का रुप है। जिन्हें तंत्र में विश्वास होता हैै वे देवी धूमावती में विशेष आस्था रखते हैं। आम लोगों के लिए इनके दर्शन शनिवार को ही होते हैं और उस दिन शनिवार ही था। बहुत लंबी लाइन में लग कर मैंने दर्शन किए। धूमावती जयंती 14 जून को है उस दिन की भीड़ न जाने कितनी होगी! 

ओचिरा कलि मंदिर से जुड़ा केरल का एक वार्षिक उत्सव है। जो पुराने समय में हुई एक लड़ाई की याद में लोग मनाते हैं। जिसमें दो समूह कायाकुलम और अलाप्पुझा के बीच लड़ाई हुई थी। मलयालम में कलि का अर्थ खेल होता है। ओचिरा कलि में पुरुष और लड़के पानी से भरे धान के खेत में नकली लडा़ई करते हैं। संगीतमय यह लड़ाई प्रतिभागियों के शारीरिक कौशल का प्रदर्शन है। 15, 16 जून को इसका आनन्द उठाने के लिए पर्यटक पहुंचते हैं। यहां कि अनोखी रस्म है बैलों की पूजा क्योंकि शिव का वाहन नंदी बैल है।

ओडिशा में राजा संक्रांति समारोह मानसून के शुरुआत का तीन दिवसीय उत्सव है। इसे’ स्विंग फेस्टिवल’ भी कहते हैं, जगह जगह पेड़ों पर झूले जो पड़ जाते हैं। पृथ्वी पर नंगे पांव भी नहीं चलते क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मानसून की बारिश से पहले पृथ्वी को आराम दिया जाना चाहिए। महिलाएं घर के काम से छुट्टी लेतीं हैं और किसान खेती से। सब खेलों में व्यस्त रहते हैं। लड़कियां पारंपरिक पोशाक पहनतीं हैं और पैरों में आलता लगातीं हैं। दूसरे दिन को ’’सजबजा’’ कहते हैं। इसमें सिलबट्टे को सजा कर रखते हैं। हिंदू, देवी धरती के प्रतीक सिल को हल्दी का लेप लगा कर महिलाओं द्वारा स्नान कराया जाता है। धरती मां को फलों का भोग लगाया जाता है। बारिश का स्वागत करने के लिए सब एक साथ आते हैं। समापन 15 जून को इस विश्वास से कि धरती मां के आर्शीवाद स्वरुप अच्छी पैदावार होगी। 

  दस दिवसीय ग्ंागा दशहरा का पर्व हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 16 जून को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन राजा भागीरथ के कठोर तपस्या के चलते मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था। दशहरा का अर्थ 10 मनोविकारों के विनाश से है। क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी है।

 हिंदू धर्म में गंगा दशहरा पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता हैं। इस दिन गंगा जी में स्नान करना अपना सौभाग्य समझा जाता हैं। जहां पर जो भी नदी होती है, श्रद्धालू उसकी पूजा अर्चना कर लेते हैं क्योंकि नदियां हमारी संस्कृति की पोषक हैं। 

जनिता चोपनेता च, यस्तु विद्यां प्रयच्छति।

अन्नदाता भयत्राता, पंचैते पितरः स्मृताः।।

फादर डे मनाने से पहले भी हमारे पुराण में इन पाँच को पिता के लिए कहा जाता था जन्मदाता, उपनयन करने वाला, विद्या देने वाला, अन्नदाता और भयत्राता। 

न तो धर्मचरणं किंचिदस्ति महत्तरम्।

यथा पितरि शुश्रूषा तस्य वा वचनक्रिया।।

पिता की सेवा अथवा उनकी आज्ञा का पालन करने से बढ़कर कोई धर्माचरण नहीं है। वाल्मीकि रामायण

आजकल बच्चे जॉब के सिलसिले में घरों से दूर हैं। पिता ज़हन में तो रहते हैं। 

  साल में एक दिन जून के तीसरे रविवार 16 जून को फादर डे मनाने से वे सम्मान से उनके लिए अपनी भावनाएं प्रदर्शित कर, उनका दिन विशेष कर देते हैं।    

आंबुची मेला यह 16 जून सेे 20 जून तक चलने वाला मेला गोहाटी में मनाया जाता है। तीन दिन कामाख्या मंदिर बंद रहता है। तीन दिनों बाद, चौथे दिन देवी की प्रतिमा को नहलाया जाता है और भक्त मां के दर्शन के लिए आ सकते हैं। यहाँ मानसून वार्षिक मेला भी लगता है।

    हिंदू धर्म में 24 एकादशियों का बहुत महत्व है। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी 18 जून को निर्जला एकादशी कहते हैं। इसकी कथा में हिंदू धर्म की बहुत बड़ी विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता है, सबके योग्य नियमों की लचीली व्यवस्था भी करता है। महर्षि वेदव्यास ने पाडंवों को एकादशी व्रत का संकल्प कराया तो भीम ने कहा,’’पितामह इसमें प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात कही है। पर मैं तो एक समय भी भोजन के बगैर नहीं रह सकता। मेरे पेट में ’वृक’ नाम की जो अग्नि है उसे शांत रखने के लिए मुझे कई लोगों के बराबर और कई बार भोजन करना पड़ता है। क्या अपनी उस भूख के कारण मैं एकादशी जैसे पुण्य व्रत से वंचित रह जाऊंगा?’’ यह सुनते ही महर्षि ने भीम का मनोबल बढ़ाते हुए कहा,’’आप ज्येष्ठ मास की निर्जला नाम की एकादशी का व्रत करो। तुम्हें वर्ष भर की एकादशियों का फल मिलेगा।’’ इस एकादशी पर ठंडे र्शबत की जगह जगह छबीलें लगाई जातीं हैं। जिसे पीकर भीषण गर्मी में राहगीरों को बड़ी राहत मिलती है।

    पनिहाटी में प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ शुक्ल की त्रयोदशी 20 जून को दही चूड़ा का विशेष भोज होता है। इस 500 साल से चलने वाले ’दंड महोत्सव’ का विशेष विधान है। जो ’दही चूड़ा महोत्सव’ कहलाता है। पश्चिम बंगाल में कलकत्ता से 10 किमी.दूर पनिहाटी गाँव गंगा तट पर है। सोलहवीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु संर्कीतन का यह प्रमुख केन्द्र बन गया। प्रभु भक्त रघुनाथ दास, प्रभु नित्यानंद के दर्शनों के लिए पानीहाटी गए। जहाँ प्रभु गंगा के तट पर बरगद के नीचे अपने शिष्यों से घिरे बैठे थे। रघुनाथ झिझक के मारे पेड़ के पीछे छिप कर उनके दर्शन कर रहे थे। प्रभु नित्यानंद ने उन्हें देख कर कहा,’’रघुनाथ दास! तुम चोर की तरह छिपे हो! और मैंने तुम्हें पकड़ लिया। यहाँ आओ मैं तुम्हें दण्ड दूंगा।’’ और दण्ड स्वरूप बड़ा उत्सव कर, भक्तों को दहीं चावल परोसने का आदेश दिया। अब चिलचिलाती गर्मी में सेठ ने बड़ी खुशी से उसमें फल मेवे मिलाकर लाजवाब प्रसाद बनाया। इस अद्भुत दण्ड की याद में यह उत्सव मनाया जाता है। संकीर्तन के कार्यक्रम के साथ इस महोत्सव का समापन होगा। बैंगलोर एस्कोन में भी इस दण्ड महोत्सव में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।

  भारत द्वारा प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का रिर्काड 175 सदस्य देशों द्वारा इसका समर्थन किया गया। संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर 21 जून अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रुप में घोषित किया गया। इसका उद्देश्य योगाभ्यास करने के लाभ के बारे में विश्व की जागरुकता बढ़ाना है। 

योग और संगीत दोनों तनाव दूर करते हैं। हमारे मन को शांत रखते हैं। कहते हैं संगीत हर मर्ज की दवा है। मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए म्यूजिक थैरेपी बहुत कारगार है। 

संगीत की विभिन्न खूबियों की वजह से विश्व में एक दिन संगीत के नाम है। 21 जून को अर्न्तराष्ट्रीय संगीत दिवस मनाया जाता है। संगीत के बिना उत्सव कैसा! स्ंागीत हमें सकून पहुंचाता है। 

  हर वर्ष जून पूर्णिमा के दिन जम्मू और कश्मीर के लेह में सिंधु दर्शन महोत्सव का तीन दिन 23 ये 26 जून तक आयोजन किया है। जिसमें बड़ी संख्या में विदेशी और घरेलू पर्यटक आते हैं। सिंधु दर्शन समारोह के आयोजन का मुख्य कारण सिंधु नदी को भारत के सांप्रदायिक सद्भाव और एकता के प्रतीक के रुप में समर्थन करना है। सिंधु दर्शन लेह के मुख्य शहर से 8 किमी. दूर स्थित शीला मनला में मनाया जाता है। यहां लगभग 50 वरिष्ठ लामा प्रार्थनाओं को अनुष्ठान के रुप में करते हैं। देश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला भी प्रस्तुत की जाती है। 

  23 जून को दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाया जाता है। यह दिन खेल और फिटनेस को समर्पित है।    

गोवा में साओ जोआओ 24 जून को मानसून आगमन के साथ ही में खास तौर पर मछुआरा समूह मनाते हैं। नाच गाना और तरह तरह के रंगारंग कार्यक्रमों द्वारा आपस में मनोरंजन करते हैं। ये उत्सव यहां का खास आर्कषण है। 

    जून की भीषण गर्मी में हमारे उत्सव हमें यात्रा, संगीत, स्वास्थ और पर्यावरण का महत्व समझाते हुए हमसे मानसून का स्वागत भी करवाते हैं। जगह जगह आम महोत्सव मनाने की शुरूआत हो जाती है। जहाँ 27 से 35 डिग्री तापमान होता है जो पर्यटन के लिए अनूकूल है। छुट्टियों के कारण यात्राएं भी की जाती हैं। 

नीलम भागी( लेखिका, जर्नलिस्ट, ब्लॉगर, ट्रैवलर)

यह लेख  प्रेरणा शोधसंस्थान नोएडा द्वारा प्रकाशित प्रेरणा  विचार पत्रिका के जून अंक में प्रकाशित है।