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Thursday 17 March 2022

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के 16वें अधिवेशन का समापन भाग 6 हरदोई नीलम भागी


अधिवेशन के समापन सत्र का संबोधन करते हुए अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्री श्रीधर पराडकर ने कहा कि भारत की परंपरा व संस्कृति के अनुरूप साहित्य का लेखन होना चाहिए। साहित्य परिषद् साहित्य जगत का संपूर्ण वातावरण बदलने के लिए काम करती है। उन्होंने कहा कि हमें केवल साहित्य कार्यक्रम नहीं करना है। साहित्य में जो विकृति जानबूझ कर लाई गई है उसके स्थान पर हमें सुकृति लानी है। श्री पराडकर ने कहा कि जब हम गहन अध्ययन करेंगे, तभी अच्छे साहित्य की रचना कर पायेंगे।

  साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय महामंत्री श्री ऋषि कुमार मिश्र ने प्रतिवेदन करते हुए कहा कि विगत चार वर्ष परिषद् के विस्तार और साहित्यिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण रहे। कोरोना के प्रकोप के कारण जब प्रत्यक्ष काम संभव नहीं था उस समय हमारी लोक भाषाएं, हमारी लोक यात्राएं और हमारे लोक देवी देवताओं विषयों पर 350 स्थानों पर आभासी माध्यम से संगोष्ठियों का आयोजन हुआ।

  इस अधिवेशन में अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के पूर्व राष्टीªय अध्यक्ष डॉ. बलवंत भाई जानी, वरिष्ठ साहित्यकार श्री देवेन्द्र चन्द्र दास, महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव शर्मा, ’साहित्य परिक्रमा’ के संपादक डॉ. इन्दुशेखर तत्पुरुष, श्री अभिराम भट्ट, डॉ. राम सनेही लाल, डॉ. जनार्दन यादव, डॉ. आशा तिवारी सहित अनेक साहित्यकारों की सहभागिता उल्लेखनीय रही।

पुस्तक प्रदर्शनी आयोजित की गई।

महान कवि स्व. श्यामनारायण पाण्डेय की पत्नी श्रीमती रमावती पाण्डेय को  सम्मानित किया गया।

जिस सभागार में यह अधिवेशन चल रहा था उस सभागार का नाम ’’अमर बलिदानी शहीद स्व. मेजर पंकज पाण्डेय’’ के नाम पर रखा गया है। जैसे ही उनके पिता ’श्री अवधेश पाण्डेय को सम्मानित करने के लिये आमंत्रित किया, उनके कुर्सी से उठते ही सभागार में सब खड़े होकर, तालियां बजाते रहे। कोई भी एक शब्द नहीं बोल रहा था, न ही मंच से, तालियों की आवाज़ ही मन के उद्गार बयान कर रहीं थी। इतनी तालियां दो दिन के अधिवेशन में नहीं बजीं, जितनी इस समय बज रहीं थीं। लिखते समय भी वो भाव मन पर छाता जा रहा है। निःशब्द उनका सम्मान होता जा रहा था। जब उन्होंने अपना स्थान ग्रहण किया। तब साहित्यकार अपनी आंखें पोछते हुए बैठै।  

इस अधिवेशन में दो प्रस्ताव    राजभाषा का प्रयोग और सरकारी अभिलेखों में 

इंडिया के स्थान पर भारत लिखे जाएं- पारित किए।

अधिवेशन में साहित्य परिषद् की वेबसाइट का लोकार्पण हुआ।

डॉ. सुशील चन्द्र त्रिवेदी ’मधुपेश’ बने साहित्य परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष’

हरदोई के अल्लीपुर निवासी शिक्षाविद् व साहित्यकार डॉ. सुशील चन्द्र त्रिवेदी ’मधुपेश’ को अखिल भारतीय साहित्य परिषद् का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। डॉ. त्रिवेदी अभी तक साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। श्री ऋषि कुमार मिश्रा को पुनः राष्ट्रीय महामंत्री एवं परिषद् के प्रदेश महामंत्री रहे डॉ. पवनपुत्र बादल को राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री बनाया गया। डॉ. साधना, श्री दिनेश प्रताप सिंह एवं प्रो. नीलम राठी को राष्ट्रीय मंत्री नियुक्त किया गया। समापन पर अति स्वादिष्ट भोजन था। जिन्होंने लौटना था उनके लिए रास्ते के लिए खाने के पैकेट थे। गंगाजल भी दिया जा रहा था


गाड़ियां उन्हें स्टेशन, बस अड्डा और हवाई अड्डे पर छोड़ने जा रहीं थीं। पर्यटन के लिए दिए गए नम्बरों से संपर्क कर रहे थे। क्रमशः