लंच के बाद मैं गहरी नींद सो गई थी क्योंकि मेरा तो कोई नियम कायदा नहीं था। जब तक नींद आई सो ली। आज तो वैसे भी वॉक की थी। अर्पणा आई मुझे जगा कर बोली,’’मासी, चलो। रेया सो गई है। नो हील, मेरे जूते आपको आ जायेंगे, पहनो। हमने लिफ्ट को बुलाया, इतनी देर अर्पणा मुझे दिखाते हुए बोली,’’समुद्र में जो दूर हरी हरी जमीन दिख रही है वो मलेशिया है। इतने में लिफ्ट आ गई। साइड गेट से हम अण्डर पास गए। वहां कोई सीढ़ी नहीं थी। स्लोब था। पर जिसे देखो वो साइकिल से उतर कर, पैदल चल रहा था। साइकिल से उतरने का राज समझ आ गया। अण्डर पास में साइकिल पर चढ़ने का मतलब था, 1000 डॉलर र्जुमाना। बाहर आए चार लेन की सड़क थी। अण्डर पास के ऊपर से दो सड़कें ट्रैफिक के लिए, एक साइकिल ओर एक पैदल के लिए। समुद्र और पैदल के बीच में ईस्ट कॉस्ट पार्क। मैं और अर्पणा इस्ट कॉस्ट रोड पर पैदल पथ पर घूमने निकल पड़े। मुझे इससे बातें करना बहुत पसंद है। उसके पास मेरे हर प्रश्न का जवाब रहता है। दुनिया जहान की कुछ भी उससे बाते करो या पूछो वो बहुत अच्छे से समझाती हैं। आज तो मैं हैरान होकर अपने दाएं बाएं देख रही थी। सूरज अभी डूबा नहीं था। चारों सड़कें डिवाइडर कि बजाए ग्रीन बैल्ट से बंटी हुई थीं। पेड़ों की छाया सड़कों पर थी। प्रत्येक पाँच सौ मीटर और किमी. पर निशान थे। कोई भी पार्क की घास पर नहीं चल रहा था। बीच बीच में बैंच लगे हुए थे। उस पर बैठ कर सागर दर्शन करते रहो। पार्क में ही कहीं कहीं जगह छोड़ी गई है। जहां खुले में समुद्र किनारे लोग अपनी मैट ले जाकर एक्सरसाइज कर रहें हैं। कुछ दूरी पर ओपन जिम भी है। साइकिल रोड पर सबसे प्यारा सीन होता महिला या पुरुष एक्सरसाइज के लिए साइकिल चला रहे हैं। पीछे सीट लगी है, उसमें उनका बच्चा बैल्ट लगा कर सुरक्षित बैठा, आस पास के नज़ारे देखता घूम रहा है। जो आस पास से गुजरता है वह बच्चे को बाय करता है। बच्चे का घूमना भी हो जाता है। हम घर परिवार की बातें करते हुए ,दो किमी आ गए। गंदगी का कहीं नामो निशान नहीं, सागर किनारे, सिर्फ सीपियां घोंघे आदि दिखे। लोग डस्टबिन का प्रयोग कर रहे थे। किसी किसी बार्बी क्यू में आग जल रही थी, वीकएंड था। लड़के लड़कियां पार्टी कर रहे थे। अर्पणा ने मुझे समझाया कि मासी अण्डर पास का ध्यान रक्खो, कोई मोड़ तो है नहीं जिस रास्ते जाना उसी से वापिस आना और अंडर पास से घर। मासी और चलें!! मैं बोली,’’नहीं घर चलें।’’ टोटल चार किमी. चली पर एक भी मोटा मोटी नहीं दिखा। अब ये तो मेरी मनपसंद जगह बन गई थी। यहां मैं सोमवार से शुक्रवार दिन में दो बार आकर बैठती थी। मुझे ये देखना बहुत अच्छा लगता था कि माँ साइकिल चला रही है जिसके पीछे चेयरनुमा सीट पर बैल्ट से कसा सेफ बच्चा बैठा है। माँ की एक्सरसाइज़ और बच्चे का घूमना एक साथ चल रहा है। उम्र के अनुसार महिलाएँ फिट हैं, तकरीबन सभी शॉटस और टी शर्ट में होतीं। घर आते ही शिखा ने चाय दी और मैंने एलॉन कर दिया कि आज मैं ओर कहीं नहीं जाउंगी। क्रमशः