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Saturday 6 June 2020

माँ के दूध का रखरखाव सिंगापुर यात्रा भाग 13 Singpore Part 13 Neelam Bhagi नीलम भागी

 

फ्रिज़ में माँ का दूध तीन दिन तक और फ्रिज़र में तीन महीने तक खराब नहीं होता है। बस रखने में साफ सफाई का पूरा घ्यान रखना पड़ता है। बस पम्प को इस्तेमाल के बाद सैनेटाइज़ करो। प्रसव के बाद माँ का दूध बहुत होता है, बच्चा उतना नहीं पी सकता। इसलिए पम्प करके पाउच में हवा निकाल कर सील करके या बॉटल में फ्रिज़र में रखते जाओ। जब हम घर में नहीं होते, तो जो भी घर में बच्चे की देखभाल करता है, वह माँ के दूध को फ्रिज़ से निकाल कर, उसे गर्म पानी के कटोरे में रख देता है। जब दूध थोड़ा गुनगुना हो जाये क्योंकि  ठण्डा होने से फैट ऊपर आ जाती है जो जम जाती है। गर्म पानी में रखने से इससे दूध में फैट भी पिघल जाती है फिर बच्चे को पिला दो।
       बेबी को दूध पिलाने से या बेबी के पास न रहने से भी पम्ंिपग करते रहोगे, तो दूध का प्रोडक्शन बना रहेगा। ऑफिस में एक पम्ंिपंग रुम है। बारी बारी से दूधमुँहें बच्चों की माँ, वहाँ पम्प करने जाती हैं। रमा ने वहाँ अपनी बिटिया की तस्वीर लगा रक्खी है। अन्दर से बंद करके, बेटी की फोटो को देखते हुए वह पम्पिंग करती है। मोना ने अपने घर में कैमरे लगा रक्खे हैं क्योंकि उसका घर फिलीपीनो मेड देखती है। वह मोबाइल पर अपनी बेटी की हरकतों को देखते हुए ऑफिस में पम्ंिपंग करती है। मैंने पूछा,’’घर आने तक दूध खराब नहीं होता।’’उन्होंने एक बैग और रबर की पानी से भरी थैली दिखाई और बताया कि पानी की थैली को फ्रिजर में जमा देते हैं। दूध भी फ्रिज़र में रख देते हैं। शाम को बैग में दूध और बर्फ की थैली रख कर चैन बंद कर देते हैं। घर आते ही फिर फ्रिज में रख देते हैं।
  कई बार अपने केस के सिलसिले में, दूसरे देश में समय का फर्क होने के कारण मोना को सुबह ही कॉल आ जाती है, ऐसे में वह बेबी को गोद में लेकर उसे निहारते हुए दूध नहीं पिला सकती। तब वह पम्ंिपंग करती रहती है और कॉल चलती रहती है। मोना ने बेबी को सात महीने तक अपने ही दूध पर रक्खा हुआ है। मैंने पूछा,’’ ऑफिस के काम से विदेश जाने पर कैसे मैनेज़ करती हो?’’उसने बताया कि जर्काता एक वीक के लिए गई थी। डेढ़ घंटे की फ्लाइट है। तीसरे दिन मैंने जमा हुआ दूध फ्लाइट के समय से पहले कोरियर किया। तुरन्त चैक इन में चला गया, वहाँ ठण्डा रहता है। जब तक ठीक से पिघलता, घर वालों ने कलैक्ट कर लिया। वीकएंड पर मैं दूध साथ ही ले आई। अब मुझे पम्प बहुत प्यारा लगने लगा, जिसकी बदौलत परिवार की लाइ़फ़ लाइन, कामकाजी महिला अपने बच्चे को माँ के दूध से वंचित नहीं रखती है।
  यहां मुझे घूमने, देखने, बतियाने और सोचने के सिवाय कोई काम नहीं था। मैंने देखा कि आम महिला और विशेष महिला, माँ के पद पर आते ही संतान के पोषण के समय मुझे एक ही जैसी लगती हैं, वे सिर्फ माँ होती हैं। सोचते हुए ही मैं भारत लौट गई। घर पहुँचते ही सीमा गिफ़्ट लेने आई। मैंने धाराप्रवाह उसे ब्रैस्ट पम्प के फायदे बताये। उसने मेरी बातों को बड़े ध्यान से सुना।,’’ हम बातें कर ही रहे थे कि लाइट चली गई। यह देख कर मेरे मुँह से तुरंत निकला,’’यहाँ तो बिजली बहुत जाती है। माँ का दूध तो बिगड़ जायेगा न।’’मेरे वाक्य को सीमा ने पूरा करते हुए कहा कि फिर तो कुत्ते को पिलाना पड़ेगा। सीमा दुखी होकर बोली,’’आप ठीक कहतीं हैं। इस पम्प का फायदा तो उस शहर की माँ और बच्चे  उठा सकते हैं। जहाँ चौबीस घण्टे बिजली आती हो। अपर्णा ने आ कर मुझे कहा कि क्रमशः