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Thursday, 4 June 2020

ऐसे लोगों को आप क्या नाम देंगे? Aise Logo ko aap kya nam denge, World Environment Day Neelam Bhagi नीलम भागी


कोरोना काल में र्पाटटाइम मेड तो कोई बुला नहीं रहा है। सब अपना काम खुद कर रहें हैं और दूसरों के घर का भी ध्यान रख रहे हैं कि किसी के घर बाई तो नहीं आ रही है वो इसलिए कि कभी बाई के साथ हमारे ब्लॉक में कोरोना न प्रवेश कर जाए। हुआ यूं कि मैं अपने गेट के आगे झाड़ू लगा रही थी। उधर एक घर के गेट के आगे गाड़ी लगी थी। बंद गेट के अंदर से मोटी पानी की धार गाड़ी धो रही थी और नीचे गंगा जमुना बह रही थीं। मैं काफी देर देखती रही फिर जेब से मोबाइल निकाल कर सैट कर रही थी तो पता नहीं कहां से उस घर के बुर्जुग आकर मुझसे बोले,’’मेरी फोटो ले रही हो।’’ मैंने कहा कि नहीं,’’पढ़े लिखे लोगों के घर में रहने वाली मेड किस तरह पानी र्बबाद करती है।" उनको मुझसे बात करते देख,  बाई गेट खोल कर बाहर आ गई। उसने पाइप से गमले में लगे तुलसी के पौधे पर एक गिलास पानी डालने कि बजाय कई लीटर पानी पाइप से बहाया। अब बुर्जुग ने मुझसे प्रश्न पूछा,’’अमुक राज्य के दमुक राजनेता ने अपने बेटे की शादी में तुम्हें पता है कितनी दौलत र्बबाद की!!’’मैं तर्क का तो जवाब दे सकती हूं ,कुर्तकों का उत्तर मुझे नहीं आता। मैंने उनको हाथ जोड़ कर जवाब दिया कि मैं साधारण महिला हूं। मेरा इरादा तो बिजली ,पानी, गैस बचाना और पेड़ पौधे लगाना है ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे। आप अपनी तुलना राजनेता से करते हैं तो मैं क्या कह सकती हूं!! वे गुस्से में पैर पटकते चले गये। मैं उनकी सोच पर हैरान!! आजकल कई बार तो सफाई कर्मचारी सड़के सैनेटाइज़ करने टैंकर लेकर आते हैं। उसमें कितना पानी खर्च होता है। बार बार हाथ धोना पड़ता है। गेट को सैनेटाइज करने अलग से आते हैं। पानी की खपत बहुत ज्यादा हो रही है। ये सब देख कर ज्यादातर लोग पानी बचाने में लगे हैं। विश्व भौतिक विकास की ओर तेजी से बढ रहा है, मगर  प्रकृति से उतनी ही दूर हो रहा है। पानी कम हो रहा है। इसे बचाने के लिए खूब पेड़ लगाने होंगे। पर्यावरण स्वच्छ रहेगा तभी इस पृथ्वी पर जीवन संभव है।
दस कुओं के बराबर एक बावड़ी है, दस बावड़ियों के बराबर एक तालाब, दस तालाबों के बराबर एक पुत्र है और दस पुत्रों के बराबर एक वृक्ष। मत्स्य पुराण का यह कथन
हमें पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित करता है। पर अपने स्वार्थ के लिये हम पेड़ काटने में संकोच नहीें करते क्योंकि गाड़ी जो पार्क करनी है। अब 5 जून को पर्यावरण दिवस मनायेंगे। लेकिन इकोफैंडली साइकिल नहीं चलायेंगे। न ही पेड़ पौधों की देखभाल करेंगे। हमारा पड़ोसी अगर पेड़ काट रहा होगा तो हम चुप रहेंगे। कोई पेड़ के नीचे अपने घर का कबाड़ जला रहा होगा तो जलाने देगें! ये सोच कर कि अपने बाप का क्या जाता है? मेरे घर के सामने पार्क में केले के पेड़ हैं। एक दिन दो लड़के उसे काट रहे थे। मैंने उसे काटने से रोका तो उसने कहा कि शीला जी ने काटने को कहा है। मैंने शीला जी सेे पेड़ कटवाने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि सरला ने कहा है कि केले के पेड़ के झूमने के कारण तुम्हारी तबियत खराब रहती है। मैंने कहा कि ये मेरे घर के आगे भी झूमता है। मेरी 95 साल की अम्मा को इसे झूमते हुए देखना अच्छा लगता है और वे चिकनगुनिया से ठीक हुई है। शीला जी को समझ आ गया और उसने तुरंत पेड़ कटवाना रोक दिया। अब वो सुबह जल सूरज को देतीं हैं पर पानी गिरता केले की जड़ पर है।
  साठ सालों में जो प्रदूषण बड़ा था वह लॉकडाउन के साठ दिनों अपने आप कम हो गया है। अब हमें बरसात के पानी का संरक्षण करना होगा और खूब पेड़ पौधे लगाने होगे।      ं







बहुमत मध्य प्रदेश एवम छत्तीसगढ़ से एक साथ प्रकाशित समाचार पत्र में यह लेख प्रकाशित है

Thursday, 9 June 2016

मेरा शौक !! विश्व जल दिवस World Water Day नीलम भागी








 ज्यादातर लोग कोई न कोई शौक रखते हैं जैसे कैक्टस और मनीपलान्ट चुराना, नौकरानी से छेड़छाड़ करना आदि। ये शौक कभी भी किसी भी मौसम में किए जा सकते हैं। मेरा शौक है पाइप लेकर पानी छिड़कना। ये मैं गर्मी में ही कर पाती हूँ। सर्दी में बीमार न पड़ जाऊँ इसलिए नहीं करती।
जैसे जैसे गर्मी बढ़ती जाती है पानी का दबाव कम होता जाता है। पानी का पहली मंजिल पर चढ़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता। निचले तल पर भी मोटर से आता है। वैसे ही मेरा शौक भी बढ़ता जाता है। मैं सुबह शाम पाइप लेकर मोटर चलाकर खूब छिड़काव करती  हूँ। मेरे घर के सामने सड़क है उसे मैं खूब धोती  हूँ बाहरी दीवारें ठंडी करती  हूँ। पाइप के आगे अंगुली लगाकर खूब पानी उछालती  हूँ। ऐसा करना मुझे बहुत अच्छा लगता है, ये उस समय मेरे चेहरे से भी लगता है। गर्मी के कारण सड़क थोड़ी देर में फिर सूख जाती है और नल चला जाता है। फिर मैं सड़क ठण्ड़ी करने का काम शाम को शुरू करती  हूँ। खूब दूर-दूर तक पानी की धार बिखेरती  हूँ पर गर्म हवा के कारण वह पहले जैसी गर्म हो जाती है। जितना पानी मैं छिड़कती  हूँ उतना पानी यदि किसी गड्ढे में भरूँ, तो उसमें मछली पालन हो सकता है।
लोग कार धोने के लिए एक बाल्टी पानी लेते हैं और उसमें कपड़ा गीला करके रगड़-रगड़ कर कार चमकाते हैं। मैं पानी की मोटी धार पाइप से डालकर गाड़ी धोती  हूँ। गाड़ी साफ और उसके नीचे छोटा सा तालाब बन जाता है। मेरे घर मे बर्तन साफ करने का तरीका भी अलग है। लोग नल बन्द करके बरतन मांजते हैं, जब धोते हैं तो नल खोल लेते हैं। मेरे घर में पहला बर्तन मंजने से नल खुला रहता है अन्तिम बर्तन धुलने तक। मेरे कूलर की टंकी हमेशा भरी रहती है उसमे एक पाइप से हल्की धार पानी की हर समय चलती रहती है। फालतू पानी नीचे गिरता रहता है और कूलर की टंकी हमेशा लबालब भरी रहती है।
मैं छत से पानी की मोटी धार से पेड़ धो रही थी। मेरी सहेली उत्कर्षिनी आई। आते ही बोली,’’तुम्हारा पानी का बिल तो बहुत आता होगा।’’ मैं बोली,’’ कम इस्तेमाल करो या ज्यादा बिल फ्लैट रेट है।’’ वह कहने लगी,’’तभी तुम पानी से खेलती हो।’’ मैंने उत्तर दिया,’’न न, ऐसी बात नहीं है, ये मेरा शौक है। प्रशासन का पानी नहीं आयेगा तो, मैं बोरिंग करवा लूंगी फिर मैं जितना मरज़ी पानी निकाल लूंगी।’’वह मुझे घूरने लगी फिर घूरना स्थगित कर बोली,’’तुम जैसे लोगों की वजह से भूजल बहुत नीचे जा चुका है।’’ पर मैं कहाँ हार मानने वाली? मैंने कहा,’’ मैं सबमरसिवल पम्प लगवा लूंगी। मुझे पानी की कमी होगी ही नहीं।’’
 उत्कर्षिनी ने कहा कि वह एक बूंद भी पानी व्यर्थ नहीं करती। कुछ समय पहले हमने सोचा था कि हमें पीने के लिए पानी खरीदना पड़ेगा। यदि हम पानी बरबाद करते रहे तो परिणाम अच्छा नहीं होगा। पानी बचाना, हमारी नैतिक जिम्मेदारी है। हमारे शहर के स्लम एरिया में ही जाकर देखो, पानी के लिए कितनी लम्बी लाइन लगी होती है। पानी की बर्बादी तो अनपढ़ और गवार लोग करते हैं। तुम्हें याद है कुछ साल पहले ग्रिड फेल हो गया था। शायद दो दिन तक बिजली पानी नहीं आया था। टंकियों का पानी खत्म हो गया था। पानी का टैंकर देख कितनी खुशी हुई थी। हम तुम कैसे बाल्टियाँ भर-भर कर पानी लाए थे। मुझे याद आया कि मैं टैंकर से पानी की बाल्टी ला रही थी और साथ में रहीम की चेतावनी याद कर रही थी।
रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
पानी बिना न उबरैं, मोती मानुस चून।।
 और आज मैं पानी बरबाद कर रहीं हूं, ये याद आते ही मुझे अपनी इस आदत पर शर्म महसूस हुई।