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Wednesday 27 May 2020

पानी से आत्मीय सम्बंध!! सिंगापुर यात्रा भाग 7Singpore Yatra part 7 Neelam Bhagi नीलम भागी



हम दोनो घर जाते ही किचन में गए, देखा अर्पणा ने गिलास उठाया नल से भरा और पी लिया, मुझे भी पकड़ा दिया, मैंने भी डरते हुए पी लिया। जब से आई थी शिखा से पानी मांगती थी वो दे जाती थी, मैं पी लेती थी। वह बर्तन साफ कर रही थी। मैंने अर्पणा से हैरान होकर पूछा,’’तुम नल का पानी पीते हो!! उसने हंसते हुए कहा,’’जब से आई हो, आप भी तो यही पी रही हो, कोई परेशानी हुई, नहीं न। रेया भी यही पीती है। मासी यहां नागरिकों का पानी से आत्मीय सम्बंध है। यहां जो रहने आता है वो भी पानी से प्यार करता है। यानि बेफज़ूल पानी र्बबाद नहीं करता। मैंने शिखा के बर्तन साफ करने पर गौर किया उसने जब तक आखिरी बर्तन नहीं मंजा नल नहीं खोला। धोने के समय जितनी धार की जरुरत थी उतना पानी खोला जबकि वह भी भारत से गई है। अर्पणा बोली,’’मासी इण्डिया में मेरे घर, आपके घर और अमन के घर बाई पानी बहुत वेस्ट करतीं हैं। पानी र्बबाद तो गवार करते हैं। यहां एक नागरिक प्रतिदिन पानी की खपत में 2003 से कमी आ रही है। एक शहर राष्ट्र का जल प्रबंधन विश्व में उदाहरण है। जहां प्राकृतिक जल संसाधन नहीं हैं और जमीन भी नहीं है जल भंडारण के लिए। जब 1965 में यह मलेशिया से अलग हुआ तो जोहार नदी तो मलेशिया में है। समझौते के अनुसार, पानी मलेशिया से आता है। पर ये पूरी तरह से पानी के मामले में भी आत्मनिर्भर होते जा रहे हैं। अलग होने से अब तक आबादी भी बड़ी है। यहां रहने पर मैं बहुत घूमी पर कहीं भी मैंने पानी बचाने के पोस्टर लगे नहीं देखे। चौबीस घण्टे नल में पानी आता है। वर्षा के बाद भी निकली हूं। कहीं जलभराव नहीं दिखा। ये अपने यहां से तीन तरीके से पानी प्राप्त करते हैं। 40 प्रतिशत तो यह गंदे पानी का पुनः शुद्धिकरण करते हैं। दूसरा समुद्री पानी का खार कम करके और तीसरा बरसात के पानी का अधिक से अधिक संग्रह करके, इसके लिए इन्होंने अपने जलाशयों को नालियों के विशाल जाल से जोड़ दिया है। और वर्षा जल का शोधन किया जाता है। पानी से आत्मीय संबंध रखने से ही तो नागरिक पानी के स्रोतों का आनंद उठा रहें हैं। कहीं से भी पानी पी सकते हैं। सफाई में पानी बहुत कम इस्तेमाल होता है। गेट से आप अपने फ्लैट तक पहुचोगे। जूतों का सोल एकदम साफ हो जायेगा। शू रैक घर से बाहर रहने से फर्श इतने साफ कि जरा से पानी से पूरे घर में पोछा लग जाता है। ड्रॉइंग रुम और किचन के बराबर में एक दरवाजा है उसमें गई तो वहां शिखा का कमरा, टॉयलेट और खाली जगह में वाशिंग मशीन उस पर ड्रायर रखा हुआ, छत पर  लाइन से रॉड लगी हुई और एक त्रिशूल जैसा डंडा रखा हुआ था। अगर कपड़े ड्रायर में नहीं सूखाने तो कपड़े मशीन से निकाल कर हैंगर में डाल कर त्रिशूल जैसे डंडे से रॉड पर लटका दो। लेकिन कोई भी बॉलकोनी में कपड़े नहीं फैलाता दिखा मुझे। रात आठ बजे शिखा अपने एरिया में जाकर उसकी मर्जी  कि वह बीच का दरवाजा बंद करे या न करे। अर्पणा बोली,’’मासी लंच के बाद आप रैस्ट कर लेना फिर हम चलेंगे। क्रमशः            ।