शुक्रवार को मेरे उठने से पहले ही गीता स्कूल जा चुकी थी। दित्या के स्कूल जाने के लिए आज राजीव जी के साथ उत्कर्षनी भी तैयार थी। दित्या ने बहुत सुंदर सी फ्रॉक पहनी, उनकी स्कूल में यूनिफार्म नहीं है। बालों में बटरफ्लाई क्लिप लगाकर तैयार थी। उनके स्कूल में शुक्रवार को सुबह छोटे बच्चे किसी एक क्लास के म्यूजिक की परफॉर्मेंस देते हैं। आज स्कूल का आखिरी दिन था इसलिए सभी कक्षाओं के छोटे बच्चे थे। हमेशा छोटे-छोटे बच्चों को ही पढ़ाया है पर यहां मैं बहुत ही प्रभावित थी। जिस क्लास का परफॉर्मेंस होता, वो स्टेज पर आते थे म्यूजिक पर परफॉर्मेंस देते थे। बाकी बच्चे सामने बैठकर सुनते और उनकी टीचर भी बच्चों के बीच में ही नीचे बैठी हुई। कोई बच्चा टीचर की गोद में भी बैठा होता। सामने एक टीचर बच्चों के सामने और पेरेंट्स के बीच टेडी बियर लेकर गाने के साथ टैडी से मूवमेंट देती।बच्चे पूरी मस्ती में गाते, पेरेंट्स ग्रैंडपेरेंट्स सब बच्चों की परफॉर्मेंस का आनंद उठा रहे थे। इससे मुझे नहीं लगता किसी बच्चे में स्टेज फीयर बचता होगा। कल जब मैं दित्या के स्कूल में आई थी तो राजीव जी ने मुझे एक जगह इशारा करके बताया कि यहां बच्चे जो सामान छोड़ जाते हैं, उसे रख दिया जाता है। पेरेंट्स आकर ले जाते हैं या बच्चे खुद ही अगले दिन उठा लेते हैं। आज यहां पर स्टैंड पर बच्चों की जैकेट वगैरा हैंगर से टंगी हुई थीं और दूसरा सामान भी। पेरेंट्स इसमें से अपना सामान ढूंढ रहे थे। आज जो नहीं ले जाएंगे तो यह सब कुछ डोनेशन में चला जाएगा। म्यूजिक परफॉर्मेंस देखने के बाद पेरेंट्स घर जा रहे थे। किसी बच्चे ने उनके साथ घर जाने की जिद नहीं की। खुशी से हंसते हुए अपनी टीचर के साथ क्लास में जा रहे थे। मैं तो यहां की हर बात से प्रभावित हूं और आज तो नर्सरी किंडर गार्डन देखकर और ज्यादा प्रभावित हो गई। कल से छुट्टियां है। क्रमशः






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