मन में यही सवाल
आये कि लड़की का तो दिमाग खराब हो गया है, रात को परदेस में महिलाएं घर से बाहर जायेंगी! साढ़े दस बजे उठते ही उत्कर्षिनी बोली,’’चलो।’’ सलवार कमीज में मैं थी। दिसम्बर की आदत के अनुसार मैंने शाल ले लिया। चुपचाप
मैं गाड़ी में बैठ गई। रोड पर आते ही मैं हैरान, हम तो फिर भी माँ बेटी थीं। वहाँ तो अकेली महिलाएं गाड़ी चला
रहीं थी। हम शारजाह ऑफिस पहुँचे। सब लड़के लड़कियाँ काम में मशगूल थे। मुझे बेटी सबसे
मिलवाने गई। सबके आगे गाजर का हलुआ किया जाता, हर एक के मुंह से निकलता घर का न? और मेरे पैर छू कर गले लगते. सबसे आखिर में हम एडिटिंग रूम में आये। एडिटर दानिश खान बड़ी
लगन से अपने काम में लगा हुआ था। उसके
बराबर की कुर्सी पर बेटी बैठ गई। सोफे पर मैं बैठी। वो बोली,’’माँ आप सो जाओ। ए. सी. का तापमान बहुत कम था,
मैं शॉल ओढ़ कर सोफे पर सो गई। जब वॉल्यूम बहुत
तेज हो जाता तो मैं आँख खोल कर देख लेती फिर नींद में खो जाती। सुबह चार बजे हम घर
लौटे, अब भी अकेली महिलाओं को
मैंने ड्राइव करते देखा। ऑफिस में रात को लड़कियों को काम करते देखा। अब मैं बेटी
की तरफ से निश्चिंत हो गई। पैट्रोल पम्प से उसने कई तरह के वेज और नानवेज सैंडविच
लिये दोनो को अलग लिफाफे में रख, वेज लिफाफा मुझे ये कहते हुए पकड़ाया
कि इन पर एक्सपाइयरी डेट है, नहीं खाओगी तो
फैंकना होगा। खुद के लिए बनाओगी नहीं, किसी और ने खाना हो तो दस पकवान बना दोगी। खाना आप फैंकती नहीं इसलिये उम्मीद
करतीं हूं ,खाओगी ही। घर आते ही मुझे
दस बजे जगाने का बोल कर, वो सो गई। वही
पुराने स्टाइल से दस बजे मैंने उसे दूघ का गिलास दिया। उठते ही उसने कहाकि आज
कात्या मुले की माँ वापिस जर्मनी चली गई है। कल आपकी एक घण्टे की वॉक हो गई थी। मैं
डॉक्टर के कहे अनुसार चली हूँ। कात्या मुले को आपके बारे में सब बता दिया है। उसे बता दिया कि आप इंगलिश समझती हो पर
बोलती नहीं हो। अब मैं आपकी तरफ से बेफिक्र हो गई हूं। उससे पूछा,’’ क्या बनाउं ?’’ बोली,’’ खोया मटर की
सब्जी।’’ मैं बनाने लगी, वो तैयार होने लगी। उसके जाते ही मैंने कॉफी
बनाई, खबूस का टुकड़ा गर्म किया
और नाश्ता किया। कुछ देर में कात्या मुले की आवाज आई “नीलम नीलम” बुलाने की। मैं
बाहर आई। उसने कुत्ते की चैन पकड़ी थी। बोली चलो,’’इसे घुमाने जाना है।’’ मैं चल दी और मेरी इंगलिश स्पीकिंग क्लासिस शुरू। वह र्जमन,
फैंच और इंगलिश जानती थी। हिन्दी बिल्कुल नहीं
समझती थी। घूमते हुए वो मुझसे अ्रंगेजी में बहुत कम स्पीड से बातें करती जाती,
जिसका जवाब मैं धीरे धीरे देती, सोच सोच कर वाक्य
बना कर देती। जरा भी मैं रूकती वो रूक कर मेरी तरफ मुंह करके हाथों से प्रोत्साहित
करती। उसे मेरे जवाब बहुत पसंद थे। चालीस मिनट बाद उसके कुत्ते ने पॉटी की। उसने
पुराने अखबार से उठा कर पॉटी पॉलिथिन की थैली में डाली फिर रास्ते में जो कूड़ेदान
दिखा, उसमें डाला और हम घर की
ओर चल पड़े। गेट से हमारे घर तक उसने बोगनविलिया से छत बना रखी थी। जो दिन में
बहुत सुन्दर लग रही थी। मैं अपना सफाई का इलाका समझ गई थी। बाकि में कात्या मुले
करती थी। जाते समय वह मुझे समझा गई कि दाल जरूर खाना क्योंकि तुम वैजीटेरियन हो न
इसलिए। मैंने हाँ बोल दी। बेटी का फोन आया कि माँ सब ठीक है न। मैंने जवाब दिया कि
कात्या मुले में तो मेरी बेटी भी है और मेरी माँ भी, मुझसे कुल सात साल ही तो छोटी है। बेटी ने समझाया, मम्मी उसका कहना मानती रहना, वो बहुत अच्छी है। कुछ गलत लगे तो अपनी बात सही तर्क से समझाओगी तो बहुत खुश होती है। उसने दाल रोज खाने को बोला है। ये तो आपको
अब रोज ही खानी होगी वर्ना प्रोटीन की कमी पर आपको पूरी थीसिस सुनने के लिए तैयार
रहना है। उसके बाद प्रोटीन की कमी का टैस्ट करवाने और ले जायेगी। फोन बंद होते ही
मुझे कात्या मुले पर बड़ा मोह आने लगा। क्रमशः