अर्पणा को साल में कम छुट्टियां मिलती थीं। साल में कम से कम दो बार वो इण्डिया जरुर आती है। आज शुक्रवार था। अर्पणा ने मुझे फोन कर दिया कि मैं तैयार रहूं। वह मीटिंग में गई थी, जल्दी ख़त्म हो गई, इसलिए आ रही है। शिखा ने ठीक दो घण्टे के बाद, रेया को जगा दिया और तैयार कर दिया, साथ ही उसका बैग लगा दिया। उसके आते ही हम रेया को लेकर से मैरीना बे के लिए टैक्सी स्टैण्ड पर इंतजार करने लगे। अर्पणा की एक विशेषता है। वो किसी भी जगह के बारे में बताती जाती है। यहां पब्लिक ट्रांसर्पोट बहुत अच्छा और सस्ता है। लगभग हर पर्यटन स्थल तक बस या मैट्रो जरुर जाती है। साथ ही साइकिल लेन भी है। टैक्सी के लिए उचक उचक कर देखने की जरुरत नहीं पड़ती। स्टैण्ड से पहले उस पर ग्रीन लाइट जलने लगती है यानि वह खाली नहीं है। रैड लाइट जली होने पर वह खाली है। आप रुकने का इशारा करेंगे तो वह रुक जायेगी। मैरीना बे के रास्ते मुझे ऊँची इमारते ओर हरियाली दिख रही थी। अर्पणा बताती जा रही थी कि मासी ये क्षेत्रफल में मुम्बई से भी कम है। ये शहर देश एक ही हैै। एकदम हरा भरा देश है। किसी शहर के लिए कहते हैं कि फलां शहर में बहुत सुन्दर बाग हैं। इसके लिए कहते हैं सिंगापुर गार्डन में है। कहीं भी आप जरा सी भी गंदगी ढूंढ नहीं सकते। हम मैरीना बे पहुंचे शाम हो चुकी थी। वैसे यहां का मौसम गर्म और नम है। इन दिनो यहां मौसम बहुत अच्छा था। जिधर देखो आसमान को छूती इमारते। पानी के किनारे बहुत ही बढ़िया हवा चल रही थी। एक जैसी फिटनैस के लोग। रेया मां मासी के साथ बहुत खुश थी। लोग खुश मिजाज रेया को देखते ही बुला कर, हाथ हिला कर जाते। सफाई और लोगों की फिटनैस मुझे हैरान कर रही थी। यहां कुड़ा फैकने पर तगड़ा जुर्माना और फैकने वाले को ही कूड़ा उठाना पड़ता है। अंधेरा होते ही इमारते लाइटों से जगमगा उठी। हम लोग चल पड़े अमन रैस्टोरैंट पर हमारा इंतजार कर रहे थे। रेया प्रैम में थी। सब ओर जिधर देखो, लोग पैदल ही चल रहे थे। गाड़ियां चल रहीं थीं पर पटरियों पर पार्क नहीं थीं। वीकएंड था। अमन रैस्टोरैंट के बाहर वेटिंग में थे। रेया पापा को देख कर खिल गई। अपर्णा बोली,’’मासी मैं रेया को लेकर नर्सिंग रुम में जा रही हूं। मैंने कहा,’’मैं भी चलती हूं।’ एक रुम के बाहर नर्सिंग रुम लिखा था। उसमें हम गए। रेया के लिए र्फामूला मिल्क बनाया। उसने बोतल पी। मैं बैठी देखती रही। दीवार के साथ एक बोर्ड था। उसे खोला,’’उस पर रबर लगा टॉवल, बिछा कर रेया को लिटा कर, उसकी नैपी बदली। पुरानी डस्टबिन में डाली। र्बोड को वैसे ही दीवार के साथ फोल्ड किया। हैण्ड वाश करके हम चल दिए। रैस्टारैंट में हमारा नम्बर आ गया था। हम बताई गई टेबल पर बैठे। उन्होने रेया के लिए इन्फैंट चेयर लगाई। चाइनीज़ खाना खा कर हम चल पड़े। अपनी गाड़ी के लिए।
वन रैफलेस के पार्किंग की नौवें फ्लोर पर हमारी गाड़ी पार्क थी। लिफ्ट से नौंवी मंजिल पर जाकर गाड़ी पर पहूचे। मैं आगे बैठी। रेया को उसकी कार सीट पर बैल्ट लगा कर बिठाया। उसके साथ अर्पणा बैठी। गाड़ी से राउण्ड लगाते हुए जब ग्राउण्ड फ्लोर पर पहुँचें, तो वहाँ खूब साइकिले खड़ी!! अपर्णा बताने लगी,’’ यहां साइकिल का कहीं भी पार्किंग शुल्क भी नहीं है। हमें साढ़े तीन महीने वेटिंग के बाद ग्यारहवीं मंजिल पर पार्किंग में जगह मिली, पार्किंग शुल्क भी ज्यादा है। उस पार्किंग से दोनो का ऑफिस पास है। वहां से सिर्फ पंद्रह मिनट पैदल की दूरी है।’’अपर्णा की बाते सुनकर मुझे समझ आ गया कि यहां गाड़ी आप सड़क पर पार्क नहीं कर सकते। ये सब कानून पब्लिक ट्रांसर्पोट को बढ़ावा देने के लिए लिए है।क्रमशः