जब रावण शिवलिंग नहीं उठा सका तो वह उस दिव्य लिंग की सर्वप्रथम पूजा अर्चना करके, भगवान से उत्तम वर तो उसने पा ही लिए थे, वह लंका को चला गया। चरवाहे के भेष में विष्णु जी ने कामना लिंग को चिताभूमि जहां हृदयपीठ है, वहीं पर ही जाकर रखा था। उसी समय सभी देवताओं एवं ब्रह्मा, विष्णु आदि ने आकर रावण द्वारा लाये शिवलिंग की पूजा अर्चना की। उसकी प्रतिष्ठा कर उनका नाम वैद्यनाथ धाम रखा। इसे ’श्री श्री 1008 रावणेश्वर बाबा वैद्यनाथ धाम’ कहते हैं। हरियाली भरे रमणीक रास्ते से होते हुए हम हरिला जोड़ी पहुँचे। पहले यहाँ हर्रे के पेड़ थे। हर्रे को हरितकी भी कहा जाता है। हर्रे के दो विशाल पेड़ रह जाने के कारण इसे हरिला जोड़ी कहा जाने लगा है।
जहाँ बहुत पौराणिक कहानियां मिलती हैं। यहां भी पण्डित जी ने सुनाई।https://youtu.be/TA3BLdw3tzg
बाबा मंदिर के उत्तर दिशा में हरिला जोड़ी में स्वयंभू शिव पार्वती, श्रीराम सीता, हनुमान जी अन्य देवी देवताओं की भी मूर्तियां हैं।https://youtu.be/DoIzVaQRJqg
यह शांत और मनोरम स्थान हैं और ये लंका जाने का मार्ग है। विष्णु जी जानते थे की रावण इस मार्ग से गुजरेगा। वह पहले ही इस मार्ग पर आकर चरवाहे के रुप में ताकने लगे। इसलिये इस मंदिर का नाम हरतकी हरितकी, हरि(विष्णु) है। रावण को लघुशंका के कारण उसके उदर में बहुत तेज दर्द उठा। इस स्थान पर रावण विमान से उतरे थे। पास में एक नदी भी है जिसे रावणजोर कहा जाता है। उसे रावण की पेशाब वाली घटना से भी जोड़ते हैं। शिव भक्त, विष्णु पद के दर्शन करने जाते हैं क्योंकि परम शिव भक्त रावण ने यहाँ चरवाहे को शिवलिंग थमाया था। यानि शिव का विष्णु जी से मिलन हुआ ’हरि हर मिलन’ और यह वह स्थान है, जहाँ शिवलिंग स्थापना की योजना रची गई थी। रावणेश्वर वैद्यनाथ धाम में देशभर से आए श्रद्धालुओं की भीड मिलती है। यहाँ पर घनी हरियाली से घिरे परिवेश में अद्भुत शांति है। पण्डित जी इस स्थान से संबंधित पौराणिक कथा सुनाते हैं। पेड़ों से घिरी पगडण्डी से ले जाकर वह स्थान दिखाते हैं, जहां लंकेश ने कामना लिंग चरवाहे को कुछ समय के लिए सौंपा।
उनका सुनाने का तरीका इतना रोचक है, जैसे मैं उस दृश्य को देख रही हूं। स्थानीय लोग यहाँ खूब आते हैं। यहाँ समय बिताना बहुत अच्छा लग रहा है। यहाँ के मंदिरों के दर्शन करके हम ई रिक्शा में बैठे। प्रवीण ने कांग्रेस यादव को सबसे आगे किया।
उनका सुनाने का तरीका इतना रोचक है, जैसे मैं उस दृश्य को देख रही हूं। स्थानीय लोग यहाँ खूब आते हैं। यहाँ समय बिताना बहुत अच्छा लग रहा है। यहाँ के मंदिरों के दर्शन करके हम ई रिक्शा में बैठे। प्रवीण ने कांग्रेस यादव को सबसे आगे किया।
https://youtu.be/JuEYltLXitw
अब हम नौलखा मंदिर की ओर जा रहें हैं। कांग्रेस यादव हमें देवघर के बारे में बताता जा रहा है। अब उसके साथी रिक्शा फिर उससे आगे निकल गए। पर उन्हें आगे निकलने का कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि 12 से 2 बजे तक मंदिर बंद रहता है और अभी 2 नहीं बजे थे। बाहर मेले जैसा माहौल था जहाँ देश भर से आए, श्रद्धालू खरीदारी करके समय बिता रहे थे। हम महिलाओं ने भी चाय वाले को चाय बनाने का बोल कर आपस में बतियाना शुरु कर दिया। तेज मीठे की स्वाद चाय के साथ इस बतरस में बहुत आनन्द आ रहा था। क्रमशः