कृष्णा राज कपूर ऑडिटोरियम में 17 वां अखिल भारतीय साहित्य परिषद का अधिवेशन स्थल था, यहां से लंच करके, हम गेस्ट हाउस में जाने के लिए बाहर आए. मेरे लगेज की चाबी खो गई थी, गाड़ी लंच के लिए लेने आई थी. मैं गाउन में थी 2:30 बज रहे थे, मैं वैसे ही खाने आ गई थी, यह सोच करके कि आकर चाबी ढूढ़ूंगी. आज का ही हमारे पास समय था. अब 3:00 बज रहे थे. कल से अधिवेशन शुरू हो जाना था. एक ऑटो जा रहा था. मैंने उससे पूछा, " किला ले चलोगे? " उसने डेढ़ सौ रुपए मांगा, हम तुरंत बैठ गए. रेखा खत्री उत्तराखंड और ओड़िआ दीदी प्रतिमा उड़ीसा, से हम तीनों रीवा से परिचय करते हुए किले पर पहुंच गए. उतरते ही मैंने ऑटो वाले नितिन यादव से पूछा कि हम आज क्या-क्या देख सकते हैं. उसने कहा, " काली मंदिर, चाहुला नाथ हनुमान मंदिर और उसके बाद वह हमें ऑडिटोरियम पहुंचाएगा. इस डेढ़ सौ से अलग कुल 350₹ में, हम खुश हो गए. किले में जाते ही हम फोटो खींचने लगे और वीडियो बनाने लगे. अचानक ऊपर से आवाज आई यहां फोटोग्राफी माना है. मैंने मोबाइल पर्स में रख लिया. मैंने पूछा, " म्यूजियम कहां है?" क्योंकि मैं कहीं भी जाती हूं, अगर वहां म्यूजियम होता है तो मैं जरूर देखती हूं. उसने कहा ऊपर आ जाइए ₹50 टिकट है. हम चले गए और टिकट लिया और गाइड हमारे साथ.
13वीं शताब्दी में बघेल राजपूतों द्वारा बनाया गया, रीवा किला मध्य प्रदेश के रीवा शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है, जो अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
*रीवा किले की विशेषताएं:*
रीवा किला राजपूत, मुगल और ब्रिटिश वास्तुकला शैलियों का मिश्रण है। इसमें सुंदर नक्काशी और शिल्पकला के नमूने देखे जा सकते हैं।
यह कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है। किले में एक म्यूजियम है जिसकी टिकट ₹50 है
जिसमें प्राचीन हथियार, सिक्के और मूर्तियों का संग्रह है। गाइड सुविधा उपलब्ध है जो बहुत अच्छे से जानकारी देते हैं.
रीवा किला पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है, जो अपनी ऐतिहासिक विरासत और सुंदर वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां तस्वीर लेना और वीडियो बनाना माना है. क्रमशः
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