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Sunday, 30 November 2025

रीवा से परिचय करते हुए किले की ओर Introducing Rewa to the फ़ोर्ट नीलम भागी Neelam Bhagi

 


कृष्णा राज कपूर ऑडिटोरियम में 17 वां अखिल भारतीय साहित्य परिषद का अधिवेशन स्थल था, यहां से लंच करके, हम गेस्ट हाउस में जाने के लिए बाहर आए. मेरे लगेज की चाबी खो गई थी, गाड़ी लंच के लिए लेने आई थी. मैं गाउन में थी  2:30 बज रहे थे, मैं वैसे ही खाने आ गई थी, यह सोच करके कि आकर चाबी ढूढ़ूंगी. आज का ही हमारे पास समय था. अब 4:00 बज रहे थे. कल से अधिवेशन शुरू हो जाना था.  एक ऑटो जा रहा था. मैंने उससे पूछा, " किला ले चलोगे? " उसने डेढ़ सौ रुपए मांगा, हम तुरंत बैठ गए. रेखा खत्री उत्तराखंड और ओड़िआ  दीदी प्रतिमा उड़ीसा, से हम तीनों  रीवा से परिचय करते हुए किले पर पहुंच गए. उतरते ही मैंने ऑटो वाले नितिन यादव से पूछा कि हम आज क्या-क्या देख सकते हैं. उसने कहा, " काली मंदिर, चाहुला नाथ हनुमान मंदिर और उसके बाद वह हमें ऑडिटोरियम पहुंचाएगा. इस डेढ़ सौ से अलग कुल 350₹  में, हम खुश हो गए. किले में जाते ही हम फोटो खींचने लगे और वीडियो बनाने लगे. अचानक ऊपर से आवाज आई यहां फोटोग्राफी माना है. मैंने मोबाइल पर्स में रख लिया. मैंने पूछा, " म्यूजियम कहां है?" क्योंकि मैं कहीं भी जाती हूं, अगर वहां म्यूजियम होता है तो मैं जरूर देखती हूं. उसने कहा ऊपर आ जाइए ₹50 टिकट है. हम चले गए और  टिकट लिया और गाइड हमारे साथ.     

13वीं शताब्दी में बघेल राजपूतों द्वारा बनाया गया, रीवा किला मध्य प्रदेश के रीवा शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है, जो अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

*रीवा किले की विशेषताएं:*

रीवा किला राजपूत, मुगल और ब्रिटिश वास्तुकला शैलियों का मिश्रण है। इसमें सुंदर नक्काशी और शिल्पकला के नमूने देखे जा सकते हैं।

  यह कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है। किले में एक म्यूजियम है जिसकी टिकट ₹50 है

जिसमें प्राचीन हथियार, सिक्के और मूर्तियों का संग्रह है। गाइड सुविधा उपलब्ध है जो बहुत अच्छे से जानकारी देते हैं.

रीवा किला पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है, जो अपनी ऐतिहासिक विरासत और सुंदर वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यहां तस्वीर लेना और वीडियो बनाना माना है. क्रमशः

https://www.instagram.com/reel/DRAQUCSEif1/?igsh=MWd5bGNrY3Y5NHZyNA==

https://www.instagram.com/reel/DRoIcBWEZWY/?igsh=eGdoMHR6bmVrcHBy









Sunday, 5 October 2025

इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर आयोजित समग्र संघ साहित्य परिचर्चा उद्घाटन सत्र

 


दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने विरोधियों और शत्रुओं को अनेक बार क्षमा किया है, परंतु राष्ट्र के विरोधियों और शत्रुओं को कभी क्षमा नहीं किया।

प्रो. सिंह ने शनिवार को इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर पीजीडीएवी महाविद्यालय में आयोजित द्विदिवसीय समग्र संघ साहित्य परिचर्चा के उद्‌घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए उक्त बातें कहीं।

प्रो. सिंह ने कहा कि इस वर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सौ वर्ष पूरे हो रहे हैं। ऐसे में यह उपयुक्त एवं अनुकूल समय है जब संघ साहित्य पर परिचर्चा का आयोजन हो रहा है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मात्र व्यक्तियों का समूह नहीं है, अपितु यह एक विचार है। विचार से जुड़ने पर कभी मन में निराशा का भाव नहीं आता। संघ व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण के ध्येय को लेकर कार्य करता है।

मुख्य अतिथि के रूप में केन्द्रीय विश्वविद्यालय, सागर के पूर्व कुलाधिपति डॉ. बलवंत जानी ने कहा कि इन दिनों राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं भारतीय ज्ञान परंपरा पर चर्चा होने के चलते संघ साहित्य को मान्यता मिल रही है।

विशिष्ट अतिथि के नाते सुरुचि प्रकाशन के अध्यक्ष श्री राजीव तुली ने कहा कि संघ को ऐसे लोगों ने गढ़ा है जो रुके नहीं, टुटे नहीं, झुके नहीं और बिके नहीं। उन्होंने कहा कि सुरुचि प्रकाशन राष्ट्रीय साहित्य प्रकाशन का महती कार्य कर रहा है।

कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के अध्यक्ष डॉ. अवनिजेश अवस्थी ने कहा कि संघ के बारे में प्रामाणिक जानकारी लोगों तक पहुंचें, इसलिए हमने समग्र संघ साहित्य परिचर्चा का आयोजन किया है।

उद्‌घाटन सत्र का संचालन इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के महामंत्री संजीव सिन्हा एवं धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक प्रो. ममता वालिया ने किया।

इस अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्री मनोज कुमार, राष्ट्रीय मंत्री प्रो. नीलम राठी एवं श्री प्रवीण आर्य, पीजीडीएवी महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. दरविंदर कुमार, इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. विनोद बब्बर, उपाध्यक्ष मनोज शर्मा, मंत्री नीलम भागी, सुनीता बुग्गा, राकेश कुमार, कोषाध्यक्ष अक्षय अग्रवाल, डॉ. रजनी मान, सारिका कालरा सहित बड़ी संख्या में साहित्यकारों एवं छात्रों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

उद्‌घाटन सत्र के पश्चात् प्रथम सत्र में साहित्यकारों, प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों ने राष्ट्र, भारतबोध, धर्म एवं संस्कृति, हिंदुत्व, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, कार्यकर्ता निर्माण, संघ और स्वतंत्रता आंदोलन, संघ और सामाजिक समरसता, पर्यावरण, कुटुंब व्यवस्था, नारीशक्ति, शिक्षा सहित अनेक विषयों से संबंधित संघ विचारकों द्वारा लिखित पुस्तकों का सार प्रस्तुत किया। इस सत्र का संचालन कार्यक्रम सह संयोजक डॉ. मलखान सिंह ने किया।

संजीव सिन्हा महामंत्री इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती

https://www.instagram.com/reel/DPbfd80EZK_/?igsh=MWE2MWNhNzV1eGRmdg==