जब भी सीढ़ियां बनवाते हैं तो उसके साथ ग्रिल तो लाज़ मी लगाई जाती है क्योंकि ग्रिल सीढ़ियों से गिरने से बचाती है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों को. इस ग्रिल को बनाने के लिए मजबूती पर भी बहुत ध्यान दिया जाता है. ताकि जो इसका सहारा लेकर सीढ़ी चढ़ता या उतरता है, अगर किसी कारणवश मसलन बैलेंस बिगड़ने की समस्या के कारण, वह गिरने लगता है तो वह इसे मजबूती से पकड़ लेता है और दुर्घटना से बच जाता है. अगर यह मजबूत नहीं होगी तो यह उखड़ के उसके हाथ में आ जाएगी और व्यक्ति दुर्घटनाग्रस्त हो जाएगा. पहले मैं इन बातों पर ध्यान नहीं देती थी. एक्सीडेंट का कष्ट भुगतने के बाद इन बातों पर ध्यान जाता है. मसलन खूबसूरत ग्रिल होगी, उसके साथ बड़े-बड़े गमले सजा दिए जाते हैं. गमले लगाने का जिसका भी आईडिया होता है, वह यह क्यों नहीं सोचता कि व्यक्ति ग्रिल कैसे पकड़ कर चढ़ेगा और उतरेगा. ग्रिल लगाने का फायदा ही क्या होगा! धन का नुकसान न. गमले तो दीवार के साथ वैसे भी लग जाएंगे.
ग्रिल बनाने के लिए पहले सुंदरता और मजबूती के हिसाब से डिजाइन सोचा जाता है फिर बनवाई जाती है फिर उसको लगवाना. यानि जिस मकसद के लिए ग्रिल लगाई जाती है वो तो बेकार हो गया न. इतना धन खर्च करके उसके आगे गमले लगा दिए जाते हैं. ठीक है जिन्हें ग्रिल की जरूरत नहीं है, वे न इस्तेमाल करें लेकिन कुछ लोगों का तो ग्रिल आत्मविश्वास होता है और वे उसके बराबर चढ़ते उतरते हैं ताकि जरूरत पड़े तो झट से उसको पकड़ कर गिरने से बचें. कुछ स्थानों पर तो मैंने देखा जहां पर ढाल है वहां पर ग्रिल के बाजू में कारपेट लगा दिया जाता है ताकि कोई गिरे नहीं और अगर गिरे तो ग्रिल का सहारा ले ले.
सीढ़ी के साथ ग्रिल लगाना एक अच्छा विचार है, जो सुरक्षा, स्थायित्व और सौंदर्य को बढ़ाता है पर उसके आगे गमले लगाने वाले!!





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