अपनी ज़ीरो फ़िगर के साथ जब मैं अपने ग्रेट डेन कुत्ते को हाज़त रफा करवाने ले जाती हूँ। तो दो काम मेरे एक साथ हो जाते हैं। पहला तो कुत्ते का जरुरी प्राकृतिक क्रिया से फ़ारिग होना, दूसरा इसी बहाने मेरा नियमित सैर करना। मैंने अपने लवली कुत्ते का नाम भी कुत्ते रखा है। ये नाम बहुवचन है। उसी तरह जैसे कुछ लोग अपने को मैं कहने की बजाय हम कहते हैं। मैंने ऐसा महसूस किया है कि मैं जब भी कुत्ते को घुमाने ले जाती हूँ तो न जाने क्यों लोग हमें मुड़ मुड़ कर जरुर देखते हैं और वे जल्दी से हमसे दूर भागने लगते हैं। मैंने उत्कर्षिनी से इसका कारण पूछा उसने जवाब दिया "आपकी ज़ीरो फिग़र और मरीज़ा सूरत केे के कारण लोग मुड़कर नहीं देखते, वे यह देखने के लिए देखते हैं कि आप कुत्ते को घुमा रहीं हैं या ये गधे के साइज़़ का कुत्ता आपको घुमा रहा है।" अपने लिए मरीज़ा शक्ल सुन कर गुस्सा तो मुझे बहुत आया पर मैंने गुस्सा थूक दिया और इसमें से भी नसीहत ले ली। अब मैं मेकअप लगा कर कुत्ते को घुमाने जाती हूँ ताकि मैं मरीज़ा शक्ल की न दिखूं।
हुआ यूँ कि कल मैं दातून के साइज़ की डंडी हाथ में ले कर कुत्ते को घुमा रही थी। कुछ समय से उत्कर्षिनी का कंधा डिस्लोकेट था। काफी इलाज के बाद अब वो ठीक हुई थी। एक महीना हाॅस्पिटल में रहने के बाद आई थीं। वो सामने से आ रहीं थीं और मैं कुत्ते को घुमा रही थी। अचानक कुत्ते उनकी ओर झपटा। मैं उसे खींच रही थी पर उसने मुझे ही खींच लिया। उत्कर्षिनी ने चीख कर. झटके से दोनों हाथ ऊपर किये। कुत्ते ने आगे के दोनों पैर उनके कंधों पर रख दिए। उसने चीख चीख कर सारा शहर सिर पर उठा लिया। ये सारा काण्ड मेरे घर के आगे ही हुआ था। चीख सुनते ही पापा दौड़ते हुए आये। उन्होंने उसी की चेन से कुत्ते की पिटाई कर, उसे घर पर ले आये। पता नहीं कैसे डर कर उत्कर्षिनी ने बाँह उठाई थी कि उनका कंधा फिर से डिस्लोकेट हो गया। अब उनका लेक्चर चालू "अरे कुत्ता पालना है तो उसकी नस्ल के जैसा घर भी तो होना चाहिये। ऐसे कुत्ते तो फाॅर्महाउस या खेतों में पाले जाते हैं' फसलों को जानवरों से बचाने के लिए। आप कुत्ता पालते हो आपको डर नहीं लगता, हमें तो लगता है न। अगर मुझे काट लेता तो!!" मैंने चैन की सांस ली कि चलो काटा तो नहीं। अब मुझे उत्कर्षिनी पर बहुत गुस्सा आया। काटा भी नहीं और मेरे कुत्ते को पिटवा दिया। मेरा प्यारा कुत्ते पता नहीं क्यों लोगों को भयानक लगता है!! सब उससे दूर रहते हैं। वो चेन से बंधा हुआ सबको देखता रहता है। क्या पता वो उत्कर्षिनी का हाल पूछने गया हो क्योंकि काफी दिनों से उसने उन्हें देखा जो नहीं था न। अब सोच रहीं हूँ कि घर बदलूं या कुत्ते को।
नीलम भागी
2 comments:
अति उत्तम
आभार आपका
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