थका हुआ चुम्मू गहरी नींद सो रहा था। मैं भी सो गई। उसके उठते ही श्वेता ने मुझे चाय बनाकर जगाया। चाय खत्म होते ही हम डिनर के लिये चल दिये। परसों सुबह नौ बजे की राजधानी से हमें वापिस लौटना था। बेहद स्वाद काजू की सब्जी का राज जानने के लिये मैं उसी रैस्टोरैंट में खाने आई और काजू की सब्जी धीरे धीरे स्वाद लेकर खाई। उसमें हल्का सा मिठास समझ नहीं आ रहा था। अमृतसर की ड्राईफ्रुट्स की सब्जी की मिठास तो किशमिश के कारण होती है। इसमें तो किशमिश का दाना भी नही तो फिर कैसे!! मैं कुक के पास गई उसे कहा कि मुझे सिर्फ ये सब्जी सीखनी है, रैस्टोरैंट नहीं खोलना। उसने कहा कि अब तो रैस्टोरैंट के बंद होने का समय है, कल आ जाना आपका आर्डर आपके सामने बना दूंगा। अंकूर ने कहा,’’माँ मुंह खोलना।’’ मैंने खोला, उसने मेरे मुंह में एक भर के चम्मच ग्रेवी का डाल दिया। उसे निगल कर मैंने पूछा,’’ये क्या था।’’ बोला चिकन जकौटी की ग्रेवी थी। मैं बोली,’’शाकाहारी ब्राह्मणी को तूने क्यों खिलाया?’’ वह बोला कि आपको ग्रेवी का स्वाद पता होगा, तो आप वैसी बना कर किचन से बाहर आ जाओगी, तो मैं उसमें चिकन डाल दूंगा। अब मैं उसका स्वाद सोचने लगी पर दोबारा चखने की इजा़ज़त मेरे संस्कारों ने नहीं दी। लंच के समय मैं रैस्टोरैंट की किचन में पहुँच गई। कुक ने कहाकि मात्रा आप अपने सदस्यों के हिसाब से कर लेना। उसने कड़ाही में थोड़ा सा कुकिंग ऑयल डाल कर, उसमें साबूत काजू गोल्डन होने तक तल कर निकाल लिये। उसी तेल में थोड़ा सा जीरा डाला, जो तुरंत लाल हो गया। फिर उसमें प्याज का पेस्ट डाला। अब मिक्सी के चटनी पीसने वाले जार में भीगे काजू के टुकड़े और थोड़ी भीगी खसखस और टैण्डर कोकोनट का पेस्ट बनाया। जब प्याज ने घी छोड़ दिया, तो उसमें बारीक कटा टमाटर डाल दिया। इसने जब घी छोड़ा तब इसमें काजू पेस्ट डालकर साथ ही हल्दी, मिर्च और धनिया पाउडर डालकर थोड़ा सा भूना, घी छोडने का इंतजार नहीं किया। ग्रेवी तो शाही पनीर की तरह होती है। अब इसमें थोड़ा सा पानी और गरम मसाला डाल कर, ढककर उबलने रख दिया। मैंने पूछा गरम मसाले में क्या क्या था? उसने मेरे आगे खड़े मसाले का डिब्बा कर दिया सभी वही मसाले थे जो मैं इस्तेमाल करती हूँ, बस उसमें फुलचक्री थी। उबलते ही गैस बंद कर दी गई। अब उसमें अमूल क्रीम और तले साबूत काजू मिला कर, प्लेट में डालकर कुछ काजू और धनिया पत्ती से सजा दिया। मिठास का राज अमूल क्रीम था। लौटे तो बेटी उत्तकर्षिनी का फोन आ गया कि उसने परसों मेरी फ्लाइट मुंबई की करा दी है। अंकूर श्वेता की छुट्टियाँ नहीं थी। अंकूर मेरी रिर्जवेशन कैसिंल करवाने में लग गया।
कैंडोलिम बीच से कुछ दूरी पर अगौड़ा किला और अगौड़ा बीच है। ये हमारे देश की सबसे उचित रखरखाव वाली धरोवरों में से एक है। 1609 में यह बनना शुरू हुआ और 1612 में तैयार हुआ।
4 comments:
Wonderful
Nice
धन्यवाद सिमिरा
Thanks
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