Search This Blog

Wednesday 7 August 2019

ख़िल उठी वो कली, पाया रूप नया उसने तो प्यार किया है न! Usney Toh Pyar Kiya Hai Na!! Part 8 Neelam Bhagi नीलम भागी


लॉरेंस बाथरूम में पता नहीं कितना लम्बा चेंज कर रहा था। मैं भी उझल कूद मचा कर शांत होकर लेटी हुई टी. वी. देखने लगी। आखिरकार बाथरूम का दरवाजा खुला, उसने ताजी शेव की हुई थी, जिसके आफ्टर शेव लोशन की महक ने कमरा भर दिया और काले नाइट सूट में लॉरेंस प्रकट हुआ। मैंने पहली बार उसे इस रूप में देखा और उसे देखती की देखती रह गई। शायद मुझे ऐसा करता देख कर ही, उसने अपना मुंह टी. वी. की ओर कर लिया और मुझसे बोला,’’तुम भी चेंज कर आओ।         
  मैं तो फटाफट चेंज कर आई थी। मुझे देखते ही लॉरेंस एक दम बैड के किनारे हो गया और एक तकिया दूसरे किनारे पर करके बोला,’’आओ।’’मैं मंत्रमुग्ध सी वहाँ जाकर बैठ गई। उसने तो मेरी तरफ देखा भी नहीं क्योंकि उसका ध्यान तो टी. वी. पर था। अब मैं भी टी.वी. देखते देखते वहीं पसर गई और एक चादर डाल कर, लेटे लेटे टी. वी. देखने लगी। कमरे में ए.सी.का तापमान बहुत कम 18 डिग्री था। मैं सीधी लेटे लेटे थक गई थी इसलिये लारेंस की तरफ पीठ करके करवट से लेट गई। चादर ए.सी. की ठण्डक नहीं झेल पा रही थी। लॉरेंस को न जाने कैसे पता चला, उसने मेरे ऊपर कंबल फैला दिया और वैसे ही मुझसे दूरी बना कर लेट गया। कुछ देर तक टी. वी. देखता रहा फिर कमरे की लाइट ऑफ कर दी और टी.वी. का वाल्यूम बंद कर दिया। कमरे में र्सिफ टी. वी. स्क्रीन की रोशनी थी जो मेरी सांसो के साथ घट बढ़ रही थी। अचानक कमरे के मौन को लॉरेंस की गंभीर आवाज ने भंग करते हुए मुझसे पूछा,’’काजल, तुम जिंदगी भर के लिये मेरे साथ रहना पसंद करोगी।’’ अरे! उसने तो वही पूछा जो मैं चाह रही थी पर मेरे मुंह से जवाब नहीं निकला। फिर उसने कहा कि तुम्हारे चुप रहने को मैं हां समझूं क्योंकि तुमने न भी तो नहीं किया है। कुछ देर बाद उसने मेरे बालों को सहलाना शुरू किया। मुझे अच्छा लग रहा था। अब वह मेरे पास खिसक आया और धीरे धीरे मुझे सहलाता रहा। मुझे कुछ भी बुरा नहीं लग रहा था। क्योंकि मैने तो उसके साथ रहने की मौन स्वीकृति दे दी थी। उसका स्पर्श मुझे अच्छा लग रहा था। धीरे धीरे लॉरेंस मुझमें समाता जा रहा था। मुझे तकलीफ हो रही थी पर मैं लॉरेंस की खुशी के लिये मुंह से सी भी नहीं कर रही थी क्योंकि मैं उसे प्यार जो करती थी। एक बार भी हाय हू करती तो लॉरेंस हट जाता, मुझे कष्ट तो वह दे ही नहीं सकता था न। उसकी खुशी के लिये मैं सब कुछ सह सकती हूँ। इस सर्मपण के बाद वह गहरी नींद सो गया। अब टी.वी. भी बंद हो चुका था। मैं उठ कर टॉयलेट गई। शीशे में अपने आप को देखा। जब लॉरेंस को मन सौंपा था तब भी मुझे अपना चेहरा अलग लगा था। और अब तन और मन दोनों सौंप कर मैं अपने आप को बदला महसूस कर रहीं हूं। आकर मैं उसकी कस कर बांह पकड़ कर उसके बराबर लेट जाती हूं और मैं भी नींद के आगोश में चली गई थी, ऐसी नींद मुझे पहले कभी नहीं आई थी।
सुबह ब्रेकफास्ट के लिये लारेंस ने तैयार होकर मुझे जगाया। वह बोला,’’बेबी, ब्रेकफास्ट करके फिर सो जाना।’’ बड़ी मुश्किल से मैं उठी तैयार होकर लॉरेंस की बांह में बांह डाल उसके सहारे से चली। बहुत बड़ी जगह में इंटरनैशनल बुफे लगा था। कूकिंग काउण्टर भी बने हुए थे। हम आमने सामने बैठ गये। उसने मुझे कहा,’’बेबी जो खाना हो ले आओ या मुझे कहो मैं ले आता हूँ।’’ जवाब में मैं बोली,’’जो लाओगे मैं खा लूंगी पर मै नहीं उठूंगी।’’ लारेंस मुस्कुराते हुए उठा, वह बहुत सोच सोच कर कई वैराइटी थोड़ी थोड़ी लाया। तब भी बहुत खाना था। उसका कहना था कि वह चौथाई वैराइटी भी नहीं ला पाया। आमने सामने हम, बीच में मेज पर खाना लगाने में वेटर ने भी हमारी मदद की और हमारे पास खड़ा, हमारे आर्डर भी पूरे कर रहा था। मैं खा रही थी और आसपास नजरे दौड़ा कर सैलानियों को देख रही थी। ज्यादातर वहाँ हनीमून पर आये जोड़े थे। ये देख मुझे लॉरेंस पर और भी प्यार आने लगा। वो इसलिये की हमारा कोई संस्कार तो हुआ नहीं था। तभी उसने दोनो बार संबंध बनाते हुए प्रिकॉशन का इस्तेमाल किया। गर्म कॉफी पीकर भी मैं चुस्त नहीं हुई। अब हम फिर रूम में आ गये। लॉरेंस ने प्लानिंग कर ली कि कहाँ कहाँ घूमने जाना है। मैंने कहाकि मैं बस सोउंगी। सुनकर वह मुस्कुराया और बोला,’’तुम सोओ मैं स्पा के लिये जाता हूँ।’’ और वो चला गया। मैं फिर सो गई।
    पता नहीं वो कब लौटा। जब उसने मुझे जगाया तो वह तैयार था। मुझसे बोला,’’तैयार हो जाओ घूमने चलते है। मैं अनमनी सी तैयार हुई। फिर उसने मेरा कूकिंग का शौक जान कर कहा कि यहाँ कूकिंग की कक्षाएं चलती हैं। तुमने कोई डिश सीखनी हो तो! मेरा जवाब न में था। चावल के खेतों से घिरा उबुद, केमपूहन रिज वॉक करीब एक किलोमीटर पैदल चलने का ट्रैक है जहाँ हरा भरा जंगल और चावल के खेत देखने लायक है। मैं तो इतने में ही बहुत थक गई थी। बाहर ही खाना खा कर होटल आये। मै लॉरेंस से भविष्य की प्लानिंग करना चाहती थी लेकिन वो थोड़े समय में बाली घुमाना चाहता था। वो घुमाता रहा, मैं घूमती रही। वो दर्शनीय स्थलों के बारे में बताता रहा और मैं सुनती रही। बस दो ही बातें मुझे याद रहीं कि यहाँ मंदिर हैं और रामायण का मंचन होता है। हमारे लौटने का समय हो गया। इस बार लॉरेंस से अलग होते हुए मुझे  बहुत कष्ट हो रहा था। उसने कहा कि शाम को मिलते हैं। अब तो शाम का इंतजार रहता है। यह पढ़ कर मेरी चिंता दूर हुई। भगवान का लाख लाख धन्यवाद् किया.   क्रमशः

No comments: