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Thursday 1 August 2019

एक तलाक़ ऐसे भी!! नीलम भागी Ek Talaq Aise Bhi!! Neelam Bhagi



  कल दोपहर को मेड ने बताया कि उसे ग्यारहवीं में पढ़ने की उसके अब्बू ने इजाजत दे दी है। अब वो आगे पढ़ेगी। कल उसकी मामूजात बहन शन्नो, बेबी के लिए आयेगी। आज पहली बार मैं उससे मिलूंगी। नौ बजे डोर बैल बजी। मैंने दरवाजा खोला। काले बुर्के में एक लड़की खड़ी थी। जिसकी गज़ब़ का आई मेकअप किए सिर्फ ख़ूबसूरत आँखें दिख रहीं थीं। वह बेबी बेबी करती अन्दर आई। सामने बेबी को देखते ही राइम गाती जा रही थी और बुरक़ा उतारती जा रही थी। बेबी मटक मटक कर अपनी प्रतिक्रिया दे रही थी। शन्नो से बेबी एकदम घुलमिल गई। सुबह नौ से रात नौ बजे तक बेबी को सम्भालना, जितने घण्टे उतने हजार और खाना नाश्ता। वह हमेशा हंसती रहती थी। सोसाइटी में बेबी को प्रैम में बिठा कर रोज़ घूमाने जाती या हमारे साथ घूमने जाती तो कभी बुरक़ा नहीं पहनती। उसकी माँ और रिश्ते की बहने जिसकी जगह ये काम पर लगी है, वे बुरका नहीं पहनतीं पर ये पहनती है। कई बार मेरे मन में यह प्रश्न उठता था की इससे पूंछूं!! फिर यह सोच कर चुप लगा गई कि ये इसका पर्सनल मामला है। बाहर जाते समय तो मेकअप लाजवाब करती, हेयरस्टाइल देखने लायक होता तब बेबी उसे देख कर बहुत खुश होती। बेबी उसे इतना प्यार करती थी कि जब वह रात को घर जाती तो बेबी रोती थी। बेबी जब दोपहर को सोती तब वह मोबाइल में लगती या आराम करती, उस समय उसका ख़ूबसूरत चेहरा बड़ा उदास होता था। बेबी का जन्मदिन प्ले स्टेशन में मनाया गया। उसने ड्रेस कोड सुन लिया। वैसी ही ड्रेस, बड़े बड़े इयरिंग के साथ पहन कर आई। अठारह साल की शन्नो बेबी को गोद में लेकर खिलखिला कर बच्चों के साथ खेल रही थी। ये देख मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं कमरा बंद करके अपने काम में लगी रहती। मीटिंग में जाती तो बेबी मेरी तरफ देखती भी नहीं थी। पर आज शन्नो बिना आई मेकअप के एकदम उदास बैठी रही। बेबी भी खिलौनो से चुपचाप खेलती रही। इतनी ख़ामोशी मुझे ख़लने लगी। बेबी के सोने पर वह अपने लिये गर्म रोटी सेकती है। बीच में चाय पीती है तो मुझसे पीने को पूछती है। आज रोटी भी नहीं सेकी। मैंने पूछा,’’खाना क्यों नहीं खा रही?’’वह बोली,’’भूख नहीं है।’’मैंने पूछा,’’तबियत ठीक है!’’जवाब में उसकी बड़ी बड़ी आँखों से, मोटे मोटे आँसू गिरनेे लगे। मैंने गिरने दिए और उसकी पीठ पर हाथ फेरती रही। जब वह खूब रो ली तो मैंने पूछा कि अब बता तूं क्यों रोई? बात करने से मन हल्का होता है। उसने व्हाट्सअप खोला, एक दुल्हा दुल्हिन की डिपी दिखाई, दोनो की कुछ तस्वीरें और बोली कि उन्होंने दूसरा निकाह कर लिया। मैंने पूछा,’’किसने?’’शन्नो बोली,’’मेरे शौहर ने, तस्वीरें भी उसने भेजी हैं। दुख इस बात का है कि मेरी जेठानी जो मेरी सहेली की तरह है। उसने रात फोन पर बताया कि यू.पी. के किसी गाँव में निकाह हुआ है। पर तूं ख़ुशनसीब है कि तुझे शाकिर ने तलाक़ नहीं दिया।’’मैंने पूछा,’’शाकिर कैसा है?’’वो बोली,’’दीदी लंगड़ा है और बहुत मोटा है।’’ मेरा मतलब है कि कैसा इनसान है? अब वह बोलना शुरु हुई,’’ शाकिर के वालिद की मीट की दुकान है और अपना प्लैट है। मुंबई में अपना ठिया और प्लैट होना बढ़ी बात है। शाकिर दो भाई और एक बहन है। ननद डॉक्टरी पढ़ रही है। इनके घर में हमारी पड़ोसन जमीला झाड़ू पोछा, डस्टिंग और बर्तन साफ करने का काम करती थी। एक दिन उसका कुछ सामान, मैं वहीं देने चली गई। तो मेरी सास ने उससे मेरे बारे में पूछा। उसने उसे बताया कि हमारा खानदान बच्चा रखने का काम करता है। थोड़ी सी अंग्रेजी जानने वाली मेरी सास ने उसे कहा कि इस बेबी सिटर की माँ को कल लेकर आना, शन्नो के रिश्ते का पैग़ाम देना है। शाम को जैसे ही अम्मी काम से लौटी, जमीला ने ख़ुशख़बरी दी। अम्मी तो रात में ही जमीला को लेकर गा़ेश्त खरीदने शाकिर की दुकान पर पहुँच गई। दुकान पर ग्राहकों की भीड थी़, शाकिर देखने में ठीक था पर मोटा बहुत था। अपनी दुकान में उसका रोज़गार देख कर अम्मी ने मोटापे को नज़रअंदाज कर दिया। अगले दिन खुशी, खुशी उनके घर गई तो सास ने तीन बैड रुम के फ्लैट में अम्मी को घुमाया। अम्मी को सब पसंद आ गया तो अम्मी के मुंह से हां सुनते ही सास ने जमीला से पूछा कि तूने इनको शाकिर की टाँग में ख़राबी के बारे में बताया। उसने कहाकि मैंने शाकिर दिखा दिए, वो ग्राहक अटैंड कर रहे थे। मार्किट में बैठते हैं जब चाहें देख लें। मैं भी दो भाइयों की इकलौती बहन हूँ पर हम स्लम में रहने वाले हैं। अम्मी ने हाँ बोल दी। अम्मी ने मुझे समझाया कि मोटापा मीट कम खाने से कम हो जायेगा, रही टाँग की बात, उसे तूं देख ही मत। शादी हो गई। मेरा जेठ हसन परिवार के अनुसार नालायक बेटा था क्योंकि वो अपनी बीबी के कहने में था। शाकिर में कमी होने पर भी मम्मी ने उसकी मेरे जैसी सुन्दर लड़की से शादी करवाई। मेरे घर में आते ही जमीला को काम से हटा दिया। शाकिर ने मम्मी को कहा कि मैं हसन जैसा जोरु का ग़ुलाम नहीं बनूंगा। बीबी कैसे रक्खी जाती, ये तुम सब को दिखा दूंगा। अब ठीक से चला तो उससे जाता नहीं था पर उसकी जुबान बहुत चलती थी। मुझमें इतनी कमियां थी जो आज तक किसी को पता ही नहीं थी, शाकिर ने ही सब निकालीं। दुकान से आते ही वह मम्मी से मेरी दिन भर की रिर्पोट लेता था। मुझे नहीं पता कि मुझसे कहाँ गलती हुई? उसके अनुसार औरत पैर की जूती होती है और जूती की कभी कभी मरम्मत होनी चाहिए। इसलिए मम्मी मुझे पकड़ कर उसके आगे करतीं और वो मेरी मरम्मत करता था। जेठानी मुझे हमदर्दी में कहती कि शादी के बाद लंगड़े की तो तीसरी टांग उग आई है। इसके लिए तो इसके जैसी कोई आती तो ये शायद ऐसा न करता। शाकिर साथ में धमकी और देता कि तुझे तलाक देे दूंगा। मैं मन में कहती कि दे, तुझ जैसे कसाई से तो पीछा छूटेगा पर नहीं देता। ऐसी ज़िन्दगी से तंग आकर मैंने स्युसाइड कर लिया। समय पर मुझे नर्सिंग होम में ले गए। काफी कोशिश के बाद मैं बची। मैंने कह दिया मैं उस कसाई के पास नहीं जाउंगी। आपके उन्नीसवें माले पर बेबी सम्भाल रही थी। उनका बेबी स्कूल जाने लगा तो आपके यहाँ आ गई हूं। शाकिर मुझे मैसेज करता है कि तूं काम छोड़ दे, हमारे खानदान की बेइज्ज़ती होती है, तेरे आया के काम करने से। नही तो मैं दूसरा निकाह कर लूंगा। अब उसने कर लिया। मैंने कहाकि तो तूं क्यों रो रही है? तूं क्या उसके साथ रहना चाहती थी तो चली जाती, तुझे कोई रोक नही सकता था। तुझे रोक रहा था, उसका बुरा बर्ताव। शन्नो बोली कि मैंने उसे आज मैसेज किया कि अब तूं मुझे तलाक दे दे क्योंकि मैं आया का काम नहीं छोड़ूंगी और तुझे नई बीबी भी मिल गई है। उसका जवाब आया कि मैं चार शादियां कर सकता हूं। तुझे तलाक नहीं दूंगा, न ही खुल्ला दूंगा। हमारे उधर के मौलवी ने कहा कि जो लड़कियां हिज़ाब में रहतीं हैं। उनकी शादी अच्छी होती है। इसलिए मैं घर से आते जाते नकाब में रहती हूं। ये सुनकर मुझे अच्छा लगा कि इसे उम्मीद है कि इसकी दूसरी शादी अच्छी होगी। बात करने से मन हल्का होता है। खाने का समय था। मैं उसके लिए रोटी सेकने लगी तो मुझे हटा कर खुद बनाने लगी। ड्राइंग रुम में बेबी सो रही थी, मैं उसके पास ही बैठ गई। ये सोचकर कर कि जब ये खाना खा लेगी तभी अपने कमरे में जाउँगी। ओपन किचन है, मेरा ध्यान शन्नो पर ही लगा था। अचानक गैस से बाहर आग देख कर मैं उसकी ओर दौड़ी। गैस बंद की, पानी डाला, आग बुझाई। उसने बताया कि वो हमेशा चकले के नीचे पुराना अखबार बिछा कर रोटी बेलती है ताकि फालतू सूखा आटा अखबार पर ही गिरे। रोटी बनाने के बाद वो अखबार डस्टबिन में फैंक देती है। आज वो इतनी दुखी थी कि अखबार बिछाते समय उसका एक सिरा गैस के बर्नर को छू रहा था। आग फैलने पर उसे मैंने हटाया। मैं न होती तो पता नहीं क्या काण्ड हो जाता। जब तक उसने खाना नहीं खाया, मैं उसके सामने बैठी रही। उसे मना कर दिया कि तूं चाय नहीं बनायेगी। बेबी के उठने पर मैं अपने काम पर लगी और शन्नो बेबी के साथ। शाम को चाय बना कर, मैं भी अपना चाय भेल लेकर उसके पास बैठ गई। मेरी बनाई भेल में हमेशा वो बारीक कतर कर, हरी मिर्च और डालती है। आज बेमन से निगल रही थी। मैंने उसे कहाकि तूं सबसे कह दे कि तुझे शादी करनी है। शाकिर के साथ नहीं रहना है तो कोई न कोई रास्ता निकल जायेगा। शन्नो ने जैसे ही ये बात कही, उसकी फूफी अपने बेटे अनवर के लिए तैयार हो गई। अब शन्नो एक घण्टा पहले आकर लॉबी में बैठ कर अनवर से फोन पर बतियाती। उसका कहना था कि सोसाइटी में तो बिना पास के कोई आ नहीं सकता था। घर और रास्ते में शाकिर की बीबी से कोई बात करे, उसे ग़वारा नहीं था। बेबी के समय में वह किसी से फोन नहीं करती, उसके सोने पर ही मैसेज़ करती, देखती है। इसी इम्प्रैशन से तो उसके पास नौकरी की कमी नहीं है और एक शौहर बनने को तैयार है। अब वह पहले से ज्यादा खिलखिलाने लगी। आज उसकी कजन उसके साथ बेबी को सम्भालने आई। क्योंकि उसकी शादी थी। फूफी ने कहाकि एक महीना तूं मौज कर, तब तेरा काम सज्जो देखेगी। मैंने उसे कमरे में बुलाकर पूछा कि शाकिर ने तलाक कैसे दिया? शन्नो बोली,’’दीदी वो न पढ़े लिखें हैं और हम लोग हैं गवार। हमारे नगर में तो सब देश की कामवालियां ही रहतीं हैं। हमारे में आपस में भाईचारा बहुत है। जब मैंने मरने की कोशिश की, तभी से पड़ोसियों में बहुत गुस्सा है। शाकिर जब दोपहर लंच करने घर पहुंचा तो फूफी सब को लेकर मेरे ससुराल पहुंच गई। उन्होंने मेरी सास से कहाकि कि हम पढ़ी लिखी नहीं हैं कि अन्दर बैठ के रो लेंगी। तूने हमारी बच्ची के साथ बहुत बुरा किया है। तूं अपनी बेटी को जितनी मरज़ी डाक्टरी पढ़ा ले, हम घर घर इसकी ऐसी बदनामी करेंगी कि कोई ज़लील ही इससे शादी करेगा और वो ज़िल्लत की जिंदगी जियेगी। बेटे से कह कि तलाक दे। शाकिर उसी समय ठुमके लगाता आया और बोला,’’ नहीं दूंगा क्या कर लोगी?’’जमीला बोली,’’ इज्जत से कह रहीं हैं, खुला की इजाजत दे, नही ंतो हमें तुझ जैसे को ठीक करना आता है। तूं इज्जतदार बनता है। हम हैं मेहनत की खाने वालियां, हम कोई क़ायदा कानून नहीं जानतीं। हमारा तो एक ही हथियार है।’’ और झाड़ू की ओर इशारा किया। बुआ बोली,’’झाड़ू मारती जायेंगी, तूं तलाक बोलता जायेगा। छ बार बोल दिया तो इस बच्ची(दुसरी बीबी) से भी हो जायेगा। शाकिर बोला,’’ पुलिस बुलाता हूं।’’सब कोरस में बोलीं,’’ बुला, हमारी मैडम सर लोग छुड़ा लायेंगे क्योंकि सबके घर में बहन बेटियां होतीं हैं पर तुम्हारे खानदान को कोई कामवाली नहीं मिलेगी।’’ मम्मी ने कहा तो उसने दे दिया। अब मेरी अनवर से शादी है। बेबी को सज्जो देखेगी और मैं उसका खिला चेहरा देखती रही। आज उसके चेहरे पर अद्भुत लुनाई थी जो दुल्हन बनने से पहले साधारण नैननक्श की लड़की को भी  असाधारण

बना देती है। शन्नो तो बहुत ही खूबसूरत है। 

                                  

बहुमत मध्यप्रदेश और छतीसगढ़ से एक साथ प्रकाशित समाचार पत्र में प्रकाशित ये रचना

2 comments:

डॉ शोभा भारद्वाज said...

घरेलू कार्यों में व्यस्त रही कुछ इंटरनेट की समस्या बहुत मुस्लिम समाज की बेटियों की आँखें खोलने अधिकार के लिए लड़ने का लेख बेटे से कह कि तलाक दे। शाकिर उसी समय ठुमके लगाता आया बोला,’’ नहीं दूंगा क्या कर लोगी?’’जमीला बोली,’’ इज्जत से कह रहीं हैं, खूलाह की इजाजत दे, नही तो हमें तुझ जैसे को ठीक करना आता है। तूं इज्जतदार बनता है। हमें नहीं पता कोई काय़दा कानून ,हम हैं मेहनत की खाने वालियां, हमारा तो एक ही हथियार है।’’

Neelam Bhagi said...

धन्यवाद