हमारी त़ख्ती पोतना, स्याही बनाना, कलम की नोक बनाना, दादी ने अपने हाथ में ले रक्खा था। अम्मा को आदेश था कि जो भी किताब पढ़नी है, रात को बच्चों के पढ़ते समय पढ़ो और इनका ध्यान रखो कि ये समय र्बबाद न करें। किताब में रख कर कहानियों की किताब न पढ़ें। इसलिए बहू, शादी के समय मैंने तेरी पढ़ाई देखी थी, तेरा काला रंग नजरअंदाज कर दिया था। दादी द्वारा शुरु की गई परिवार में ज्ञान परंपरा के परिणाम दिखने लगे थे। एम.ए. में पढ़ने वाली बड़ी बहन के लिए कोई रिश्ता आता तो दबंग दादी का जवाब होता,’’अभी पढ़ रही है।’’रिश्तेदार अम्मा को समझाते की पिताजी की रिटायरमैंट तक चारों बेटियों की शादी करक,े गंगा नहाओ। पर दादी का तर्क था कि बहु पढ़ती हुई आई थी, मुझे इसे आगे पढ़ाना चाहिए था, तो ये टीचर बनती। दीदी ने बी.एड में प्रवेश लिया साथ ही पालमपुर में कॉलिज में एप्लाई कियां था। पिता जी के साथ जाकर इंटरव्यू दिया था। नौकरी मिल गई पर दादी ने जाने नहीं दिया। उनका तर्क था कि इक्कीस साल की लड़की को अकेले नहीं छोड़ना है। कोई साथ रहेगा तो मेरे बेटे को दो दो घर देखने पड़ेंगे और पोती को बी.एड. पढ़ाई छोड़नी पढ़ेगी। बी.एड. के बाद घर के पास ही नौकरी करेगी। दीदी को डिग्री कॉलिज की नौकरी न ज्वाइन करने का दुख होता था। क्रमशः
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Friday, 14 February 2020
दबंग दादी !! भारतीय दृष्टिकोण और ज्ञान परंपरा भाग 4 नीलम भागी Dabang Dadi Bhartiye Drishtikon Aur Gyan ke Parampera part 4 Neelam Bhagi
हमारी त़ख्ती पोतना, स्याही बनाना, कलम की नोक बनाना, दादी ने अपने हाथ में ले रक्खा था। अम्मा को आदेश था कि जो भी किताब पढ़नी है, रात को बच्चों के पढ़ते समय पढ़ो और इनका ध्यान रखो कि ये समय र्बबाद न करें। किताब में रख कर कहानियों की किताब न पढ़ें। इसलिए बहू, शादी के समय मैंने तेरी पढ़ाई देखी थी, तेरा काला रंग नजरअंदाज कर दिया था। दादी द्वारा शुरु की गई परिवार में ज्ञान परंपरा के परिणाम दिखने लगे थे। एम.ए. में पढ़ने वाली बड़ी बहन के लिए कोई रिश्ता आता तो दबंग दादी का जवाब होता,’’अभी पढ़ रही है।’’रिश्तेदार अम्मा को समझाते की पिताजी की रिटायरमैंट तक चारों बेटियों की शादी करक,े गंगा नहाओ। पर दादी का तर्क था कि बहु पढ़ती हुई आई थी, मुझे इसे आगे पढ़ाना चाहिए था, तो ये टीचर बनती। दीदी ने बी.एड में प्रवेश लिया साथ ही पालमपुर में कॉलिज में एप्लाई कियां था। पिता जी के साथ जाकर इंटरव्यू दिया था। नौकरी मिल गई पर दादी ने जाने नहीं दिया। उनका तर्क था कि इक्कीस साल की लड़की को अकेले नहीं छोड़ना है। कोई साथ रहेगा तो मेरे बेटे को दो दो घर देखने पड़ेंगे और पोती को बी.एड. पढ़ाई छोड़नी पढ़ेगी। बी.एड. के बाद घर के पास ही नौकरी करेगी। दीदी को डिग्री कॉलिज की नौकरी न ज्वाइन करने का दुख होता था। क्रमशः
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4 comments:
प्रशंसनीय
अति सुंदर
भारतीय दृष्टिकोण एवम ज्ञान परम्परा के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए धन्यवाद माता जी
हार्दिक आभार आदरणीय
हार्दिक आभार
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